पाश्चात्य सभ्यता की हवा
पाश्चात्य सभ्यता की हवा
बहुत पुरानी बात है। शाहजहांपुरकेभगोली पुर गांव है। इस गांव में 40 परिवार ठाकुरों के 10 परिवार शाक्य6परिवार ब्राह्मणों के 3 परिवार मुसलमान10 परिवार दलित जातियों के हैं । इस प्रकार इस गांव में कुल69 परिवारों मेबच्चे स्त्री पुरुषों सहित 2000 जनसंख्या का गांव होने के कारण चुनाव के समय इस गांव का एक विशेष महत्व रहा है । ठाकुरों के अधिक परिवार होने के कारण इस गांवमें हमेशा ठाकुर जात का ही प्रधान निर्वाचित होता रहा है ।मिलिट्री के कैप्टन पद से रिटायर होकर जब ठाकुर बलवंत सिंह गांव में आए धॆ तो गांव के लोगों ने उन्हें सदैव निर्विरोध प्रधान चुना था ।
गांव वालों ने उन्हें हमेशा मान सम्मान भी दिया था । ठाकुर बलवंत सिंह राष्ट्रीय भावना धार्मिक प्रवृति परोपकारी आचरण के होने के कारण गांव मे बहुत लोकप्रिय थे ।पूरा गांव उन का मान सम्मान करता था ।इस लिए गांव में कोई भीअधिकारी मंत्री नेता जब भी आते तो ठाकुरबलवंत सिंह की कोठी पर ही आते थे।गांव वालों की हर समस्या को ठाकुर बलवंत सिंह जी ही सुलझाते थे। कैप्टन ठाकुर बलवंत सिंह जी के एक पुत्र 25 वर्षीय विक्रम सिंह एक पुत्री 20 वर्षीय नेहा जो दोनों गांव के 3 किलोमीटर दूरी पर कस्बा के एक डिग्री कॉलेज में बीए पास एम ए की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। दोनों भाई बहन मोटरसाइकिल से सुबह कॉलेज जाते औरशाम के समय लौटआतेथॆ। पुत्र विक्रम सिंह एम ए की पढ़ाई के साथ-साथ अपनी 30 बीघा खेती को भी देखभाल करता और पिता के बताए गए कार्यो मे एक आज्ञाकारी पुत्र होने के कारण हाथ बटाता था ।इसीलिए बलवंत सिंह का परिवार गांव का एक खुशहाल परिवार कहा जाता था। भारतीय संस्कृति के वेशभूषा में रहने वाले भाई बहन गर्मियों की छुट्टी में जब दिल्ली अपने मामा कैप्टन सूरज सिंह के यहां गए ।जब एक महीना गर्मी की छुट्टी बिताने के जब दिल्ली शहर से गांव आए तो नेहा पश्चात सभ्यता की वेशभूषा में गांव आई। पुत्र विक्रम सिंह पर पश्चात सभ्यता का कोई प्रभाव नहीं पड़ा । वह आज भी धोती कुर्ता पहन कर रहता था ।
पुत्री नेहा धोती सलवार को छोड़कर अब पैंट शर्ट पहनकर मॉडर्न रहन सहन में रहने लगीथी। जब ठाकुर बलवंत सिंह ने अपनी पुत्री नेहा को पश्चात सभ्यता की वेशभूषा में देखा तो पुत्री को ऐसी वेशभूषा में रहने के लिए माना भी किया। लेकिन पत्नी रामकली के बार-बार अनुरोध करने पर ठाकुर साहब को चुप रहना पड़ा । नेहा जब कभी भी गांव की गलियों में आती-जाती तो गांव के लड़के उसके रंग रूप सुंदर मॉडर्नवेशभूषा को देखते रह जाते। ठाकुर साहबकीकोठी के ठीक सामने सूबेदार रहीम खान का परिवार रहता था ।मिलिट्री में होने केकारण ठाकुर कैप्टन बलवंत सिंह सूबेदार रहीम खान इन दोनों मेंकाफी घनिष्ठता थी ।सूबेदार रहीम खानके भी एक पुत्र एक पुत्री थी। 2 1 वर्षीय पुत्र सुल्तान और 21 वर्ष की पुत्री गुलशन थी,। सुल्तान और गुलशन भी जिस कॉलेज मेंपढ़ते थे इस कॉलेज में विक्रमऔर नेहा भी पढ़ते थे । नेहा और गुलशन में तो दोस्ती हो गई थी ।लेकिन विक्रम और सुल्तान में ज्यादा कोई बोलचाल नहीं थी ।कभी-कभी सुल्तान आते जाते समय विक्रमसिंह दुआ सलाम कर लेता था। लेकिन विक्रम सिंहपर इसका कोई प्रभाव नहीं होता था ।गुलशननेहा के उसी स्कूल में बीए क्लास मे थी,,इसी लिए कभी-कभी क्लास में आते जाते बात भी हो जाती थी ।
सूबेदार की 19 वर्षीय पुत्री गुलशन जो नेहा की सहेली हो गई थी । गुलशन कभी-कभी नेहा से मिलने केलिए कोठी पर आ जाया करती थी और पढ़ाई के संबंध में कुछ पूछ भी लेती थी। वर्षा ऋतु के काले-काले मेघ गर्जन के साथ मूसलाधार में बरस रहे थे। सूबेदारका कच्चा मकान था ।उसी में रह रहे थे ।मूसलाधार बरसात में मकान मैं पानी टपक रहा था। सूबेदार का लड़का बरसते पानी में छत पर चढ़कर टपकते स्थानों पर जब मिट्टी डाल रहा था तब बालकनी पटे हुए हुए छज्जे पर खङी नेहा बरसात का मजा लेते हुएभीगते हुए सुल्तान को देख रहीथी ।बरसात से भीगते हुए सुल्तान कभी-कभी नेहा को देख लेता था ।इस देखा देखी मैं अचानक एक प्रेमकाआकर्षण एक दूसरे के प्रति हो गया । एकदिन ऐसा हुआ जब सुल्तान की बहन अपनी किताब को लेकर नेहा से कुछ पूछने गई हुई थी तो उस किताब में सुल्तान का फोटो रखा था ।नेहा ने उस फोटो को किताब से निकाल लिया ।जब बहन घर पहुंची तो सुल्तानने उस किताब को खोल कर देखा तो उसमेउसका फोटो नहीं था ।वह समझ गया कि नेहा को उसके प्रति आकर्षण हो गया है ,।इसी लिए उसने उसे फोटो को किताब से निकाल लिया है। नेहा के भाई विक्रमसिंह से मिलने के बहाने सुल्तान कैप्टन साहब की कोठी के अंदरआने जाने लगा। जब कोठी के अंदर सुल्तानजाता तो कैप्टन साहब की 60 वर्षीय पत्नी के पैर भी छू लेता। अगर कैप्टन साहब कहीं मिल जाते तो सुल्तानउनके भी पैर छू लेता । सुल्तान के इस आचरण को देखकर कैप्टन साहब और उनकी पत्नी सुल्तान को एक अच्छा लड़का मानने लगे। जब सुल्तान और नेहा आपस में बात कर रहे होते तो विक्रम की मां उन दोनों पर कोई संदेह नहीं करती क्योंकि सुल्तान नेहा को बहन जी करके पुकारता था। भाई बहन के संबंधों के आडं सुल्तान नेहा में प्रेम का अंकुर धीरे-धीरे बढ़ रहा था और यह प्रेम का अंकुर धीरे धीरे बढ़ते बढ़ते एक दूसरे से शादी करने की बात तक पहुंच गया।
जब सुल्तान नेहा शादी के सपने देख रहे थे तो यह प्रेम का उन्माद देह आकर्षण सुख लेने तक पहुंच गया। सूबेदार की पत्नी बहुत भोली भाली थी । सुल्तान नेहा जब एकांत कमरे में दोनों किवाड़ बंद कर लेते थे तो सूबेदार की पत्नी कोई संदेह नहीं करती थी। कभी-कभी नेहा सूबेदार के मकान में पहुंच जाती और काफी काफी देर कॆ बाद लौटती थी। नेहा और सुल्तान का प्रेम धीरे-धीरेअब शारीरिक संबंधों के आकर्षण की ओर बढ़ रहा था । एक दिन ऐसा हुआ शरद ऋतु में कैप्टन साहब और उनकी पत्नी एक विवाह समारोह में गई हुई थी और कैप्टन साहब का पुत्र विक्रम खेत के ट्यूबवेल पर गया हुआ था। ऐसा मौका देख कर नेहा ने सुल्तान को अपने मकान पर बुला लिया और एकांत कमरे में दोनों काम बसना का खेल खेलने लगे ।तभी अचानक ट्यूबवेल से विक्रम घर आ गया और उसने घर के अंदर जब बहन और उसके प्रेमी सुल्तान का कामवासना का खेल दिखा तो उसे यह सहन नहीं हुआ।वह क्रोधित होउठा। उसने कमरे की कुंडी बंद करके घर के अंदर से रिवाल्वर उठा लाया और कुंडी खोल कर विक्रम ने सुल्तान को अपनी गोली का निशाना बनाया और सुल्तानको गोली मार दी ।जब बहन नेहा उसे बचाने के लिए दौड़ी तो विक्रम ने अपने बहन के भी गोली मार दी । गोली लगने से दोनों की मौत हो गई, ।
सुल्तान की बहन जब भाई को बुलाने के लिए कोठी के अंदर आई तो उसने इस दृश्य को देख कर उल्टे पैर लौट गई और उसने बाहर जाकर रोते हुए पास पड़ोस के लोगों को बताया । कैप्टन की कोठी के बाहर लोगों की भीड़ लग गई। पुलिस को खबर हुई ।पुलिस आ गई । विक्रम ने पुलिस के सामने अपनी पिस्तौल फेंक दीऔरअपनेकोआत्मसमर्पण कर दिया और अपना जुर्म भी कबूल कर लिया। विक्रम ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल करते हुए कहा कि वह बहन को सुल्तानके आगोश में नग्न अवस्था में देखकर अपना क्रोध नहीं रोक सका और उसने मान मर्यादा के लिए दोनों की हत्या कर दी । इस हत्या के पीछे एक कारण यह भी था कि उसे सुल्तान का पत्र नेहा कीकिताबों में मिलाथजिसमें सुल्तान ने भागने की बात लिखी थी। मैंने नेहा को बहुत समझाया भी था की मुगल सभ्यता में नारी का कोई अस्तित्व नहीं होता है यह सुल्तान तुम्हें सुनहरे सपने दिखा कर ले जाएगा और तुम्हें बैच देगा यह मार दगादेगा। नेहा ने मेरी बात नहीं मानी थीवह सुल्तान की जाल में बुरी तरह से फंस चुकी थी। सुल्तान को बचाने के लिए चलाई गई गोली नेहा की लगी बाद में मैं सुल्तान की भी गोली मार दी दोनों की हत्या हो गई पुलिस विक्रम को गिरफ्तार करके थाने ले गई। शाम के समय कैप्टन साहब अपनी पत्नी की के साथ जब विवाह समारोह से लौटे तो उन्हें इन सब बातों की जानकारी हुई। कैप्टन साहब ने अपनी पत्नी को डांटते हुए कहा मैं तुम्हें मना किया करता था की लड़की नेहा को इतनी छूट मत दो। लेकिन तुम नहीं मानी। इसी का यह परिणाम अब सामने आ गया है। पश्चात सभ्यता की इस दौड़ में युवा पीढ़ी बर्बादी की ओर बढ़ रही है। हम लोग अपनी भारतीय संस्कृति सभ्यताको भूल रहे हैं। मॉडर्न बनने के लिए पाश्चात्य सभ्यता को अपना रहे हैं ।इसीलिए हम बर्बादी की ओर जा रहे हैं।
बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावीकचहरी रोड मैनपुरी ----