पनामा नहर हमारी है, हमारी रहेगी...', ट्रंप ने शपथ लेते ही दी धमकी, विरोध में खड़ा हुआ ये देश

Jan 21, 2025 - 21:26
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पनामा नहर हमारी है, हमारी रहेगी...', ट्रंप ने शपथ लेते ही दी धमकी, विरोध में खड़ा हुआ ये देश
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डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद अपने पहले भाषण में ही पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया. उसमें पनामा नहर वापस लेने की बात कहकर ट्रंप ने अपने शपथ ग्रहण के दिन ही विवाद पैदा करा दिया है। उधर पनामा नहर लेने की बात जैसे पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मलीनो ने सुनी, डंके की चोट पर ट्रंप को चेतावनी देते हुए कह दिया कि पनामा नहर हमारी है, हमारी रहेगी।

यह जानते हुए भी कि जब पूरी दुनिया ट्रंप के आने से खौफ खा रही है, ये बयान हमारे लिए घातक हो सकता है. तो आइए जानते हैं पूरा मामाला, क्यों उठा विवाद. ट्रंप की धमकी का करारा जवाब? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले भाषण में पनामा नहर पर नियंत्रण लेने की बात कही, जिसपर पनामा के राष्ट्रपति ने जमकर विरोध जताया. पनामा राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने सोमवार को डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया कि अमेरिका पनामा नहर को वापस लेगा. मुलिनो ने साफ किया कि पनामा नहर पनामा के लोगों का है, और रहेगा।

पनामा ने पनामा नहर पर अमेरिका को नियंत्रण देने से इनकार किया है. मुलिनो ने ट्रंप के इस दावे को भी गलत बताया, जिसमें उन्होंने कहा है कि चीन इस नहर का संचालन कर रहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता की चाबी मिलते ही पूरी दुनिया को अपने तेवर भी दिखा दिए हैं. चीन को चुनौती देते हुए कहा है कि पनामा नहर पर उसकी ताकत को खत्म कर देंगे, और पनामा नहर को वापस ले लेंगे. डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि पनामा नहर से गुजरने के लिए अमेरिका के जहाजों से ज्यादा शुल्क लिया जा रहा है. जिसपर पनामा के राष्ट्रपति ने कड़ा विरोध जताया है. पनामा नहर क्या है? 82 किलोमीटर लंबी पनामा नहर है, जो अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ती है. अमेरिका के लिए इस नहर का काफी महत्व है, क्योंकि अमेरिका का 14 फीसदी कारोबार पनामा नहर के जरिए होता है।

इसके साथ ही कई देश समुद्र व्यापार पनामा के जरिए ही करता है. इतना ही नहीं, ये नहर कई देशों के समुद्री व्यापार में अहम भूमिका निभाती है और दुनिया का 6 फीसदी समुद्री व्यापार इसी नहर से होता है। पनामा नहर का नियंत्रण अभी पनामा के पास है. इसका मैनेजमेंट पनामा कैनाल अथॉरिटी की ओर से किया जाता है. पनामा के पास पूरी तरह से ये नहर साल 1999 में आई थी. इससे पहले इस पर अमेरिका का अधिकार था। वैसे तो 1881 में फ्रांस ने इसे बनाना शुरू किया था और फिर 1904 से इस नहर को अमेरिका ने बनाया. 1914 में इस नहर को बना लिया गया और अमेरिका का ही इस पर नियंत्रण था और 1977 में इसे हैंडओवर करने का समझौते पर साइन किया गया. फिर 1999 में ये नहर पूरी तरह से पनामा के पास चली गई।

पनामा नहर की वजह से दुनिया के कई देशों को फायदा होता है, जिसकी वजह से उसके नियतंत्र को लेकर कई बार विवाद भी हो चुका है. अमेरिका चीन को अपना दुश्मन मानता है, वही चीन ने इस नहर के आसपास-खूब ‌निवेश कर रखा है। जिससे अमेरिका को परेशानी हो रही है. नहर क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अस्थिरता भू-राजनीतिक संघर्ष को बढ़ा सकती है. अब जिस तरह पनामा के राष्ट्रपति ने ट्रंप को जवाब दिया है, उससे यही लग रहा है कि आने वाले दिनों में एक तनाव इस नहर पर हो सकता है।