न मुफ्त राशन, न फ्री बिजली, जल्द बंद होंगी सभी योजनाएं, सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर- योजनाओं को बताया रिश्वत
न मुफ्त राशन, न फ्री बिजली, जल्द बंद होंगी सभी योजनाएं, सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर- योजनाओं को बताया रिश्वत
Suprime kort / सुप्रीम कोर्ट : देश में मुफ्त योजनाओं पर संकट मंडरा रहा है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में इनके खिलाफ याचिका दाखिल की गई है। यदि अदालत ने इन योजनाओं पर रोक लगा दी, तो जनता और राजनीति दोनों पर इसका बड़ा असर पड़ेगा। देश में फ्री राशन, फ्री बिजली, फ्री पानी जैसी सरकारी योजनाओं ने कई लोगों के जीवन को आसान बनाया है।
लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका के कारण इन योजनाओं पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। याचिका में मांग की गई है कि सरकार की ओर से दी जाने वाली मुफ्त योजनाओं को जल्द से जल्द बंद किया जाए। अदालत ने इस मुद्दे पर विचार करते हुए इसे गंभीरता से लिया है। सरकार की ओर से मुफ्त योजनाएं, जैसे फ्री राशन, फ्री बिजली, फ्री बस सेवा, या फिर चुनावी वादों में दी जाने वाली अन्य सुविधाएं, अक्सर राजनीतिक दलों का एक प्रभावशाली तरीका बन गई हैं। ये योजनाएं चुनावी मौसम में मतदाताओं को आकर्षित करने का साधन बन चुकी हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वालों का कहना है कि ऐसी योजनाएं लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाती हैं।
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि मुफ्त योजनाएं राजनीतिक दलों द्वारा दी जाने वाली एक प्रकार की 'रिश्वत' हैं, जिससे चुनावों में वोटरों को प्रभावित किया जाता है। अदालत में कहा गया है कि यह प्रथा न केवल सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग है, बल्कि चुनावी प्रतिस्पर्धा को भी कमजोर करती है। याचिका में मांग की गई है कि ऐसी योजनाओं पर तुरंत रोक लगाई जाए और भविष्य में राजनीतिक दलों को मुफ्त सुविधाओं का वादा करने से रोका जाए। केंद्र सरकार की मुफ्त राशन योजना, जिससे लगभग 80 करोड़ लोगों को लाभ मिलता है, इस विवाद के केंद्र में है। इसके अलावा, राज्य सरकारें भी मुफ्त बिजली, किसानों के लिए सब्सिडी और महिलाओं के खातों में आर्थिक सहायता जैसी योजनाओं के जरिए जनता को लुभाती रही हैं।
यदि सुप्रीम कोर्ट इस पर प्रतिबंध लगाता है, तो देशभर के लोगों को इन योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित होना पड़ सकता है। महिलाओं के लिए लाडली बहना योजना, लक्ष्मी भंडार योजना जैसी योजनाएं, जिनमें उनके खातों में नियमित रूप से पैसे जमा किए जाते हैं, भी इस बहस का हिस्सा हैं। युवाओं के लिए मुफ्त टैबलेट, लैपटॉप, और शिक्षा संबंधी कई योजनाएं भी सवालों के घेरे में हैं। इन योजनाओं ने विशेष रूप से चुनावी मौसम में राजनीतिक दलों को बढ़त दिलाई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को गंभीरता से लिया है और जल्द ही सुनवाई शुरू होने की संभावना है। यदि अदालत मुफ्त योजनाओं पर रोक लगाने का फैसला करती है, तो यह न केवल आम जनता के लिए बल्कि राजनीतिक दलों के लिए भी एक बड़ा बदलाव होगा। इसका असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है।