PM मोदी एपिशोड 104 मनकी बात में क्या बोले, चन्द्रयान- 3 को लेकर क्या कहा

Aug 27, 2023 - 12:42
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PM मोदी एपिशोड 104 मनकी बात में क्या बोले, चन्द्रयान- 3 को लेकर क्या कहा
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में देश को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे याद नहीं पड़ता कि कभी ऐसा हुआ हो कि सावन के महीने में दो बार मन की बात कार्यक्रम हुआ हो।

सावन यानी महाशिव का महीना. उत्सव और उल्लास का महीना. पीएम मोदी ने कहा कि चंद्रयान की सफलता ने उत्सव के इस माहौल को कई गुना बढ़ा दिया है. चंद्रयान को चंद्रमा पर पहुंचे 3 दिन का समय हो गया है।

इसकी जितनी चर्चा की जाए उतनी कम है. इस दौरान पीएम ने अपनी पुरानी कविता भी सुनाई। आसमान में सिर उठाकर घने बादलों को चीरकर रोशनी का संकल्प ले अभी तो सूरज उगा है दृढ़ निश्चय के साथ चलकर हर मुश्किल को पार कर घोर अंधेरे को मिटाने अभी तो सूरज उगा है आसमान में सिर उठाकर घने बादलों को चीरकर अभी तो सूरज उगा है।

 पीएम मोदी ने कहा कि 23 अगस्त को भारत के चंद्रयान ने साबित कर दिया है कि संकल्प के कुछ सूरज चांद पर भी उगते हैं. मिशन चंदयान नए भारत के स्प्रिट का प्रतीक बन गया है, जो हर हाल में जीतना चाहता है. हर हाल में जीतना जानता भी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मिशन में एक पक्ष ऐसा रहा कि जिसकी चर्चा करना चाहता हूं।

 मैंने इस बार स्वतंत्रता दिवस पर लाल किला से कहा था कि हमें वूमेन लेड डेवलेपमेंट को राष्ट्रीय चरित्र के रूप में सशक्त करना है। जहां महिला शक्ति का सामर्थ्य जुड़ जाता है वहां असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है. भारत का मिशन चंद्रयान नारी शक्ति का भी जीवंत उदाहरण है. इस मिशन में अनेकों महिला वैज्ञानिक सीधे तौर पर जुड़ी रहीं।

पीएम मोदी ने कहा, "भारत की बेटियां अब अनंत समझे जाने वाले अंतरिक्ष को भी चुनौती दे रही हैं. किसी देश की बेटियां जब इतनी आकांक्षी हो जाएं, तो उसे, उस देश को, विकसित बनने से भला कौन रोक सकता है। मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि हमने इतनी ऊंची उड़ान इसलिए पूरी की है क्योंकि आज हमारे सपने भी बड़े हैं और हमारे प्रयास भी बड़े हैं। चंद्रयान-3 की सफलता में हमारे वैज्ञानिकों के साथ ही दूसरे सेक्टर्स की भी अहम भूमिका रही है. तमाम पार्ट्स और तकनीकी जरूरतों को पूरा करने में कितने ही देशवासियों ने योगदान दिया है. जब सबका प्रयास लगा तो सफलता भी मिली।

 पीएम मोदी ने किया जी-20 का जिक्र प्रधानमंत्री ने अपने कार्यक्रम में जी-20 का जिक्र करते हुए कहा, "मेरे परिवारजनों, सितम्बर का महीना, भारत के सामर्थ्य का साक्षी बनने जा रहा है। अगले महीने होने जा रही G-20 Leaders Summit के लिए भारत पूरी तरह से तैयार है. इस आयोजन में भाग लेने के लिए 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष और अनेक Global Organisations राजधानी दिल्ली आ रहे हैं।

G-20 Summit के इतिहास में ये अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी होगी। पीएम मोदी ने कहा, "अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत ने G-20 को और ज्यादा inclusive forum बनाया है. भारत के निमंत्रण पर ही African Union भी G-20 से जुड़ी और अफ्रीका के लोगों की आवाज दुनिया के इस अहम प्लेटफार्म तक पहुंची. साथियों पिछले साल, बाली में भारत को G-20 की अध्यक्षता मिलने के बाद से अब तक इतना कुछ हुआ है, जो हमें गर्व से भर देता है. दिल्ली में बड़े-बड़े कार्यक्रमों की परंपरा से हटकर, हम इसे देश के अलग-अलग शहरों में ले गए।

उन्होंने कहा, "G-20 डेलीगेट्स जहां भी गए, वहां लोगों ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया, ये डेलीगेट्स हमारे देश की डायवर्सिटी देखकर, हमारा लोकतंत्र देखकर, बहुत ही प्रभावित हुए. उन्हें ये भी एहसास हुआ कि भारत में कितनी सारी संभावनाएं हैं. G-20 की हमारी Presidency, People's Presidency है, जिसमें जनभागीदारी की भावना सबसे आगे है।

 प्रधानमंत्री ने खेल जगत का किया जिक्र प्रधानमंत्री ने खेल-कूद का जिक्र करते हुए कहा, "आज यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां हमारे युवा निरंतर नई सफलताएं हासिल कर रहे हैं । मैं आज 'मन की बात' में, एक ऐसे Tournament की बात करूंगा जहां हाल ही में हमारे खिलाड़ियों ने देश का परचम लहराया है. कुछ ही दिनों पहले चीन में World University Games हुए थे. इन खेलों में इस बार भारत की Best Ever Performance रही है. हमारे खिलाड़ियों ने कुल 26 पदक जीते, जिनमें से 11 गोल्ड मेडल थे।

मोदी ने कहा, "आपको ये जानकर अच्छा लगेगा कि 1959 से लेकर अब तक जितने World University Games हुए हैं, उनमें जीते सभी Medals को जोड़ दें तो भी ये संख्या 18 तक ही पहुंचती है. इतने दशकों में सिर्फ 18, जबकि इस बार हमारे खिलाड़ियों ने 26 Medal जीत लिए। संस्कृत भाषा को लेकर बढ़ी जागरूकता: PM इस दौरान संस्कृत भाषा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है. इसे कई आधुनिक भाषाओं की जननी भी कहा जाता है।

 संस्कृत अपनी प्राचीनता के साथ-साथ अपनी वैज्ञानिकता और व्याकरण के लिए भी जानी जाती है । भारत का कितना ही प्राचीन ज्ञान हजारों वर्षों तक संस्कृत भाषा में ही संरक्षित किया गया है. योग, आयुर्वेद और philosophy जैसे विषयों पर research करने वाले लोग अब ज्यादा से ज्यादा संस्कृत सीख रहे हैं।

 मुझे खुशी है कि आज लोगों में संस्कृत को लेकर जागरूकता और गर्व का भाव बढ़ा है, इसके पीछे बीते वर्षों में देश का विशेष योगदान भी है। इसके साथ ही पीएम ने बताया कि 'संस्कृत भारती' लोगों को संस्कृत सिखाने का अभियान चलाती है. इसमें आप 10 दिन के 'संस्कृत संभाषण शिविर' में भाग ले सकते हैं।