आपसी वादा-

Nov 23, 2024 - 10:06
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आपसी वादा-

 

नंबर का महीना था । शरद ऋतु सुहावना मौसम था। ना ज्यादा गर्मी थी ना ज्यादा सर्दी का मौसम था ।सर्द हवाएं चलने का अभी प्रकोप नहीं हुआ था । शरद ऋतु शुरू होने के ऐसे सुहावना मौसम में मेजर जोगिंदर सिंह अपने कमरे में ऊनी चादर ओढ़े प्रभु का नाम लेकर माला जप रहे थे ।अतीत की यादें आज की समस्याओं पर सोच रहे थे । जोगेंद्र का माला जपने में कम ध्यान था ।वह सोच रहे थे शकुंतला अब सयानी हो गई है । आजसे 20 वर्ष पहले जब शकुंतला पैदा हुई थी तो उस के दोस्त रविंद्र ने कहा था तुम्हारी बेटी बहुत सुंदर है। इसकी शादी में अपने बेटे से करूंगा । अभी 3 वर्ष पहले तक अपने वादे की बात करता रहे। लेकिन अब ना फोन उठा रहे है और ना पत्रों का कोईअब जवाब दे रहेहै। प्यासे को कुआं के पास जाना होता है । मैं ही अब रविंद्र के पास जाऊंगा और शादी की बात करूंगा । जोगिंदर यही सब बातें सोच रहा था। तभी उन्हें अचानक बाहर गाड़ी के आने तथा हॉरन बजने की आवाज सुनाई दी। आए हुए ठाकुर रविंद्र सिंह ने कीबाडो की जंजीर खटखटाई और अपना नाम लेकर आवाज दी ।

रविंद्र सिंह का नाम सुनते ही ठाकुर जोगेंद्र सिंह ने उठकर के किबाडे खोलें । अपने मित्र रविंद्र को देखते ही बड़ी जोर की आवाज से कहा- दादा आप मय भाभी के आ गए । देख कर बहुत खुशी हो रही है। मैं आपके पास आने ही वाला था । मेरे आज अहोभाग्य है । मेरे घर दादा मेरे बड़े भाई रविंद्र सिंह जी पधारे हैं। दोनों मित्र एक दूसरे के गले में लग गए । ठाकुर जोगेंद्र सिंह ने फिर ठाकुर रविंद्र सिंह के पैर छुए और उसके बाद भाभी के पैर छूकरअपनी पत्नी को आवाज लगाई- -अरे शकुंतला की अम्मा बाहर आकर, देखो । ,तुम्हारे जेठ जी आए हैं और मेरी भाभी को भी साथ लाए हैं । अपने दोस्त जोगिंदर की बात को सुनकर रविंद्र हंस पड़े। जोगेंद्र ने बड़े भाई भाभी को पलंग पर बिठाते हुए फिर अपनी पत्नीकोआवाज दी। रविंद्र सिंह केलड़के मनोज सिंह ने जैसे ही चाचा जोगेंद्र सिंह के पैर छूना चाहे उन्होंने हाथ पकड़ लिए और कहा- बेटा ! अब तुम मेरे पैर मत छूना । हम तो अब तुम्हारे पैर छूये गे। ,रविंद्र जोगेंद्र की इस बात को सुनकर फिर हंसपड़े।तभी भीतर से जोगेंद्र सिह की पत्नी रामकली कमरे में आकर जेठ जेठानी के पैर छुए और रामकली चाय नाश्ता बनाने के लिए अंदरचली गई ।

थोड़ी देर बाद चाय नाश्ता लेकर मां के साथ सजी-धजी सुंदर शकुंतला बहार आई । उस ने ताऊ ताई के पैर छुए और हाथ जोड़कर मनोज सिंह से नमस्कार किया । मनोज सिंह ने नीचे से लेकर ऊपर तक सुंदर शकुंतला को देखा और शकुंतला की मोहनी छवि को देखकर देखता रह गया । सभी ने नाश्ता किया नष्ट होने के बाद शकुंतला कप प्लेट उठाकर घर के अंदर चली गई । सूर्य भगवान अपनी लालमा विखेरते हुए अब प्रगट हो गए थे। सुबह की ठंडी ठंडी हवाओं में अब कुछ गर्मी भी आने लगी थी । सवेरा होने पर सूर्य भगवान अपनी गर्म ऊर्जा लेकर आकाश में अच्छी तरह से प्रकट हो गए थे । जोगेंद्र सिंह ने नौकर को आवाजदी । धूप में बैठने के लिए 4 -5 कुर्सी डालने के लिए नौकर से कहा । सुहावनी धूप मे चारों लोगअब बाहर आकर कुर्सियों पर बैठ गये। धूप में बाहर कुर्सियों पर बैठते ही जोगेंद्र सिंह ने रविंद्र सिंह से शादी के संबंध में लेन देन की बात चलाई। रविंद्र सिंह बड़ी जोर से हंसे और जोगेंद्र सिंह से बोले- जब तूने करोड़ों की दौलत एक अच्छीसीबहू मुझे दे रहा है । तो मुझे अब क्या और चाहिए ? तू मुझे जानता है। मैं शुरू से दहेज देने लेने के हमेशा खिलाफ रहा हूं । तो क्या आज मैं दहेज की बात तुझ से करूंगा ? जोगेंद्र ने रविंद्र के हाथ जोड़ते हुए कहा -मुझ से यह बहुत बड़ी गलती हो गई। राजा दशरथ के समान धन दौलत से संपन्न यह गरीब जनक क्या दे सकता है ?

 जब शादी की सब बातें हो रही थीतभी जोगेंद्र की पत्नी नौकर के साथ गरम गरम जलेबी पकौड़ी कॉफी लेकर आ गई। नौकर ने जोगेंद्रकेपास एक कुर्सी और डाल दी। जिस पर जोगेंद्र की पत्नी बैठ गई और जेठ रविंद्र सिंह से बोली -जेठ जी मैं बहुत दिनों से आपके छोटे भाई से कह रही थी कि एक दिन दादा जी को बुलाकर शादी की बात कर लो। शकुंतला अब काफी सियानी 20 वर्षकीहो गई है और भैया मनोज भी पढ लिख कर वकील हो गया है ।उसकी उम्र भी 23 वर्ष की हो गई होगी। रविंद्र बोले-- बहू मैं भी बहुत दिनों से यही सोच रहा था । एक दिन चलकर अपने किए हुए वादे को निभा लूं। मुझे तुम्हारी बेटी शकुंतला पहले से बहुतसुंदरदिखाई दे रही है और मुझे बहुत अच्छी लग रही है । अब एकांत में मनोज शकुंतला को बात करने का मौका दिया जाए । दोनों की पसंद हम सबको पसंद होगी। थोड़ी देर बाद शकुंतला सज धज कर कमरे में आ गई और मनोज भी कमरे में पहुंच गया । पलंग पर बैठ कर मनोज ,शकुंतला को कुर्सी पर बैठने के लिए इशारा करते हुए कहा- तुम्हारी मॉडर्न सहेली मेरे घर पर अचानक मारुति लेकर पहुंच गई थी और उसने वार्तालाप में मुझसे कहा था कि तुम किसी से प्यार करती हो । मैंने भी उससे कहा था तुम अपनी सहेली को बता देना मैं भी किसी लड़की से प्यार करता हूं ।

इसलिए रिश्ता नहीं हो सकता है। शकुंतला बोली -- -मैंने कभी भी सहेली से यह,बात नहीं कही है ।,पता नहीं उसने क्यों ऐसी बात जाकर तुमसे कहीं है ? मैं किसी से प्यार नहीं करती हू । जो मां बाप निर्णय करेंगे मैं उसी से शादी करूंगी। शकुंतला जबयहसब बात मनोज से कह रही थी तभी उसकी सहेली मधु ताऊ जी के बार-बार मना करने पर भी अंदर आकर -शकुंतला की सहेली मधु बोली - जीजा जी मैंने यह बात हंसी में कह दी थी। जब मैंने घर आकर तुम्हारे विषय में दीदी को बताया तो दीदी ने मुझे डांटते हुए कहा- तुम यह गलत बात क्यों कहे आई ?जीजा जी मैं तुम्हारे पास फिर आने वाली थी और यह झूठ बात बताने वाली थी,। अचानक आज आप के आने की खबर मिली मैं दौड़ी हुई चली आई और यह सब बात जीजा जी तुम्हें बता रही हूं -मेरी जीजी का किसी से प्यार नहीं है। जीजी धार्मिक भारतीय संस्कृति की युवती है । जीजा जी आप इन्हें स्वीकार कर ले। मेरी गलती को माफ कर दे। मनोज बड़ी जोर से हंसा और बोला- मैंने भी झूठ तुमसे कह दिया था कि मैं किसी लड़की से प्यार करता हूं । मेरा भी किसी लड़की से प्यार नहीं चल रहा है। मैं तुम्हारी दीदी को बचपन से जानता हूं । मैं भी तुम्हारी दीदी की तरह भारतीय संस्कृति का मानने वाला हूं ।

मां-बाप जो निर्णय करेंगे वही मुझे स्वीकार होगा । शकुंतला मनोज की बात पर बड़ी जोर से हंस पड़ी और बोली --मैं मान गई तुम वास्तव में एक अच्छे वकील एडवोकेट हो । बचपन में भी तुम्हारे साथ खेली बड़ी हुई तब भी तुमसे प्यार करती थी । आज भी करती हूं । अब आप जैसा चाहे वैसा करें । शकुंतला की बात पर मनोज हंस पड़ा और बोला --अब मैं क्या चाहूंगा ? अब तो मैं तुम्हारे साथ शादी करना ही चाहूंगा । इतना कहकर मनोज बाहर निकल आया। शकुंतला घर के अंदर चली गई । ठाकुर रविंद्र ने बेटे की इच्छा जानना चाही तोमनोज ने कह दिया- आप जो निर्णय करेंगे हमें वही स्वीकार होगा। आपने सारी दुनिया देखी है। आपका अनुभव निर्णय मेरे लिए अच्छा ही रहेगा । भीतर जाकर जोगेंद्र ने अपनी बेटी से उसकी इच्छा जानना चाही तो शकुंतला बोली --जो मां बाप के किए गए निर्णय स्वीकार करते हैं वही खुश रहते हैं ।मां बाप संतान के हित में हमेशा सोचती है। जिन लड़कियों ने मां बाप की इच्छा के विरुद्ध शादी की है । वह हमेशा दुखी रही है। पिताजी में यह अच्छी तरह से जानती हूं ।अब आप जैसा निर्णय करें मैं स्वीकार करूंगी। मुझे मनोज बचपन में भी पसंद थे ।

आज भी पसंद है ।बेटी की बात सुनकर जोगेंद्र बहुत खुश हुए और कहा- भगवान ऐसे ही औलाद सबको दे । बाहर आकर जोगेंद्र ने रविंद्र को ₹100 रुपया का नजराना देकर रविंद्र के पैर छुए । दोनो दोस्त गले मिलने लगे।। शकुंतला मनोज की शादी तय हो गईफिर धूमधाम से बिना दहेज की शादी हुई। दो दोस्तों ने किया हुआ आपसी वादा निभाया और भारतीय संस्कृति की बिना दहेज की शादी धूमधाम से की।

बृज किशोर सक्सेना किशोरइटावी कचहरी रोड मैनपुरी