करनी के फल

Nov 21, 2024 - 20:36
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कहानी -  करनी के फल 

 विकासशील गांव माधवगढ़ में 70 वर्षीय रिटायर्ड प्रधानाचार्य पंडित रमाशंकर त्रिपाठी रहते थे।जोअपनीलोकप्रियता के कारण रिटायर होने पर ब्लॉक के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए थे। रिटायर्ड प्रधानाचार्य रामाशंकर त्रिपाठी के पढ़ाये हुए बहुत से छात्र ऊंचे पदों पर थे। जब वह गांव में आते थे तो प्रधानाचार्य के पास जरूर मिलने आते थे। इन वरिष्ठ अधिकारियों के करण जिला प्रशासन के अधिकारियों में पंडित रमाशंकर त्रिपाठी की अच्छी धाक थी। इसीलिए वह जनता के काम आसानी से कर देते थे ।

पंडित रमाशंकर त्रिपाठी के 22 वर्षीय पुत्र सत्यदेव भी क्षेत्र के राधा वल्लभ कॉलेज में प्रधानाचार्य पद पर थे जो प्रधानाचार्य तथा जनता के संभ्रांत लोगों में अपनी अच्छी ख्याति रखते थे। पंडित रमाशंकर के 25 वर्षी पुत्र सत्यदेव की शादी गंगापुर गांव के सुदर्शन पांडे की 20 वर्षीय पुत्री रामा देवीसे हुई थी ।जो देखने सुनने में अति सुंदर अच्छे अच्छे आचरणथा एमतक शिक्षित महिला थी ।शादी होकर जब आई थी तब मुंह दिखानी के लिएआती सभी औरतें यही कहती की रमाशंकर की पत्नी रामदेवी और उनका पुत्र सत्यदेव जितने सुंदर अच्छे आचरण के हैंउन्होंने उतनी ही सुंदर अच्छे आचरण की बहू पाली है । घर मे आने जाने बड़े लोगों का कितना मान सम्मान करती है । बोलचाल में कितनी अच्छी है। जुवान में कितनी मधुरता है.।नाचने गाने में भी किसी से कम नहीं है। अपनी सास ससुर जेठ जेठानी परिवार की वरिष्ठ जनोसे कितनी अदब दबी जुबानसे बात करती है । आज कल जैसी बहू की तरह बातूनी नहीं है । बहू अपने काम से काम रखती है.। व्यर्थ की बातों पर ना तो ध्यान नहीं देती है और ना व्यर्थ की बातें करती है । पंडित रमाशंकर के अच्छे संस्कारों के कारण उन्हें होनहार लड़का तथा बहू मिली है। समय चक्र बड़ी तेजी से घूम रहा था।

बहू रामादेवीपुत्र सत्यदेव त्रिपाठी दोनों अपने माता-पिता की आज्ञाकारी होकर बहुत सेवा करते रहते थे । लड़का बहू की सेवा के कारण पंडित रमाशंकर त्रिपाठी ने 120 वर्ष की उम्रऔररमाशंकर त्रिपाठी की पत्नी रामदेवी ने भी 110 वर्ष की उम्र पाली थी। पंडित रमाशंकर तथा उनकी पत्नी ने भी अपने सास ससुर की बहुत सेवा की थी। उसी का फल उन्हें मिल रहा था ।पंडित रमाशंकर का परिवार बड़े खुशहाली के दिन गुजार रहा था। घर में नौकर चाकर सुख सुविधा के सभी साधन उपलब्ध हो चुके थे। सास ससुर की दुआओं के कारण पंडित रमाशंकर के पुत्र सचदेव के भी एक पुत्र रत्न प्राप्त हो गया। जिसका नामकरण सुखदेव रखा गया । बाबा पिता की संपत्ति से सत्यदेव के पुत्र सुखदेव की पालनपोषण होने लगा ।अंग्रेजी के अच्छे से स्कूल में भर्ती कर दिए गए। हर सुख सुविधा देकर उसका पालन पोषण होने लगा। एक दिन रमाशंकर को तेज बुखार आया और उनकी दुखद मृत्यु हो गई। सत्यदेव के ऊपर घर का सभी भार आ गया ।पिता की दुखद मृत्यु के बाद प्रिंसिपल सत्यदेव त्रिपाठी काफी टूट गए और उनका स्वास्थ्य भी गिरने लगा ।सत्य त्रिपाठी 60 वर्ष के होने पर उन्हें रिटायरमेंट मिल गया। सत्यदेव त्रिपाठी का पुत्र जब 20 वर्ष का हुआ और इंटर कॉलेज में एम ए तक पढ़ लिखकर लेक्चरर हुआ तो सत्यदेव ने उसकी शादी एक मिल मालिक की बेटी कल्पना से कर दी।

कल्पना धनाढ्य पिता की मॉडर्न बेटी थी ।इसलिए वह किसी का मान सम्मान नहीं करती थी ।सास ससुर की बातों को हमेशा अनसुनी कर देती थी। रामा देवी जब भी अपने पुत्र सुखदेव बहू को समझाने की कोशिश करती तो बहू बेटा उनकी बातों को अनसुनी कर देते ।जब भी रामा देवी अपनी बहू को बताती कि उसने अपने सास-ससुर की कितनी सेवा की थी और उन्हीं की सेवा के फलकेकारण आज उन के पास सब कुछ धन दौलत है और उनकी सेवा के लिए नौकर चाकर है।तुम भी अगर बड़े बूढ़े की सेवा करोगी तो अवश्य उसका अच्छा फल पाओ गी। लेकिन बहू कल्पना सास ससुर की बातों को अनसुनी कर देती। सास ससुर की सेवा स्वयं ना करके उनकी सेवा नौकरों से कराती थी। सास की बातों की हमेशा अनसुनी करती रहती थी ।इसलिए सास बहू से नाराज रहती थी। कुदरत का नियम है मनुष्य जैसा करता है उसे वैसा ही फल मिलता है ।सास ससुर की अच्छी सेवा करने के कारण सत्यदेव तथा उनकी पत्नी रामा देवी जिंदगी बड़ी चैन से कट गई । लेकिन सत्यदेवऔर पत्नी की मृत्यु के बाद उनके पुत्र सुखदेव और सुखदेव की पत्नी का जीवन बड़ी कठिनाई से गुजरने लगा। सुखदेव और उनकी पत्नी से जो राजकुमार पैदा हुए वह भी अपने मां बाप के तरह से ही आलसी भोग बिलासी प्रवृत्ति के निकला । जब राम कुमार की शादी रूपवती से हुई तो वह रूपवती की सुंदरता मोहनी सूरत पर इतना फिदा हुआ की रात दिन रूपवती को लिए अटारी पर लेटा रहता था । जब भी सासबहू रूपवती को आवाज देती तो दोनों बहू बेटा अनसुनी कर देता था । कहते हैं जब वक्त बुरा समय आता है तो दुख के चारों दरवाजा को खोल देता है।सुखदेव और उनकी पत्नी के अपनी सास के साथ किए हुए पाप का उदय होना शुरू हो गया ।

सुखदेव और उनकी पत्नी लीलावती आए दिन बीमार रहने लगी ।सुखदेव की जब मौत हो गई। सुखदेव की पत्नी लीलावती अकेली रह गई। सुखदेव की पत्नी लीलावती इतनी बीमार रहने लगी कि चलना फिरना भी उसका दूबर हो गया । मृतक सुखदेव की पत्नी लीलावती जब अपने पुत्ररामकुमार और उसकी पत्नी रूपवती को ऊपर से बुलाती तो बहू बेटे नीचे नहीं आता ।- कभी-कभी सुखदेव की पत्नी अपनी बहू पर नाराज होने लगती थी। रूपवती अपनी सास कल्पना सेचिढनेलगीथी और सास की कोई चिंता नहीं करती थी । जब बहू से उपेक्षा मिलने लगी तो उसे अपनी सास की कहीं बातें याद आने लगी- ।सोचने लगी वह भी इसी तरह से अपनी सास की उपेक्षा करती थी। उसी का फल आज उसे भोगना पड़ रहा है । एक दिन रात के समय रामकुमार और उसकी की पत्नी रूप बत्ती संभोग क्रिया में लीन थे । तभी सास कल्पना ने अपनी बहु रूपवती और अपने लड़के राम कुमार को बड़ी जोर से आवाज लगाई और कहा-- बेटा बहुत जोर से खासी उठ रही है। मुझे आकर दवाई दे दो ।रतिक्रिया मैं लीन बेटे बहू मां पर नाराज हो उठे । बहु क्रोधित होकर पति से बोली-- -यह बुढ़ियाआए दिन परेशान करती रहती है ।बुढ़िया आए दिन हम लोगों के संभोग क्रिया मे बाधा बनती रहती है । इस बुढ़िया की हत्या करके इस बाधा को जल्दी ही दूर करो । पति पत्नी दोनों क्रोधित होकर कर नीचे उतरे और बुढ़िया का गला दबा कर उनकी हत्या कर दी ।लाश को आंगन में गाड़ दिया औरफिर मोहल्ला वालों से कह दिया कि मां मायके चली गई है।

बुरी मौत से कल्पना को अपने कर्मों का फल मिल गया । पाप,कभी छिपाये,छिपता नहीं है। एक ना एक दिन उजागर जरूर होता है। यही हुआ एक दिन मोहल्ले की कुछ औरतें किसी काम से राम कुमार के घर पर आई तो उन्होंने देखा जो गड्ढा खोदा गया है उसके नीचे से तमाम चीटियां निकल रही है। इस से उन औरतों को कुछ शक हुआ। उन्होंने अपने घर पर जाकर अपने पतियों से कहा। जब मोहल्ले के तमाम लोग आकर पूरे खोदे गड्ढे की मिट्टी को हटाया तो उसके नीचे सड़ी हुई हालत में रामकुमार की माता का शव मिला । पुलिस को खबर की गई पुलिस ने आकर रामकुमार और उसकी पत्नी रूपवती को गिरफ्तार कर लिया और दोनों को जेल भेज दिया । रामकुमार और उसकी पत्नी को भी अपने कर्मों का फल मिल गया ।

बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी