कहानी - माधवगढ़ की भूत कोठी

कहानी - माधवगढ़ की भूत कोठी

Sep 21, 2024 - 20:06
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कहानी -  माधवगढ़ की भूत कोठी
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कहानी - माधवगढ़ की भूत कोठी

सबलगढ़ ससुराल में एक दिन रुक कर दूसरे दिन वापस जाने की बात कही तो ससुराल में किसी ने रुकने के लिए नहीं कहा । ससुराल तभी तक सुखकी ससुराल रहती है जब तक सास ससुर साले जिंदा रहते हैं ।सास ससुर साल के मरने के बाद के बाद ससुराल में दामाद की कोई ज्यादा कदर नहीं होतीहै । दुर्भाग्य से सास ससुर के मरने के बाद ससुराल में साले भी नहीं रहे उन सभी की अकाल मृत्यु हो गई थी। केवल सालों के लड़का नाती पोता रह गए थे।

जब 12:00 बजे चलने को हुआ तो पानी बरसने लगा। जब 5:00 बजे करीबन पानी रुका तब मैं चलने की बात कही तो किसी ने मुझे नहीं रोका ।मजबूरी में मैं सबलगढ़ से माधवगढ़ को पैदल ही चल दिया ।तीन-चार किलोमीटर पैदल चलने के बाद में जब माधवगढ़ पहुंचा तो शाम के 7:00 बज रहे थे ।शेरगढ़ की ओर से आने वाली लास्ट बस निकल चुकी थी। मजबूरी में मुझे पुरानी कोठी के सामने की बूढी मां दु दुकान पर आकर रुकना पड़ा ।

बूढी मां ने मुझे देखते ही टीन के नीचे चारपाई डाल दी और बड़े अपनात्व भाव से कहा --बेटा अब तुम्हें कोई भी स्टेशन को जाने वाली बस नहीं मिलेगी ।आज रात यही विश्राम करिए । मैं बड़े आराम से चारपाई पर बैठ गया और बूढी मां से बोल -- मां अब यहीं रुकूंगा। कल सुबह चला जाऊंगा ।आज रात को भूत वाली कोठी की कहानी भी सुन लूंगा। बूढी मां बड़ी जोर से हंसी और बोली -अपने जमाने दोनों डकैत ठाकुर कैप्टन सुमन सिंह और मेरा लड़का बलवंत सिंह नहीं रहे तो कोठी की देखभाल करने वाला कोई नहीं रहा।सन 19 47 में देश स्वतंत्र हुआ ,।

अंग्रेजों के जाने के बाद खादीधारी नेताओं का जमाना आ गया। अंग्रेजों के समय के राजा महाराजा अब कांग्रेस नेता विधायक सांसद मंत्री हो गए और उनके चमचे अंग्रेजों की जमाने के राजा जमीदारों की तरह जनता का शोषण अत्याचार करने लगे ।इस पुरानी कोठी में भी एक रिटायर्ड वीडियो श्याम मनोहर त्रिपाठी ने आकर कब्जा करके रहने लगे। उनके एक लड़का मुरलीधर था जो बैंक में मैनेजर था ।जो सुर सुंदरी का आदी था। इसलिए अकेला शहर में रहता था ।पत्नी बाल बच्चे सब रिटायर्ड वीडियो के पास ही रहते थे। पिता की सही देखभाल न होने के कारण रिटायर वीडियो एक दिन उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई ।पिता की मृत्यु के बाद भी बैंक मैनेजर के सभी बाल बच्चे इसी पुरानी कोठी में रहे और मैनेजर स्वयं अपनी आदत के अनुसार शहर में रहा। समय बदला मुलायम सिंह का राज आया ।

एक दबंग बंशीधर यादव ने बैंक मैनेजर से कहा-- आप अपने बाल बच्चे पत्नी को शहर ले जाइए। कोठी खाली कर दीजिए ।अब मैं इस कोठी में रहूंगा और यहीं पर समाजवादी पार्टी का कार्यालय खुलेगा ।बैंक मैनेजर ने सपा नेता की कोई उसकी बात को नहीं सुनी।एक रात को जब सारा कस्बा सो रहा था अपराधियों ने आकर बैंक मैनेजर के पूरे परिवार को गोलियों से भूज दिया। रिपोर्ट भी हुई ।दबंग सपा नेता के कारण कुछ भी नहीं हुआ। कुछ दिनों के बाद दबंग नेताजी ने आकर कोटी पर कब्जा कर लिया। बैंक मैनेजर कुछ भी नहीं करसके । केवल अपनी भूल पर पछताते रहे।

अपनी सुर सुंदरी आदत के कारण बच्चों को शहर नहीं ले जा सके पूरे परिवार को खो दिया ।कहते हैं नेताजी ने कब्जा तो कोठी पर कर लिया लेकिन उन्हें रात में तमाम प्रेत आत्माएं दिखाई देने लगी ।नेताजी उन प्रेत आत्माओं से इतने भयभीत हो गए की कोठी को मजबूरी मे उन्हेंकोठी को छोड़ना पड़ा ।तब से यह कोठी भूत कोठी के नाम से चर्चित हो गई । लोगों का कहना था इस कोठी मैं तमाम अकाल मृत्यु हुई है ।इसलिए उन्हें भूत यौनी मिली है ।इसीलिए यह प्रेत आत्माएं उपद्रव करती रहती है ।वो नहीं चाहती है कि कोई कोठीआकर रहे । समयकीगित को कोई नहीं जानता है ।कहते हैं एक दिन घुरेके भी दिन फिरते हैं ।

समय बदला योगी जी का राज आया ।पुरानी सभी इमारत को सरकार अपने कब्जे में लेकर उनका सुंदरीकरण कराने का ऐलान हुआ ।इन पुरातन इमारत में शिक्षा केंद्र स्कूल अस्पताल खोले जाने का ऐलान हुआ ।इसकी जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह को सौंप गई है। योगी सरकार कि इस घोषणा का जनता ने स्वागत किया तमाम धार्मिक स्थान मंदिर तथा प्राचीन इमारत का सुंदरीकरण हो रहा है ।डोकरी अतीत की यादों को करती हुई बोली-- सुना गया है इस पुरातन कोठी पर पहले भागवत कथा होगी सभी प्रेत आत्माओं को आहुति देकर विदा किया जाएगा। फिर कोठी में एक शानदार स्कूल खुलेगा। योगी जी की इस नीति जनता बहुत खुश है और कहती है अवैध कब्जे के युग चल गया।

प्राचीन इमारत के दिन फिर गए है। प्राचीन इमारत का अब नए सिरे से जिससे अतीत की संस्कृति यादे जीवित रहे। मैंने बूढी मां को बताया योगी राज में सभी अवैध कब्जे बुलडोजर के द्वारा हटा दिए जाते हैं ।दबंग माफिया अब अवैध कब्जा नहीं कर पाते हैं ।इस पुरातन कोठी की जो कायाकल्प होगी वह बड़ी प्रशंसनीय होगा। बूढी मां मुझसे बोली -- अब रात के 2:00 बज गए हैं। अब बेटा सो जाओ। चाहे तो सुबह कोठी के अंदर जाकर अंदरकोठी को देख लेना। कोठी के अंदर एक दर्जन सुंदर बड़े कमरे हैं और एक बहुत बड़ा हॉल भी है ।केवल बाहर का फाटक टूट गया है । वह भी सही हो जाएगा । डोकरी मां के इतने कहने पर मैं चुपचाप सो गया।

बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी