जवानों ने अंग्रेज अफसर को पहनाई थी जूतों की माला, बाराबंकी में खेला गया था ऐसा नाटक

Today History Independence: जवानों ने अंग्रेज अफसर को पहनाई थी जूतों की माला, बाराबंकी में खेला गया था ऐसा नाटक

Aug 11, 2024 - 09:32
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जवानों ने अंग्रेज अफसर को पहनाई थी जूतों की माला, बाराबंकी में खेला गया था ऐसा नाटक
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पास स्थित बाराबंकी ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन दिनों यहां के युवाओं के सिर पर आजादी का जुनून सवार था। इस जोश को देखते हुए सुभाष चंद्र बोस ने दरियाबाद गांव में युवाओं के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया था। वहीं महात्मा गांधी भी दो बार यहां आए। हुकूमत के खिलाफ यहां के लोग इस कदर बगावत पर उतर आए थे कि अंग्रेजों ने स्थिति पर काबू पाने के लिए कुओं में मिट्टी का तेल डलवा दिया। वर्ष 1930 में महात्मा गांधी द्वारा किए गए दांडी मार्च में भी बाराबंकी जिले से काफी लोग शामिल हुए थे।

साल 1942 में जब अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन छिड़ा, तो यहां के लोग भी उसमें कूद पड़े। इसके लिए उन्हें बड़ी यातनाएं भी झेलनी पड़ीं। जिला मुख्यालय से लगभग दस किमी दूर हरख क्षेत्र भी आज उन्हीं क्रांतिकारियों के नाम से प्रसिद्ध है। यहां के 18 लोगों ने अंग्रेज अफसर को जूतों की माला पहना दी थी और डाक एवं रेलवे स्टेशन को लूट लिया था। इनमें शिव नारायण, रामचंदर, श्रीकृष्ण, श्रीराम, मक्का लाल, सर्वजीत सिंह, राम चंद्र, रामेश्वर, कामता प्रसाद, सर्वजीत, कल्लूदास, कालीचरण, बैजनाथ प्रसाद, रामगोपाल, रामकिशुन, द्वारिका प्रसाद और मास्टर आदि शामिल थे।

नाटक में अंग्रेज अफसर को पहनाई थी जूतों की माला

वर्ष 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने इन सभी को ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया था। स्वतंत्रता सेनानी राम चन्द्र के बेटे उपेंद्र और भूपेंद्र ने बताया कि 1942 में एक अंग्रेज एवी हार्डी यहां का डीएम था। उसे सबक सिखाने के लिए गांव वालों ने स्वागत के बहाने बुलाया और उसके सामने अवधी भाषा में एक नाटक खेला। इस नाटक में हार्डी बने कलाकार को लोगों ने जूतों की माला पहना दी। उस समय अंग्रेज डीएम हार्डी को इसकी असलियत समझ में नहीं आई।

अंग्रेजों ने कुएं में डलवाया मिट्टी का तेल

अगले दिन जब हार्डी को इस नाटक की सच्चाई का पता चला, तो उसने गांव में पुलिस भेजकर कोहराम मचा दिया। लोगों के घरों में रखे अनाज कुओं में फिंकवा दिए और कुओं में मिट्टी का तेल डलवा दिया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम चन्द्र की पत्नी रमा कांति देवी के अनुसार, उनके पति ने साथियों के साथ मिलकर डाक और बिंदौरा रेलवे स्टेशन लूटकर आग के हवाले कर दिया था। गांव के प्रधान प्रतिनिधि चट्टान सिंह के अनुसार, अंग्रेजों ने 18 लोगों को जेल भेजा और जुर्माना लगाया था।

वापस हो गई थी जुर्माने की राशि

हालांकि आजादी के बाद जुर्माने की राशि 5 हजार रुपये वापस कर दी गई। इसी राशि से हरख में नया आयुर्वेदिक अस्पताल बनाया गया है। उन्होंने कहा कि आजाद भारत में इन सेनानियों की समाधि पर अब कोई फूल चढ़ाने वाला भी नहीं है। स्वतंत्रता सेनानी बाबू पुत्तुलाल वर्मा की समाधि पर जंगल और झाड़ियां उग आई हैं। ग्रामीण रामपाल ने बताया कि जिन भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने योगदान दिया, उनकी याद में गांव का प्रवेश द्वार बनाया गया है, जिस पर सभी के नाम अंकित हैं।


Important Points to Read

  • अंग्रेज डीएम एवी हार्डी को सबक सिखाने के लिए गांव वालों ने नाटक के जरिए उसे जूतों की माला पहनाई।
  • घटना के बाद अंग्रेजों ने गांव में पुलिस भेजी, अनाज कुओं में फिंकवाया और कुओं में मिट्टी का तेल डलवा दिया।
  • स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने डाक और रेलवे स्टेशन को लूटकर आग के हवाले कर दिया।
  • आजादी के बाद अंग्रेजों द्वारा लगाए गए 5 हजार रुपये के जुर्माने की राशि वापस कर दी गई, जिससे हरख में नया आयुर्वेदिक अस्पताल बनाया गया।
  • आजाद भारत में इन सेनानियों की समाधि पर कोई ध्यान नहीं देता, और उनकी स्मृति में बने प्रवेश द्वार पर सभी के नाम अंकित हैं।