कांग्रेस के नेतृत्व में इंडी गठबंधन की जाति राजनीति और बेनकाब होते राहुल गांधी
 
                                कांग्रेस के नेतृत्व में इंडी गठबंधन की जाति राजनीति और बेनकाब होते राहुल गांधी
मृत्युंजय दीक्षित
विगत दो वर्षों से विशेषकर कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सत्ता प्राप्ति और फिर लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीत लेने के बाद राहुल गांधी और इंडी गठबंधन हर समय जाति जाति कर रहा है। संभवतः उन्हें लग रहा है कि जातिगत आरक्षण ही एक ऐसा बड़ा हथियार है जिसके माध्यम से जातियों में विभाजित हिंदू समाज को आपस में लड़ाकर भारतीय जनता पार्टी राजनैतिक रूप से पराजित किया जा सकता है और कांग्रेस के अच्छे दिन वापस लाये जा सकते हैं।
राहुल गांधी अपनी तथाकथित न्याय यात्रा के दौरान हर जनसभा में जाति का मुद्दा उठाते रहे हैं यहां तक कि वो पत्रकार वार्ता में पत्रकारों और उनके मालिकों की जाति पूछते रहे हैं। राहुल गांधी सेना प्रमुखों की जाति पूछ चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी जाति के नाम पर अपमान करते रहे हैं। राहुल गांधी बहुत ही भद्दे तरीके से अपनी रैलियों में कहा करते हैं कि प्रधनमंत्री मोदी ओबीसी समाज से नहीं आते अपितु वह सामान्य वर्ग से आते हैं। जाति का नशा उनके दिमाग को इस तरह खा चुका है कि वो मर्यादा की सभी सीमाओं को तोड़ते हुए पीएमओ में कार्यरत अफसरों की जातियां पूछ रहे है, इस बार दो कदम आगे बढ़कर उन्होंने बजट सत्र के दौरान, बजट प्रस्तुत करने के पूर्व होने वाली हलवा सेरेमनी का चित्र दिखाते हुए उस प्रक्रिया में भाग लेने वाले अफसरो तक की जाति पूछ ली।
जातिगत विद्वेष फैलाने में वो इतने आगे निकल गए कि कहने लगे सवर्ण किसी परीक्षा का प्रश्नपत्र बनेंगे तो और कोई पास नहीं हो पाएगा। सांसदों की संख्या 99 होते ही राहुल गांधी अतिउत्साह में आ गये हैं और हर बात पर यही दोहरा रहे हैं कि वह जातिगत जनगणना को करा कर ही रहेंगे। राहुल गांधी बहुत ही खतरनाक व विकृत राजनीति कर रहे हैं और वस्तुतः वामपंथी एजेंडा धारी के रूप में उभर रहे हैं जिसके अंतर्गत वह हिंदू सनातन प्रतीकों को आधार बनाकर हिंदू धर्म को ही कभी हिंसक बताकर उसका अपमान कर रहे हैं और कभी अपने आप को शिवजी और अपने सभी सांसदों व सहयोगियों को शिवजी की बारात कहकर भगवान शिव और समस्त हिंदू समाज का अपमान करते हुए जातिगत जनगणना की बात करते हैं।
भारत विरोधी ताकतें जो कभी नहीं चाहतीं कि भारत सशक्त होकर उभरे और विकसित राष्ट्रों में स्थान बनाए वो सभी राहुल के इस विषवमन के पीछे हैं। हिंदू समाज को जाति के आधार पर लड़ाकर देश को कमजोर करने के लिए ही जाति का मुद्दा हिंसात्मक रूप लेने की कगार तक उछाला जा रहा है जिसका नेतृत्व गांधी परिवार कर रहा है। बात बात पर जातिगत जनगणना की मांग करने वाले राहुल गांधी के पिता स्वर्गीय राजीव गांधी, दादी इंदिरा गांधी, दादी के पिता जवाहर लाल नेहरू सभी जातिगत जनगणना के प्रबल विरोधी थे। इन सभी का मत था कि जातिगत जनगणना से भारत खंड- खंड में विभाजित होकर कमजोर हो जायेगा ।
अगर जातिगत जनगणना देश के लिए इतनी ही अनिवार्य थी तो 2004 से लेकर 2013 तक जब कांग्रेस की ही सरकार परोक्ष रूप से स्वयं राहुल गांधी की माँ सोनिया गांधी चला रही थीं तब उन्होंने जातिगत जनगणना क्यों नही करवाई? वर्तमान में जो कांग्रेस शासित राज्य हैं, वहां के मुख्यमंत्री जातिगत जनगणना क्यों नहीं करवा पा रहे हैं? कांग्रेस जाति के नाम पर राजनीति करती है और इसीलिए कांग्रेस के जातिगत जनगणना पर विचार भी बदलते रहते हैं। 2010 में यूपीए की सरकार के समय लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव और शरद यादव जैसे कद्दावर नेताओं ने जातिगत जनगणना का मुददा उठाया था तब के कांग्रेस के बड़े नेताओं पी चिदम्बरम, आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक ने इसका पुरजोर विरोध किया था।
आनंद शर्मा आज भी जातिगत जनगणना का विरोध कर रहे हैं। जाति जनगणना करायेंगे पर जाति नहीं बतायेंगे- राहुल गांधी व संपूर्ण विपक्ष जाति जाति की रट तो लगा रहा है किंतु कोई उनकी जाति पूछ ले तो आगबबूला हो जाता है। यह लोग जाति जनगणना तो कराना चाह रहे हैं लेकिन अपनी जाति नहीं बता पा रहे है जिससे यह भी प्रतिध्वनि निकलती है कि इनके मन में कितनी खोट है और इनका एकमात्र उद्देश्य हिंदू समाज को गली -गली में जातीय दंगों की ज्वाला में झुलसाना है ताकि ये किसी एक जाति के मसीहा बनकर अपना स्वार्थ सिद्ध कर सकें। संसद के बजट सत्र में जाति जनगणना का मुद्दा उस समय बहुत गर्म हो गया जब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर आपस में भिड़ गये।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बजट चर्चा के दौरान बोलते हुए कहा कि “जिसकी जाति का पता नहीं वह जाति गणना की बात करता है” उसके बाद राहुल गांधी और अखिलेश यादव बुरी तरह से भड़क गये । राहुल गांधी को यह बात इतनी आपत्तिजनक लगी कि उन्होंने कहा कि सदन में उनका अपमान किया गया है और आगे जोड़ा कि जो लोग एससी एसटी दलित व पिछड़ो की बात करते हैं उन्हें गालियां खानी ही पड़ती हैं ।
सपा नेता व सांसद अखिलेश यादव तो इतने उत्तेजित हो गए कि चीखने लगे कि आप किसी से उसकी जाति कैसे पूछ सकते हैं? इस विवाद ने एक ही झटके में राहुल और अखिलेश दोनों को बेनकाब कर दिया है क्योंकि यह दोनों ही सार्वजानिक रूप से सामान्य लोगों से उनकी जाति पूछकर उनका अपमान करते रहे हैं। यह लोग न केवल आम पत्रकारों और सरकारी अधिकारियों वरन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी जाति के आधार पर अपमानित करते रहे हैं तब न तो किसी ने इन पर मुकदमा दर्ज करवाया न ही धरना प्रदर्शन या पुतला फूंक कार्यक्रम हुआ किन्तु इसके विपरीत जब से हिमाचल के सांसद अनुराग ठाकुर ने राहुल की जाति पूछ ली है तब से ये लोग अनर्गल आरोप लगा रहे हैं कि अनुराग ठाकुर ने सदन में इनको गाली दी।
सोशल मीडिया तथा टी वी चैनलों पर इनके प्रवक्ता दहाड़ मारकर रो रहे हैं । जब खुद की जाति बताने की बात आई तो अपना अपमान नजर आने लगा, यह वही बात हो गयी है कि गुड़ खाएंगे पर गुलगुले से परहेज करेंगे। राहुल गांधी और अखिलेश यादव को यदि भारत के सामान्य गरीब व्यक्ति की जाति पूछने का अधिकार है और यह लोग उसके आधार पर कहीं पर किसी को भी अपमानित कर सकते है तो जनता को भी ये अधिकार है कि वह इनसे इनकी जाति और धर्म का ब्यौरा ले । आज भारत की जनता यह पूछना चाह रही है कि आखिर राहुल गांधी जाति क्यों छिपा रहे हैं?
कहीं चोर की दाढ़ी में तिनका तो नहीं है ? क्या बिना जाति बताये होगी जनगणना?- राहुल गांधी अपनी जाति बताने में सकपका रहे हैं क्योंकि इससे उनके परिवार का इतिहास बेपर्दा हो जायेगा। वह जाति कैसे बता सकते हैं क्योंकि उनको तो अपना धर्म भी नहीं पता, उनका धर्म चुनाव दर चुनाव बदलता रहता है, उनके नाना अपने नाम के पीछे नेहरू और आगे पंडित लगाते थे। दादी ने पारसी से विवाह किया लेकिन पिता राजीव गांधी भी अपने आप को ब्राह्मण ही बताते रहे। माँ कैथोलिक ईसाई है लेकिन राहुल गांधी ने एक बार पुष्कर यात्रा के दौरान वहां पर स्वयं को कश्मीरी कौल ब्राह्मण बताते हुए अपना गोत्र दत्तात्रेय बताया था। पार्टी प्रवक्ता ने मीडिया में आकर कहा राहुल गांधी जनेऊधारी हिन्दू हैं।
अब अगर राहुल गांधी वास्तव में ब्राहमण हैं तो उन्हें स्वीकार करना चाहिए था लेकिन अगर उनका बप्तिज्मा हो चुका है तो वो भी जनता को बताना चाहिए । अब जाति जनगणना की मांग करने वाले राजनीतिक दलों व नेताओं को यह समझना पड़ेगा कि जिस बात को पूछने पर आप अपमानित महसूस करते हैं उस बात को बताये बिन जाति जनगणना संभव नही है।
अनुराग ठाकुर के बयान पर राहुल गांधी व फिर कांग्रेस तथा अखिलेश यादव का भड़कना विचारों का द्विधाग्रस्त होने के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। जाति के नैरेटिव के कारण ही उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में भाजपा की सीटें कम हो गईं हैं यही कारण है कि राहुल गांधी एंड कंपनी को लग रहा है कि जाति एक ऐसा मुद्दा है जिसके आधार पर भाजपा को हराया जा सकता है और वो उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 







 
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            