फर्जी नाम 11 बार UPSC एग्जाम, ऐसे गई खेडकर IAS की अफसरी

फर्जी नाम 11 बार UPSC एग्जाम, ऐसे गई खेडकर IAS की अफसरी

Aug 1, 2024 - 21:18
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फर्जी नाम 11 बार UPSC एग्जाम, ऐसे गई खेडकर IAS की अफसरी
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आखिरकार आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर अब एक्स आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर बन ही गईं. पूजा खेडकर पर लगे धांधली और जालसाज़ी के इल्ज़ामों के मद्देनजर जिस बात का डर था, वही हुआ. यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन यानी यूपीएससी ने ट्रेनी आईएएस के तौर पर उनकी उम्मीदवारी को खारिज कर दिया।

यूपीएससी ने ना सिर्फ उनकी उम्मीदवारी खारिज की, बल्कि आगे भी उसके किसी इम्तेहान या चयन में शामिल होने पर रोक लगा दी. आइए आपको बताते हैं धोखेबाज पूजा की पूरी कहानी। 'आज तक' ने पूजा खेडकर पर लटकती उम्मीदवारी खारिज होने की तलवार का खुलासा किया था और ये बताया था कि उन्हें एक आईएएस के ओहदे से हमेशा-हमेशा के लिए हटाया जा सकता है और अब वही हो गया।

पूजा खेडकर का ये मामला कितना संगीन है, इसका अंदाज़ा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूजा खेडकर के इस केस को देखते हुए यूपीएससी ने अपने एसओपी यानी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोशेड्योर में भी तब्दीली लाने का फैसला किया है, ताकि फिर कभी कोई यूपीएससी की आंखों में धूल झोंक कर नियम से हट कर ज़्यादा बार परीक्षाओं में शामिल ना हो सके। यूपीएसपी ने कहा है कि पूजा खेडकर का मामला अकेला ऐसा केस है, जिसमें यूपीएससी उनके दावेदारी की पहचान नहीं कर सका, क्योंकि पूजा ने सिर्फ अपना ही नहीं, बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था।

यूपीएससी ने कहा है कि उसके पास उपलब्ध दस्तावेज़ों की शुरुआती जांच से ये साफ हो चुका है कि पूजा खेडकर ने सिविल सर्विसेज़ एग्जामिनेशन यानी सीएसई-2022 के नियमों का उल्लंघन किया। यूपीएससी ने 18 जुलाई को पूजा खेडकर को इस सिलसिले में एक कारण बताओ नोटिस जारी किया था और पूछा था कि आखिर उन्होंने कैसे फ़र्ज़ी तरीके से अपनी पहचान बदल कर लिमिट से ज्यादा बार यूपीएससी की परीक्षाओं में हिस्सा लिया?

उन्हें अपना जवाब देने के लिए 25 जुलाई तक वक्त दिया गया था, हालांकि पूजा ने फिलहाल जवाब देने के लिए 4 अगस्त तक का वक़्त मांगा है. जिस पर यूपीएससी ने उन्हें 30 जुलाई की दोपहर साढ़े तीन बजे तक का समय दिया था, ताकि वो अपना पक्ष रक सकें, लेकिन इसके बावजूद पूजा ने अपनी बात नहीं रखी. और तब यूपीएससी ने ये फैसला लिया। यूपीएससी ने पूजा को साफ कह दिया था कि यूपीएससी के लिए उसे 30 जुलाई से ज्यादा वक़्त देना मुमकिन नहीं है।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पूजा खेडकर के मामले को देखते हुए ही यूपीएससी ने साल 2009 से लेकर साल 2023 तक यानी पिछले 15 सालों के सारे उम्मीदवारों को इम्तेहान में भाग लेने की बारी की जांच की, ताकि ये पता चल सके कि किसी ने पूजा खेडकर की तरह नियमों को धत्ता बता कर दिए गए अटैम्पट की सीमा से ज्यादा बार तो इम्तेहान नहीं दिया, लेकिन इन 15 सालों में इकलौता पूजा खेडकर का मामला ही ऐसा रहा, जिसमें किसी कैंडिडेड ने नियमों का उल्लंघन कर धोखे से ज्यादा पर इम्तेहान दिया. और ऐसा इसलिए मुमकिन हो सका क्योंकि पूजा ने अपने साथ-साथ अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था।

यूपीएससी ने अभ्यर्थियों की ओर से जमा किए जाने वाले दस्तावेजों को लेकर भी अपना पक्ष साफ किया है. उसने कहा है कि चाहे वो जाति संबंधी प्रमाण पत्र हो, दिव्यांगता संबंधी या फिर कुछ और, यूपीएससी दस्तावेज़ों की सिर्फ प्राथमिक जांच करती है. मसलन यूपीएससी ये चेक करती है कि सर्टिफिकेट कंपिटेंट ऑथोरिटी की ओर से है या नहीं, उसपे दर्ज साल और दूसरे ब्यौरे सही हैं या नहीं, कहीं कोई ओवर राइटिंग तो नहीं है, वगैरह. अब बात पूजा खेडकर पर लगे धांधलीबाज़ी के आरोपों की।

अपने सीनियर के कमरे पर कब्ज़ा, प्राइवेट गाड़ी पर लाल-नीली बत्ती लगा कर रौब-दाब दिखाना पूजा खेडकर को इतना भारी पड़ा कि उनके खिलाफ यूपीएससी ने जांच की शुरुआत कर दी. और इसके लिए बाकायदा एक, एक सदस्यीय कमेटी बना दी गई. और इस कमेटी ने पूजा के आईएएस बनने को लेकर जिस सबसे बड़े घोटाले से पर्दा उठाया, वो उम्र को लेकर की गई जालसाज़ी ही है। यूपीएससी की रिपोर्ट की मानें तो पूजा खेडकर ने यूपीएससी इम्तेहान में चयन के लिए यूपीएससी के नियमों के तहत मान्य अधिकतम सीमा से भी अधिक बार परीक्षा दी. और उसका लाभ उठाया है।

इस जांच से यह पता चला है कि उसने अपना नाम, अपने पिता और माता का नाम, अपनी तस्वीर/हस्ताक्षर, अपनी ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर अपनी फर्जी पहचान बनाकर परीक्षा नियमों के तहत स्वीकार्य सीमा से अधिक प्रयास का धोखाधड़ी से लाभ उठाया। दरअसल, यूपीएससी के एग्जाम में बैठने के लिए अलग-अलग कैटेगरी के तहत उम्मीदवारों को अलग-अलग मौके मिलते हैं. मसलन जनरल कैटेगरी का कोई भी उम्मीदवार 32 साल की उम्र से पहले तक कुल छह बार यूपीएससी का एग्जाम दे सकता है।

ओबीसी कैटेगरी के तहत 35 साल की उम्र तक कुल 9 बार इम्तेहान देने की छूट है. जबकि एससी एसटी कोटा के तहत 37 साल की उम्र तक यूपीएससी के इम्तेहान में बैठा जा सकता है. यूपीएससी के इस बयान से साफ है कि पूजा खेडकर ने एग्जाम क्लीयर करने के लिए तय सीमा से ज्यादा बार इम्तेहान दिया. और इसके लिए हर बार उसने नए नाम और नए पहचान का सहारा लिया। अब जब उम्र से जुड़ी धांधली करनी थी, तो जाति भी बदलनी थी और जाति बदलने के लिए पूजा खेडकर अपने मां-बाप का नाम तक बदल डाला।

 यूपीएससी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि पूजा खेडकर ने अपना नाम, अपने पिता और माता का नाम, अपनी फोटो, सिग्नेचर, अपनी ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता तक बदल डाला और तय सीमा से ज्यादा बार यूपीएससी की परीक्षा दी. पूजा ने ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर के कोटे से यूपीएससी का इम्तेहान पास किया, जबकि खुद पूजा के नाम पर 17 से 20 करोड़ के आस-पास की प्रॉपर्टी है. जिससे लाखों रुपये किराया भी आता है।

अब यूपीएससी के इम्तेहान में बैठने वाले नॉन क्रीमी लेयर के छात्रों का पैमाना ये है कि उनकी आमदनी सालाना 8 लाख से कम होनी चाहिेए. असल में अभी हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में पूजा के पिता दिलीप खेडकर भी चुनाव में कूद पड़े थे, जनाब चुनाव तो हार गए, लेकिन चुनाव आयोग को सौंपा गया संपत्ति का उनका ब्यौरा अब खुद उनके साथ-साथ उनकी बेटी के गले पड़ गया है. चूंकि संपत्ति के ब्यौरे में अपने अलावा उन्होंने पत्नी और बेटी की भी जानकारी दी थी, तो पता चला पूरा परिवार आधा अरबपति है।

यानी पूजा नॉन क्रीमी लेयर से नहीं आती। पूजा खेडकर पर एक इल्ज़ाम ग़लत तरीके से खुद को दिव्यांग बता कर आईएएस के इम्तेहान में फायदा लेने का भी है. असल में पुणे के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल ने पूजा को सात प्रतिशत दिव्यांग घोषित किया था. उनके बांये घुटने में लोकोमोटर दिव्यांगता की बात कही गई थी. लेकिन इसी अस्पताल के फिजियोथेरेपरी डिपार्टमेंट की रिपोर्ट कहती है कि पूजा खेडकर को कोई दिव्यांगता है ही नहीं।

यानी अब पूजा की दिव्यांगता सर्टिफिकेट को लेकर खुद अस्पताल प्रशासन भी सवालों के घेरे में है। इल्ज़ाम नंबर-5- नज़र का धोखा या नज़र की धांधली? अब तक के ये घोटाले और इल्ज़ाम भी मानों कम थे कि यूपीएससी की जांच में ये साफ हो गया कि पूजा ने गलत तरीके से यूपीएससी का इम्तेहान पास करने के लिए खुद को मानसिक दिक्कत होने और अपनी नज़रें कमज़ोर होने की भी बात कही थी. खेडकर ने इसके लिए बाकायदा यूपीएससी में सर्टिफिकेट दिया था. इस मेडिकल सर्टिफिकेट के मुताबिक उन्हें मानसिक दिक्कत है और नजरें कमजोर, रौशनी जा रही है।

मानसिक दिक्कत के बारे में उन्होंने बताया कि उन्हें चीज़ें याद नहीं रहती. यूपीएससी मे ऐसे छात्रों के लिए बाकायदा दिव्यांग कोटा होता है। पर यहां तो पूजा के पास कई हथियार थे. ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर का हथियार था. और दिव्यांगता का वार भी था. इन दोनों के बलबूते पर उन्होने यूपीएससी का इम्तेहान क्लीयर किया और 2022 में ऑल इंडिया रैंक 821 के साथ आईएएस बन गई. हालांकि रिटर्न और इंटरव्यू को मिलाकर पूजा के जो कुल नंबर आए थे, अगर वही नंबर किसी जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट को आता, तो सवाल ही नहीं था कि वो ये इम्तेहान पास कर पाती।

नियम के मुताबिक पोस्टिंग से पहले यूपीएससी ने दिव्यांगता के सारे सबूत पूजा से मांगे. इसके लिए यूपीएससी ने बाकायदा एम्स में पूजा की जांच कराने का फैसला किया. यूपीएससी सिर्फ सरकारी अस्पतालों की रिपोर्ट को ही मानता है. यूपीएससी इस रिपोर्ट के जरिए इस बात की तस्दीक करना चाहता था कि पूजा को सचमुच मानसिक बीमारी है और उनकी नजरें कमजोर हैं. पूजा के मेडिकल टेस्ट के लिए यूपीएससी ने कुल छह बार एम्स में डॉक्टरों से अप्वाइंटमेंट लिया. पर आपको जानकर हैरानी होगी कि पूजा हर बार बहाना बना कर टेस्ट से बचती रही. और यूपीएससी की जांच में ये बात भी पूजा के खिलाफ गई।

यूपीएससी ने सबसे पहली बार 22 अप्रैल 2022 को पूजा को एम्स में टेस्ट के लिए जाने को कहा. पूजा नहीं गई. बाद में उसने बहाना किया कि चूंकि कोरोना है. इसलिए वो अस्पताल नहीं जाना चाहती थी. इसके बाद 26 मई 2022 को दूसरी बार पूजा को एम्स जाने को कहा गया. वो तब भी नहीं गई. फिर 1 जुलाई 2022, 26 अगस्त 2022, 2 सितंबर 2022 और 25 नवंबर 2022 को भी पूजा को टेस्ट के लिए एम्स जाने को कहा गया. इस दौरान उसका एमआरआई भी किया जाना था, ताकि ये पता किया जा सके कि उसकी रौशनी जाने की वजह क्या है. पर पूजा बार-बार यूपीएससी के कहने के बावजूद टेस्ट के लिए नहीं गई।

कुछ वक्त बाद पूजा ने एक प्राइवेट हॉस्पीटल का मेडिकल सर्टिफिकेट यूपीएससी को सौंप दिया. पर यूपीएससी ने प्राइवेट हॉस्पीटल की रिपोर्ट लेने से इनकार कर दिया. इसी के बाद यूपीएससी ने पूजा का मामला कैट यानी सेंट्रल ए़़डमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के पास भेज दिया. कैट ने भी पूजा की दिव्यांगता को लेकर प्राइवेट हॉस्पीटल के मेडिकल सर्टिफिकेट को मानने से इनकार कर दिया. कायदे से इसके बाद पूजा की कहीं तैनाती नहीं होनी चाहिए थी. लेकिन हैरत अंगेज तौर पर इसी साल जून में पूजा को महाराष्ट्र कैडर देते हुए पुणे में ट्रेनी आईएएस अफसर के तौर पर असिस्टेंट कलेक्टर बना कर भेज दिया गया।

पूजा की इस तैनाती का फरमान डीओपीटी यानी डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग की तरफ से जारी किया गया था। फिलहाल हर तरफ से घिरी पूजा ने अब अदालत के दरवाज़े पर दस्तक देते हुए अग्रिम जमानत की मांग की है. पूजा ने कहा है कि उसने कोई धांधली या धोखाधड़ी नहीं की, बल्कि अपनी तरफ से जो भी सही दस्तावेज हैं, यूपीएससी के सामने वही पेश किए।

 पूजा ने अपनी जमानत की अर्जी में कहा है कि वो अपनी उम्र में काफी छोटी हैं और इस मामले में पुलिस या जांच अधिकारियों को प्रभावित करने की हैसियत में भी नहीं है। उसके केस से जुड़े जो भी दस्तावेज हैं, वो पहले ही जांच एजेंसियों के पास हैं, ऐसे में उसके पास से कुछ ज़ब्त करने जैसी बात भी नहीं है. ऐसे में उसे जमानत दी जानी चाहिए। हालांकि पूजा की इस अर्जी पर अदालत का फैसला आना अभी बाकी है।