नारी का सम्मान

Jul 27, 2024 - 12:09
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नारी का सम्मान

अपने प्राइमरी स्कूल मे गुरु शिष्य संबंध परंपरा पर मैने आज स्कूल मेजोरदार भाषण दिया । गांव के प्रधान रामजीलाल ने मुझे 500 रुपया का इनाम भी दिया । मां ! गुरु ही अपने शिष्य को शिक्षा देकर महान बनाता है। मां ! मैं भी देश हित शिक्षक बनूंगी मैं भी समाज को शिक्षित करूंगी जिससे जाति से ऊपर उठकर व्यक्ति समाज के लिए काम कर सकेगा मां सिया देवी मुस्कुराई और बेटी से बोली-- बेटी समाज सेवा वही लोग कर सकते हैं जो लोग धन बल बाहुबल से मजबूत होते हैं।

अपने धन के बल पर समाज सेवी संस्थाएं खोलते हैं और इन संस्थाओं के नाम पर सौरत कमाते हैं फिर राजनीति में कूद कर अवैध धंधे करते हैं । बेटी ! तुम नही जानती हो बाहुबली लोग ही दिखावा के लिए कमजोर लोगों की मदद करते हैं,। फिर उन्हीं की जमीन जायदाद हड़प लेते हैं। आज कल राजनीतिमें इन्हीं बाहुबली धनबली लोगो का कब्जा है ।

सीधे सच्चे ईमानदार लोगों को कौन पूछता है। मां की बातों को सुनकर तुनक कर बेटी बोली- मां ! तुम कहां की अल्लाह लेकर बैठ गई। गुरु जी ने ही अपने भाषण में कहा था कि महात्मा गांधी ने आत्मवल सत्यवल विश्वास बाल पर अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी और इसी सत्य अहिंसा बल पर अंग्रेजों को देश से भगाया था। बेटी की बातों को सुनकर मां हंसी और बोली -बेटी ! अभी तुम्हारी समझ में यह बातें नहीं आएगी ,जब और बड़ी हो जाओगी तब जानोगी गांधी ने ही अकेले नहीं नेताजी सुभाष भगत सिंह ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी ।

जिससे डरकर अंग्रेज भागे थे ।अब तू खाना खा और सो जा । बेटी शकुन्तला ने मां के साथ खाना खाया और चुपचाप सो गई। समय तेजी से बढ़ रहा था । अब 8 वर्ष की छोटी शकुंतला अब 14 वर्ष की हो गई थी । कक्षा 8 पास करके अपनी मां से बोली- मा ! मैआगे की पढ़ाईऔर करूंगी । माधवगढ़ के श्री नंदन इंटर कॉलेज मे एडमिशन लूंगी और वहीं से हाई स्कूल इंटर फर्स्ट डिवीजन से पास करूंगी । बेटी की बात सुनकर मां बोली बेटी तू जानती नहीं है मेरी आर्थिक दशा सही नहीं है। मैं तुझे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाऊगी ।

जब तू एक वर्ष की थी तेरे बाबा चंद्र मोहन बहुत बीमार पड़ गए उन के इलाज में तेरे पापा ने जो दो बीघा जमीन थी उसे बेच कर तेरे बाबा का इलाज कराया था। लेकिन वह बचे नहीं उनकी मौत हो गई। तेरे पिता को अपने पिता के मरने का इतना सदमा लगा उन्हें हार्ट अटैक पड गया । उनके भी इलाज पर जो घर में पूंजी बची थी उसको खर्च करने के बाद भी मैं तेरे पिता को नहीं बचा पाई और मैं विधवा हो गई ।तू जानती है तेरी ताई के यहां मैं अब नौकरानी बनकर काम कर रही हूं ।जो पैसा मिलता है उसी से घर का काम चलता है। मां सिया देवी की बात को सुनकर शकुंतला बोली-- मां अब मैं नहीं पढ़ूंगी ।किसी के यहां काम करके पैसा कामाऊंगी ।

दूसरे दिन सुबह होते ही शकुंतला गुरु के घर पहुंची और गुरु से कहा-- गुरुजी आर्थिक तंगी के कारण अब मैं आगे नहीं पढ़ पाऊंगी। आप कृपा करके स्कूल की या घर की सफाई करने का काम दे दीजिए। जो पैसा दे देंगे चुपके से ले लूंगी। शकुंतला की बात को सुन कर 56 वर्षी गुरु पंडित रामदेव बोले -बेटी गुरु पिता की तरह होता है । मैं तेरा ऐडमिशन श्री नंदन इंटर कॉलेज में कराऊंगा। वहां के प्रिंसिपल से कहकर तेरी फीस माफ कर आऊंगा । कॉलेज से तुझे किताबें कॉपी के साथ वजीफा भी मिलेगा और मैं भी तेरी आर्थिक सहायता करूंगा । गुरु की बात को सुनकर शकुंतला अपने आंसू पहुंछते हुए बोली- गुरुजी मै मन लगाकर पढ़ूंगी।

हाई स्कूल इंटर में फर्स्ट डिवीजन लाऊगी। गुरु जी ने शकुंतला के सिर पर हाथ फेरा और कहा -बेटी हिम्मत से काम लो। कल सवेरे आ जाना । मैं तुम्हारे साथ कॉलेज चलूंगा। एडमिशन करा कर सारी व्यवस्था कर दूंगा। गुरु जी की बात सुनकर शकुंतला खुशी-खुशी होकर अपने घर चली आई । घर पर आकर मां को सब पूरी बात बताई । पूरी बात सुनकर मां खुश हो गई और बोली --गुरु तो भगवान होता है। गुरु के प्रति जो श्रद्धा करता है गुरु से सब मिल जाता है। आज की पीढ़ी में यह कमी है ।गुरु पर पूरी श्रद्धा नही रखते हैं ।इसीलिए शिक्षा अधूरी रहती है ।दूसरे दिन शकुंतला गुरु के निवास स्थान पर पहुंच गई और गुरु के साथ एडमिशन कराने के लिए कॉलेज आ गई ।

कॉलेज के चपरासी ने जैसे ही हेड मास्टर रामदेव का नाम लेकर कॉलेज के प्रिंसिपल को बताया कि आपसे रामदेव मिलन चाहते हैं जैसे ही प्रिंसिपल बाबू राम श्रीवास्तव ने रामदेव का नाम सुना वह अपनी कुर्सी से उठकर बाहर आए और रामदेव के पैर छुए और कहा --अपने यहां आने तक का क्यों कष्ट किया ?आप घर पर ही मुझे बुला लेते ।हेड मास्टर पंडित रामदेव मुस्कुराए और बोले प्यासे को खुद कुआं के पास जाना पड़ता है। शकुंतला की ओर इशारा करते हुए कहा - यह लड़की मेरी बेटी के समान है।

आप के कॉलेज में पढ़ना चाहती है। यह बहुत गरीब है। इसका एडमिशन करके इसकी फीस किताबें तथा आर्थिक सहायता दे। कॉलेज केप्रिंसिपल बाबू राम श्रीवास्तव बोले -आप जैसा कहेंगे वैसा ही होगा। आप अंदर चलकर बैठिए। शकुंतला के साथ आए हुए हेड मास्टर को प्रिंसिपल साहब ने अपनी कुर्सी बैठाया और कझा9 ए के टीचर को बुलाकर शकुंतला के एडमिशन की पूरी कार्यवाही कराई ।शकुंतला के एडमिशन होने के बाद हेड मास्टर पंडित रामदेव प्रिंसिपल का नाश्ता करने के बाद अपने घर चले आए ।

शकुंतला से बाबूराम श्रीवास्तव बोलेे- बेटी अब हेड मास्टर साहब को दोबारा मत लाइए ।वह मेरे गुरु है । उन्होंने मुझे पढ़ाया है ।मैं इनका बहुत आदर करता हूं ।तुम्हारी किताब कोपीफीसआर्थिकसहायता व्यवस्था कर दी जाएगी। मन लगाकर पढ़ना औरबोर्ड की परीक्षा में अपनी पोजीशन लाना ।शकुंतला ने कहा -प्रिंसिपल साहब आप मेरे गुरु है । मैं मन लगा कर पढ़ूंगी और हाई स्कूल इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा में से हर हालतमें प्रथम पोजीशन लाऊंगी ।प्रिंसिपल के पैर छूकर शकुंतला अपने क्लास में चली गई ।

कहते हैं जब अच्छे दिन आते हैं सफलता के सभी रास्ते खुद ही खुल जाते हैं। इन चार वर्षो के अध्ययन काल में गोरे गठीले बदन तथा मोहनी सूरत वाली शकुंतला पर अनेक युवा युवको ने अपने प्रेम मोहब्बत प्यार के , डोरे डाले। लेकिन शकुंतला किसी के जाल में नहीं आई और हर प्रलोभन को ठुकराती रही। लगन परिश्रम से अपनी पढ़ाई करती रही। परिणाम अच्छा निकला । हाई स्कूल इंटर मे बोर्ड की परीक्षा में प्रथम श्रेणी तथा उत्तर प्रदेश में प्रथम स्थान पाया और अपने कॉलेज गुरु माता-पिता का मान सम्मान बढ़ाया।

बोर्ड की परीक्षा में जब शकुंतला ने पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान पाया तो प्रिंसिपल बाबूराम श्रीवास्तव को अपार खुशी हुई और उन्होंने शकुंतला को सम्मानित करने के लिए कॉलेज में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें प्रिंसिपल ने अपने गुरु पंडित रामदेव को और शकुंतला की विधवा मां सिया देवी को आमंत्रित किया। दोनो विभूति कार्यक्रम में आई । जिनका शकुंतला के साथ कार्यक्रम में सम्मान किया गया । इस कार्यक्रम की व्यवस्था प्रधानाचार्य बाबूराम श्रीवास्तव के पुत्रप्रोफेसर किशोर कांत नेकी ।

सम्मान करते हुए प्रधानाचार्य बाबूराम ने कहा--आज के युग में पंडित रामदेव जैसे प्रधान अध्यापक शिक्षक बहुत कम मिलेंगे जो अपने छात्र-छात्राओं की स्कूल छोड़ने पर भी चिंता रखते हो । पंडित रामदेव ने भी कहा- आज के युग में बहुत कम शिष्य मिलेगे जो अपने गुरु का हमेशा सम्मान करना जानते हो ।बाबूराम श्रीवास्तव इसी तरह के प्रधानाचार्य है । जिन्होंने गुरु का सम्मान किया है और आज गुरु के कहने पर अपने पुत्र किशोर कांत की शादी दहेज लिए बगैर विधवा गरीब सिया देवी की पुत्री शकुंतला के साथ किया ।

प्रिंसिपल ने गुरु को यह भी आश्वासन दिया है की शकुंतला की शिक्षा जारी रहेगी और जो शकुंतला की इच्छा है की प्रोफेसर बनकर छात्र-छात्राओं को निशुल्क शिक्षा देगी शकुंतला की यह इच्छा पूरी की जाएगी। इस विवाह समारोह में सात भवर लेते हुए किशोर कांत ने भी अपनी स्वीकृति दीहै यह एक आदर्श दहेज रहित विवाह होगा। बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी