मुस्लिम तुष्टीकरण का खेल हो रहा और तेज क्या है विपक्ष की आक्रामक बयानबाजी का अर्थ?
 
                                मुस्लिम तुष्टीकरण का खेल हो रहा और तेज क्या है विपक्ष की आक्रामक बयानबाजी का अर्थ?
मृत्युंजय दीक्षित
अट्ठारहवीं लोकसभा के प्रथम संक्षिप्त सत्र में कांगेस नेता राहुल गांधी ने विपक्ष के नेता के रूप में अपने पहले संबोधन में अपमानजनक तरीके से शिव जी का चित्र लहराया और हिंदू समाज को हिंसक कहते हुए अपना चुनावी नारा डरो मत- डराओ मत भी दोहराया। राहुल गांधी का विपक्ष के नेता के रूप में पहला वक्तव्य सनातन, हिन्दू तथा भारत विरोधी शक्तियों का एकत्रीकरण करने के लिए दिया गया वक्तव्य था।
जो लोग उनकी बातों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं या जानकर भी अपने स्वार्थों के चलते मौन हैं आने वाला समय उन्हें क्षमा नहीं करेगा। मोदी जी के जीतने पर संविधान बदलने के झूठ का सहारा लेकर भी कांग्रेस के नेतृत्व वाला इंडी गठबंधन एक बार फिर सरकार बनाने में नाकाम रहा है और हताशा में डूबा हुआ है। उसने येन केन प्रकारेण सरकार गिरा कर सत्ता प्राप्त करने के लिए देश को अराजकता के वातावरण में झोंकने के लिए हरसंभव प्रयास करना आरम्भ कर दिया है।
लोकसभा में कांग्रेस व इंडी गठबंधन के सांसदों की संख्या बढ़ जाने के कारण जो कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन शांत बैठै थे वह आक्रामक होकर बाहर आ गये हैं। देश के कई हिस्सों में घट रही अनेकानेक घटनाएं जो भले ही देखने में छोटी लगें किंतु हैं बहुत खतरनाक इन घटनाओं की अनदेखी की गयी तो राष्ट्रीय, सामाजिक और संविधान की दृष्टि से भी बड़ा खतरा बन सकता है।लोकतंत्र व अभिव्यक्ति की आजादी के बहाने भारत के अंदर अराजकता फ़ैलाने का प्रयास किया जा रहा है और साथ ही पूरी दुनिया में यह झूठ फैलाया जा रहा है कि भारत में घोर तानाशाही है।
कांग्रेस व इंडी गठबंधन की संख्या बढ़ जाने के बाद उनके लिए वोट बटोरने वाले मुस्लिम संगठन, उच्चतम और उच्च न्यायालयों द्वारा दिए जा रहे निर्णयों की निंदा कर रहे हैं। पहले शिया संगठनों ने कहा कि वह देश में किसी भी हालत में समान नागरिक संहिता नहीं लागू होने देंगे क्योंकि यह उनके शरिया कानून का उल्लंघन होगा। फिर जमीयत ने सरस्वती वंदना, सूर्य नमस्कार और योग का विरोध प्रारम्भ कर दिया और मुस्लिम छात्रों से अपील की कि वह विद्यालयों में सरस्वती वंदना और सूर्य नमस्कार का बहिष्कार करें।
इसी बीच उच्चतम न्यायलय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दे दिया है कि ”तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी गुजारा भत्ता पाने का हक है। निर्णय सुनाते हुए माननीय न्यायलय ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 का प्रावधान धर्मनिरपेक्ष है और सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होगा। ” यह निर्णय आने के बाद मुस्लिम जगत में हाहाकार मच गया। इस निर्णय ने राजीव गांधी के कार्यकाल में हुए शाहबानो प्रकरण की याद दिला दी। यह बात 1985 की है जब शाहबानो जो इंदौर की एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला थी, ने गुजारा भत्ता प्राप्त करने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और न्यायालय ने शाहबानो के प़क्ष में निर्णय देते हुए सीआरपीसी की धारा 125 के तहत उनके पति मोहम्मद अहमद खान को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।
कट्टर मुस्लिम संगठनों ने इस निर्णय का विरोध करना प्रारम्भ कर दिया और तुष्टीकरण वाली पार्टी कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संसद में कानून बनाकर उच्चतम न्यायालय का निर्णय पलट दिया। आज लगभग 40 वर्षों के बाद भी मुस्लिम संगठनों ने 1985 की ही तरह उच्चतम न्यायालय के निर्णय का विरोध करना प्रारम्भ कर दिया है और उनकी मंशा यही है कि जिस प्रकार राजीव गांधी ने उच्चतम न्यायालय का निर्णय संसद में बिल लाकर पलट दिया था वैसा ही इस बार भी हो जो वर्तमान संभव दिख रहा इसलिए मुस्लिम संगठन बदली हुई रणनीति अपनाकर माननीय सुप्रीम कोर्ट पर ही दबाव बनाने लग गये हैं कि वह अपना फैसला पलटे। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय संविधान प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता का हनन कह रहा है।
पर्सनल ला बोर्ड का कहना है कि अदालत का फैसला इस्लामी कानून के खिलाफ है ओैर उससे मतभेद करता है। यह फैसला उन महिलाओं के लिए समस्या पैदा करेगा। मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का भी फैसला लिया है। फिलहाल क्योंकि ऐसा नहीं लग रहा है कि उच्चतम न्यायालय या फिर मोदी सरकार राजीव गांधी की तरह कदम उठायेगी कांग्रेस की भड़काने वाली रणनीति के तहत आने वाले समय में मुस्लिम संगठन सरकार के खिलाफ बड़ा आन्दोलन छेड़ सकते हैं। मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने अपनी बैठक में पूजा स्थल अधिनियम, वक्फ संपत्ति और उन्मादी भीड़ की हिंसा पर भी प्रस्ताव पारित कर अपने मंसूबों को उजागर कर दिया है।
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने जो मुद्दे उठाकर मुस्लिम राजनीति को जो अलगाववादी रूप दिया है उसको कांग्रेस व इंडी गठबंधन का समर्थन हासिल है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर - मोहर्रम के अवसर पर कश्मीर से लेकर दरभंगा और नवादा तक देश के विभिन्न क्षेत्रों में मोहर्रम के जुलूस में जिस प्रकार फिलीस्तीन के झंइे फहराये गये और उसके समर्थन में नारे लगाये गये वह बहुत ही चिंताजनक व दुर्भाग्यपूर्ण है। यह सब कुछ तब हो रहा है जब भारत अंतरराष्ट्रीय नियमों के अंतर्गत फिलीस्तीन को भारी भरकम मानवीय सहायता भेज रहा है। मोहर्रम के जुलूसों में कई जगहो पर अमेरिका और इजराइल विरोधी नारे भी लगे। घाटी में आतंकवाद पनपने के साथ ही मोहर्रम के जुलूस पर पाबंदी लगा दी गई थी किंतु पिछले वर्ष कश्मीर प्रशासन ने 34 वर्ष की पाबंदी के बाद 8वीं मोहर्रम के जूलूस को श्रीनगर में गुरुबाजार से डल गेट तक केअपने पारंपरिक मार्ग से गुजरने की अनुमति दी थी।
प्रशासन ने शिया समुदाय की मांग पर जुलूस निकालने की न सिर्फ अनुमति दी अपितु उसकी अवधि भी बढ़ा दी, उसके बाद भी इस प्रकार की हरकत चिंता पैदा करने वाली है। अभी संक्षिप्त संसद सत्र में असद्दुदीन ओवैसी ने संसद में संविधान की किताब हाथ में पकड़कर शपथ लेते हुए जय फिलीस्तीन का नारा लगाकर सभी को हैरान कर दिया था। ओवैसी का यही ट्रेंड मोहर्रम के जुलूस मे भी दिखाई पड़ रहा है और वोट बैंक के लालच में इंडी गठबंधन का कोई भी सदस्य इस सबकी निंदा तक नहीं करता। उत्तर प्रदेश के कई शहरों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े निर्देशों के बाद भी मोहर्रम के दौरान सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने का पूरा प्रयास किया गया।
अमेठी से प्राप्त वीडियो में जुलूस में शामिल मुस्लिम युवक नारा लगा रहे थे कि “हिन्दुस्तान में रहना है तो हाय हुसैन कहना होगा” जो वातावारण को बिगाड़ने के लिए किया गया प्रयोग था। यह तो भला हो यूपी पुलिस का जिसने ततकाल कार्यवाही करते हुए सात आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। वहीं फतेहपुर और मेरठ के गांव मे भी वातावरण को दूषित करने का असफल प्रयास किया गया। यह सभी घटनाएं राहुल गांधी के बयान ”डरो मत, डराओ मत” से ही प्रेरित हैं। इंडी गठबंधन में शामिल अन्य नेता भी अपने बयानों से अराजकतावदी संगठनों को प्रोत्साहित कर रहे हैं जिसमें यूपी से समाजवादी और तमिलनाडु से द्रमुक वाले सबसे आगे रहते हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो वैसे भी हिन्दुओं और भारत से नफरत करती हैं।
लोकसभा चुनावों के बाद आरम्भ हुई नयी राजनैतिक पैतरेबाजी बहुत ही खतरनाक है। जो कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंदिर जाने से परेशानी का अनुभव करती है उसी कांग्रेस के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय राय राजधानी लखनऊ में मोहर्रम के जुलूस में मुख्यअतिथि बन जाते हैं और मुस्लिम तुष्टीकरण प्रदर्षित करते हैं।
कांग्रेस के नेतृत्व में संपूर्ण विपक्ष हर हालत में अराजकता का वातावरण पैदा कर मोदी सरकार को कमजोर बताकर उसकी छवि को आघात पहुंचाना चाहता है। कुछ विश्लेषक इन सभी घटनाओं पर कांग्रेस व इंडी गठबंधन से सीधा जवाब चाहते हैं क्योंकि इन घटनाओं को इन सभी राजनैतिक दलों का सीधा संरक्षण प्राप्त है। यह संगठन उत्साहित हैं क्योंकि इनके समर्थक सांसदों की संख्या बढ़ गई है।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 







 
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            