आचार्य श्री महाप्रज्ञजी का 105 वां जन्मोत्सव
आचार्य श्री महाप्रज्ञजी का 105 वां जन्मोत्सव
- आचार्य श्री महाप्रज्ञजी के चरणों में मेरा भावों से शत - शत वन्दन एवं इस अवसर पर मेरे भाव - महाप्रज्ञजी का ध्यान धर ले । कर ले अंतर में होश धर ले मन में संतोष । सच्चा सुख वही पायेगा । महाप्रज्ञजी का ध्यान धर ले । जग में जीना है दिन चार । धर्म से पावन कर ले अपने मन को । धर्म को सही से ह्रदय में धार ।
- महाप्रज्ञजी का ध्यान धर ले । अपनी आत्मा को उज्ज्वल कर ले । घट में समता का अमृत भर ले । धर्म है सच्चा रखवाला । महाप्रज्ञजी का ध्यान धर ले । तन को धोकर उजला किया । भीतर का मैल अब तक ना गया । मन को प्रभु से लगा वैराग्य जगाये । महाप्रज्ञजी का ध्यान धर ले । सांसो में प्रभु का नाम जरा सुमरले ।
- खाली जीवन के घट को सदगुण से भर ले । ज्ञान दीपक जगा अंतर तम को भगा ले । महाप्रज्ञजी का ध्यान धर ले । और - और के इस मोह में रम रहा । अपने जीवन को पल - पल में बदल रहा । आत्मा का “प्रदीप “ जला तज दे यह झूठी शान । महाप्रज्ञजी का ध्यान धर ले । प्रदीप छाजेड़
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