कहानी - धोखे का फल होता है धोखा
कहानी धोखे का फल होता है धोखा
कहानी - धोखे का फल होता है धोखा
किशनगढ़ गांव में 80 वर्षीय रिटायर्ड प्रिंसिपल बृजनंदन लाल जी रहते थे । वह किशनगढ़ के चुने गए प्रधानभी थे । किशनगढ़ में उनका बहुत मान सम्मान था। प्रधान बृजनंदन लाल जब भोजन ग्रहण करने केबाद अपने पलंग पर बैठे ही थे और सोने ही जारहेI थे। तभी उनके मोबाइल की घंटी बज उठी। पंडित जी ने अपना मोबाइल ऑन कियाऔर हेलो कहा-- उधर से आवाज आई --मै तुम्हारा बड़ा बेटा शिवराम बोल रहा हूं।
पिता जी आप कैसे हैं ? मैं आपको लेने आ रहा हूं। बड़े पुत्र पुत्र की आवाज सुनकर पंडित जी बहुत जोर से हसेे और बोले-- बेटा आज तुम्हें इतने दिनों के बाद कैसे याद आ गई? पिछले वर्ष तुम्हारी मां बहुत बीमार हो गई थी। तुम्हें पत्र भी डाले - फोन भी किया गया ।लेकिन तुमने फोन नहीं उठाया।अब मुझे तुम लेने आ रहे हो। तुम जहां हो खुशी से रहो.। मुझे अपने गांव में रहने दो । बड़ा पुत्र शिवराम बोला-- पिताजी में 3 वर्ष से बहुत बीमार रहा हूं। मरते मरते बचा हूं । अगर तुम्हारी बहु डॉक्टर नहीं होती तो मैं बच नहीं सकता था। उसी ने मेरा इलाज किया और मैं अब ठीक हुँ ।बीमारी के समय आपकी बहुत याद आती रही ।लेकिन आपको फोन इसलिए नहीं किया कि आप घबरा जाएंगे।अब आप को लेने आ रहा हूं ।
आप ने मुझे डॉक्टरी पढ़ने के लिए कितने कष्ट भोगे हैं। मैं अच्छी तरह जानता हूं ।आपने अपनी पेंशन बेची ,खेती,गिरवीरखी ,किस- किस से ऋण लिया, तव कहीं जाकर मुझे डॉक्टर बन पाया ।आज मैं अमेरिका में डॉक्टर बन गया हूं ।अब आप की सेवा करना चाहता हूं ।आपकी डॉक्टर बहू आपसे बात करना चाहती है ।लड़के की बात सुनकर पंडित जी कुछ नहीं बोले। उधर से मोबाइल पर आई बहू की आवाज - पिता जी मैं पैर छू रही हूं।पिताजी मैं जानती हूं कि आप अपने लड़के से इस लिए नाराज हो उसने एक मुस्लिम लड़की से शादी कर ली है। पिता जी मैं उनके साथ डॉक्टर की पढ़ाई पढ़ रही थी। पिताजी मैं भी डॉक्टर हो गईहूं । इसी लिए इन्होंने मेरे साथ शादी कर ली है। पिताजी मैंने मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अब अपना लिया है ।
जब आप यहां आएंगे और मेरी सेवा भाव देखे गे तो खुश होंगे।आप का नाती तीन साल का हो गया है ।जब से उसे बताया गया तुम्हारे भी बाबा दादी है। तब से बराबर बाबा बाबा की रट लगाए रहता है ।कहता है मै बाबा के पास रहूू गा ।मेरे बाबा मास्टर साहब है। मैं उनसे ही पढ़ूंगा ।आप हम सबको क्षमा करके अमेरिका अब आ जाइए ।यहां आपको बहुत अच्छा लगेगा। इतना कह कर फोन कट गया । बूढ़े पंडित बृजनंदन लाल को अपने बड़े लड़के शिव राम और बहू आशा से बात करने में रात के 1 बज गया। पंडित जी ने सोई हुई अपनी पत्नी रामा देवी को जगायाऔर बड़े लड़का बहू की सब कहीं हुई बाते बताई ।तो पत्नी रामादेवी बोली --अगर दोबारा फोन आए और लड़का स्वयं लेने आए तो बहू लड़के के पास हमलोगों को चलना चाहिए। बेचारा बीमार रहा है ।इसीलिए इतने दिन तक उसने फोन नहीं किया।
पंडित जी ने कहा ऐसा ही करूंगा।पति पत्नी दोनों सो गए ।दो दिन बाद फिर बड़े लड़का शिवराम का फोन आयाऔर उसने पिताजी से कहा -जब आपकोअब अमेरिका में रहना होगा तो गांव की खेती कोठी को बैच दीजिए और अमेरिका में आकर अपना पैसा बैंक में जमा कर दीजिए।पंडित जी ने कहा ऐसा हीकरूंगा। पंडित जी ने छोटे लड़के हकीम लाल से बड़े लड़के शिवराम से हुई बात को बताया । तो छोटे लड़के ने खेती बेचने के लिए मना किया और कहा--आप मत अमेरिका जाइए। वहां आपका मन नहीं लगेगा। आप गांव में ही रहिए। जब चाहो मेरे पास दिल्ली आ जाना। मैं खुद आपको ले आऊंगा। जब पंडित जी ने गांव के लोगों को अमेरिका जाने की बात बताई तो सभी ने पंडित जी अमेरिका ना जाने की राय दी। पत्नी रामा देवी के बार-बार अमेरिका बड़े पुत्र शिवराम के पास जाने की बात कहने पर पंडित बृजनंदन लाल कोअमेरिका जाने के लिए सोचना पड़ा और पत्नी के बड़े पुत्र मोह के सामने झुकना पड़ा।
पंडित जी ने 26 बीघा खेती गांव के प्रतिष्ठित अनंत कुमार गुप्ता साहूकार के यहां गिरवी रख रख दी और साहूकार से 30 लाख रुपय कर्जा ले लिया। अपने प्रधानी का चार्ज अपने उप प्रधान सोनेलाल को सौंप दिया। छोटा लड़का हातिम और गांव वालों को बिना बताए अमेरिका जाने की तैयारी करने लगे । ठीक 2 दिन के बाद पंडित बृजनंदन लाल सोकर भी नहीं उठे थे कि उनके मोबाइल की घंटी बज उठी।पंडित जी ने मोबाइल ऑन किया उधर से आवाज आई- पिताजी मै शिवराम बोल रहा हूं।
कल दिल्ली से गाड़ी बुक करके आपको लेने के लिए आ रहा हूं ।दूसरे दिन आपको जहाज के द्वारा अमेरिका ले जाऊंगा ।अपने सभी तैयारी कर ली होगी ।कोठी और जमीन बेच दी होगी। पंडित जी ने कहा -गांव में इतनी जल्दी जर जमीन नहीं बिक सकती है । जमीन को गिरवी रखकर 30 लाख रुपया ले लिया है। कोठी इसलिए नहीं बिक सकती है । उसमें स्कूल चल रहा है ।मैं तो केवल ऊपर के पोर्शन में रह रहा हूं। पंडित जी का बड़ा लड़का शिव राम झुंझलाते हुए बोले --आपकी हमेशा ऐसी आदत रही है ।जो आपसे कहा गया है उसको आपने कभी नहीं किया है। फोन कट गया,। अचानक दो दिन बाद शिवराम टैक्सी से गांव आ गए और पिताजी से बोले जल्दी से तैयारी कर लो ।रात में ही दिल्ली पहुंचना है ।कल सुबह 5:00 बजे की उड़ान से अमेरिका चलना है। पंडित जी बोले -मैं छोटे लड़के से बिना मिले नहीं जा सकता हूं । पिता की बात सुनकर शिवराम शकपका गए फिर कुछदेर सोचने के बाद बोले- जैसा आप कहेंगे वैसा ही करूंगा ।
कल यहां से9 बजे चलूंगा और दिल्ली पहुंच कर तुम्हें हकीम के घर पर छोड़ दूंगा। मैं होटल पर ठहर जाऊंगा । मैं जिस होटल पर ठहरूंगा तुम सुबह 5:00 उसी होटल पर आ जाना ।हम लोग हवाई अड्डे चलेंगे और टिकट बुक करके अमेरिका चल देंगे। समय का ज्यादा ध्यान रखना। दूसरे दिन शिवराम माता पिता को लेकर: दिल्ली में एक होटल पर जा पहुंचा ।होटल में माता-पिता को नाश्ता करने के बाद बोला --अब यह टैक्सी आप लोगों को हकीम की कोठी पर छोड़ आएगी। रात भर सबसे बातचीत करना ।सुबह के समय 5:00:बजे इसी होटल पर आ जाना । तब हम सब लोग हवाई अड्डे चलेगे । पिता ने शिवराम को बहुत समझाया कि वह भी अपने छोटे भाई से मिलने चलें ।लेकिन बड़ा भाई शिवराम नहीं माना ।
बृजनंदन लाल और उनकी पत्नी रामादेवी अपने छोटे लड़के से मिलने के लिए हातिम की कोठी पर आगई। रामादेवी अपनी अटैची भी साथ में लेकर गई । पंडित जी ने अपनी अटैची और अपना बेग बड़े लड़का शिवराम के पास ही छोड़ दिया। गाड़ी पर बैठकर दोनों छोटे लड़के के पास चले गए ।रात भर छोटे लड़के और उसकी पत्नी से पंडित जी और उनकी पत्नी रमा देवी ने खूब बातें की । सुबह 6:00 बजे जब पंडित जी अपने छोटे लड़के हकीमके साथ होटल पर पहुंचे तो उन्हें पता चला उनका बड़ा लड़का शिवराम 7:00 बजे ही हवाई अड्डे को चला गया है ।केवल होटल के कमरे में बेग छोड़ गया है ।पंडित जी ने छोटे लड़के से कहा -अटैची में रुपया होने के कारण तुम्हारा बड़ा भाई अटैची लेकर हवाई अड्डापर इंतजार कर रहा होगा ।छोटे लड़के ने कहा ठीक है ।हम सभी हवाई अड्डा चल रहे हैं। छोटे लड़के की गाड़ी से सभी हवाई अड्डे पर पहुंचे। बहुत तलाश करने पर भी हवाई अड्डे पर शिवराम नहीं मिला ।पता करने पर जानकारी मिली शिवराम नाम का एक व्यक्ति 7:30 बजे की उड़ान से अमेरिका चला गया है।
छोटा लड़का पिता से बोल क्या अटैची में रुपए थे । पंडित जी बोले -शिव राम की जमीन को गिरवी रखकर ₹ 30 लाख लाख साहूकार कर्ज लिया। यह सब रुपया शिवराम को ही देना था । 30 लाख लाख मैंने शिवराम को दिखाते हुए अपनी अटैची में रखे थे और ₹10000 तुम्हें देने तुम्हारी माता जी अपनी अटैची में रखे थे । धोखे से तुम्हारी माताजी मेरी अटैची को अपनी अटैची समझ कर उठा लाई थी और अपनी अटैची वहीं छोड़ आई थी ।यह बात तुम्हारी माताजी ने मुझे बताई थी लेकिन मैंने कहा कोई बात नहीं है होटल से अपनी अटैची से 10 हजाररुपया निकालकर हकीम को दे देना। छोटा लड़का हातिम बड़ी जोर से हंसा और बोला -भाई साहब तुम्हें लेने नहीं आए थे ।आपको धोखा देकर केवल रुपया लेने आए थे।
जब अमेरिका जाकर वह अटैची का ताला तोड़ेंगे देखेंगे तो कहेंगे धोखा देने में खुद ही धोखा खा गया। अब कभी भी नई चाल चलकर फिर आ सकते हैं ।लेकिन आप अब धोखा मत खाना। पिता दुखी होकर बोले- अब मैं उनको उनका हिस्सा भी नहीं दूंगा। यह ज्यादा सब मेरी कमाई की है। हकीम बोले अब आप घर चलिए ।आराम कीजिए जो ₹10000 जो मुझे देना था वही भाई साहब के हाथ में पड़े हैं। वह माता जी की अटैची लेकर चले गए हैं ।अब भाई साहब को ₹10000 पर ही संतोष करना पड़ेगा ।इतना तो रुपया भाई साहब का आना जाने में खर्ची हो गया होगा।मैं जानता था भाई साहब हमेशा से चालक रहे हैं ।
इसीलिए हमेशा धोखा खाते रहे है ।पंडित बृजनंदन लाल एक माह छोटे लड़के के पास रहकर गांव लौट गए और गांव में जाकर गिरवी रखी जमीन छुटाई। कई बार बड़े लड़के शिवराम का फोन भी आया लेकिन पंडित जी ने फोन नहीं उठाया। जब बहुत बार फोन आया तो एक बात पंडित जी ने कहा --मैं तुम्हें अपनी जायदाद का कोई हिस्सा नहीं दूंगा ।मुझे बार-बार फोन मत करना ।धोखे का फल धोखा होता है। गांव मेंअब आराम की जिंदगी जिऊं गा । बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी