नवरात्रि पर्व (चैत्र ) सप्तम दिवस -
नवरात्रि पर्व (चैत्र ) सप्तम दिवस -
भुवाल माता का स्मरण सदा साथी
इस जग में कोई दूसरा न साथी है ।
भुवाल माता पर श्रद्धा मानो दीपक में है
यदि स्नेह भरा तो जलती रहती बाती है ।
उसके अभाव में लौ अपना अस्तित्व नहीं रख पाती है ।
इस जग में कोई दूसरा न साथी है ।
भुवाल माता पर श्रद्धा मानो फूलों पर मधुपों की टोली गुन्जाती
अपनी प्रिय बोली प्रमुदित होकर पीती पराग मँडराती गाती मधुर राग |
इस जग में कोई दूसरा न साथी है ।
भुवाल माता पर श्रद्धा मानो पेड़ों पर पंछी आते है कलरव कर मोद मनाते है वे फुदक
फुदक शाखाओ पर अतिशय अनुराग दिखाते है ।
इस जग में कोई दूसरा न साथी है ।
भुवाल माता पर श्रद्धा मानो स्वार्थ से परमार्थ की और है निस्वार्थ प्रीति की और है बन जाते सभी अपने आत्मा का सुख जहाँ हैं ।
इस जग में कोई दूसरा न साथी है ।
भुवाल माता का स्मरण सदा साथी इस जग में कोई दूसरा न साथी है ।
प्रदीप छाजेड़