दो बात

Mar 28, 2024 - 09:22
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कहते है कि हमारे द्वारा कही हुई बात का दूसरे पर असर उसी स्थिति में होगा जब हम कही हुई बात को अपने जीवन के आचरण में लाते है । अगर हमारे आचरण मे समता की सौरभ है तो निश्चित रूप से वह दूर तक जायेगी मगर स्वार्थ युक्त धूल-धुएं के गुबार की हवा , वातावरण को ओर भी दूषित बनायेगी।

बच्चा या बड़ा कोई भी हो वह उसी बात का अनुसरण करता है जो घटना उसके अन्तस मन को प्रभावित करती है क्योंकि कोरे आदर्श और महानता की सारी शिक्षा तो ऊपर से ऊपर निकल जायेगी । उद्देश्य विहीन जीवन मे,आनंद की बात करना,बिल्कुल बेमानी है। संकल्प के अभाव मे,मंजिल की प्राप्ति, मात्र एक झूठी कहानी है।

आदर्श और आचरण के बीच की खाई, कोरे उपदेश से पट जायेगी हमारी यह सोच अपने आप मे एक बहुत बङी नादानी है। कुछ सीखने की रुचि और सीखकर जीवन में अपनाने की तीव्र प्यास ये दोनों भिन्न हैं पर दोनों ही जीवन के ख़ास हिस्से हैं क्योंकि कोरा अध्ययन परिवर्तन नहीं ला सकता हैं , कोरा सत्संग नैनों में ज्ञान का अंजन नहीं लगा सकता हैं ।

जब तक न जगे कुछ ग्रहण करने की मंशा , जब तक न लगे - सुने-सीखे को आचरण में लाने की पिपासा तब तक ज्ञान पुस्तक के पन्नों में रचित सा है , वह मात्र किसी तिजोरी में रखे धन का हिस्सा है ।जब जीवन पटल पर केवल अंकित न हों वरन् अभिनय करें ज्ञान के अक्षर , जब ज्ञानी को न देना पड़े प्रमाण कि वह साक्षर है ।

जब ज्ञान स्वत: आचरण में प्रस्फुटित हो , जब विवेक स्वयं हर पल चेतना की रश्मियों से जागृत हो वही है वास्तविक ज्ञान ,वही है परिवर्तन का विज्ञान ।

प्रदीप छाजेड़