जल निगम व विधुत विभाग आमने सामने,पानी की टंकी के निर्माण को लेकर दोनों में झड़प

Dec 16, 2023 - 19:53
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जल निगम व विधुत विभाग आमने सामने,पानी की टंकी के निर्माण को लेकर दोनों में झड़प
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जल निगम व विधुत विभाग आमने सामने,पानी की टंकी के निर्माण को लेकर दोनों में झड़प

कायमगंज/ फर्रुखाबाद। नगर से सटे गांव रूटौल में विधुत उपखंड बर्षों से मौजूद है। इस बीच विधुत विभाग में कई बार कायाकल्प के लिए निर्माण कार्य भी हो चुका है। जिस जगह पर विधुत विभाग मौजूद है वह अभिलेखों में विधुत विभाग के नाम दर्ज नहीं है।

क्षेत्रीय लेखपाल से जानकारी के अनुसार यह जमीन अभिलेखों में गा0स0 275/1.7730 बंजर भूमि है नापतौल के हिसाब से लगभग 22 बिघा बंजर भूमि है तथा शिवरई बरियार गांव में स्थित है। जल जीवन मिशन राज्य सरकार की सराहनीय कार्य योजना में से एक योजना है जिसके तहत पानी की टंकी का निर्माण होना है वह मंझोला गांव के लिए बनायी जा रही है।

 जबकि अभिलेखों में बंजर भूमि शिवरई बरियार गांव में स्थित है। जल निगम के JE.अभिषेक कुमार के अनुसार हमें पानी की टंकी के निर्माण के लिए एनओसी प्राप्त हो चुकी है तथा नायब तहसीलदार द्वारा जगह को चयनित कर आवंटित किया गया है। *सुरक्षा की दृष्टि से पानी और बिजली एक साथ सही नहीं है।

आये दिन विधुत विभाग के कर्मचारियों, अधिकारियों तथा उपभोक्ताओं के वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है जिसकी वजह से मौजूद जगह भी कम पड़ जाती है इसके अलावा आये दिन ट्रांसफार्मर,विधुत पोल के उतार-चढ़ाव के लिए भी जगह की आवश्यकता पड़ती है। *विधुत एक्सईन कार्यालय निर्माण के लिए भी प्रस्तावित है भूमि, चल रहा है अस्थायी कार्यालय।

 जिस जगह पर पानी की टंकी का निर्माण होना है वहां पर एक्सईन(अधिशासी अभियन्ता) कार्यालय का निर्माण भी होना है जिसके लिए शासन को प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है वर्तमान में 2017 से अधिशासी अभियन्ता कार्यालय अस्थायी रूप से चल रहा है।फिलहाल विधुत विभाग के कर्मचारियों ने टंकी निर्माण कार्य के लिए गड्ढे खुदायी होने पर इसको रोकने के लिए विरोध प्रदर्शन किया है।

 उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से बिजली पानी एक साथ नहीं रहे सकते आये दिन फाल्ट बगैर होते रहते है जिसकी वजह से कोई भी घटना होने का डर हर समय बना रहेगा। उन्होंने कहा इसके लिए अतिरिक्त अन्य ग्राम समाज की जगह पर पानी की टंकी का निर्माण कार्य किया जाये। फिलहाल निर्माण कार्य को रोक दिया गया है अब देखना ये है कि आलाअधिकारी इस समस्या का हल कैसे निकालते हैं।