भगवान नहीं हैं SPARE WHEEL
भगवान नहीं हैं SPARE WHEEL
काफी लोगों से यह कहते हुए हमने सुना है कि कोई भी दुःख आ जाये तो भगवान को याद कर लो सुख में तो याद करे या नहीं करे भगवान को लेकिन दुःख में अवश्य याद कर ले । इस धारणा में प्रायः चलन होता है ।
जबकि यह कितनी मिथ्या सोच है जो मन में प्रायः सबके बैठी हुई है और दोष देते हैं भगवान को कि इतना याद करने पर भी वो आते ही नहीं हैं । भगवान किसी के लिए भी SPARE WHEEL नहीं हैं जो कि कष्ट में जब भी जीवन की गाड़ी PUNCTURE हो जाए तो WHEEL बदल लिया जाए ।
भगवान जीवन के STEERING WHEEL हैं जिसे चलाते हैं जो सही तरीक़े से, सलीक़े से, सही परिणाम उसी से वो पाते हैं। जब हम साधना करते हैं तो कुछ मात्रा में आध्यात्मिक उर्जा उत्पन्न होती है, जब यह आध्यात्मिक ऊर्जा सांसारिक लाभ प्राप्ति के लिए उपयोग की जाती है, जैसे कि सकाम साधना से इच्छाओं की पूर्ति होती है, परंतु आध्यात्मिक उन्नति नहीं होती, यह एक टूटे हुए पात्र को भरने जैसा है, जहां पात्र कभी भरता नही हैं ।
जब हम निष्काम साधना करते हैं तो साधना द्वारा प्राप्त आध्यात्मिक ऊर्जा आध्यात्मिक उन्नति के लिए, जब साधक निष्काम साधना करता है तो इससे न केवल उसकी आध्यात्मिक प्रगति होती है अपितु उसकी सांसारिक और भौतिक सभी आवश्यकताओं की पूर्ति भी होती है, सकाम साधना से सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है जबकि निष्काम साधना से आनंद की अनुभूति होती है ।
तभी तो कहा है कि भगवान SPARE WHEEL नहीं है कि कष्ट में जब भी जीवन की गाड़ी PUNCTURE हो जाए तो WHEEL बदल लिया जाए । प्रदीप छाजेड़