रुपये-पैसों से भी कीमती धन
रुपये-पैसों से भी कीमती धन
मुझे दिवंगत दिवंगत शासन श्री मुनि श्री पृथ्वीराज जी स्वामी ( श्री ड़ुंगरगढ़ ) कितनी बार कहते थे की प्रदीप रुपये पैसे तो लक्ष्मी की चंचलता से जुड़े है लेकिन प्यार स्नेह आदि सब कुछ ऐसा अमूल्य धन है जिसकी क़ीमत का आंकलन भी हम सही से नहीं कर सकते है ।
यह इस तरह का कीमती धन है जिसको गिना भी नहीं जाता है । इस तरह मुनिवर का यह प्रसंग मुझे कितनी सही जीवन जीने की गहरी प्रेरणा देता है । स्नेह और आदर का जो सिंचन आपस के रिश्तों में से होता है वो कहाँ दूसरे से हो पाता है ? हँसी-ठहाकों की गूँज , मन खुश कर देने वाली बातों की बरसात , प्यार की थप्पी ,बालों की चम्पी- आदि - आदि कहाँ संभव है किसी के साथ ?
प्यार का प्रत्यक्ष मिलन ही बनता है भारी मन को हल्का बनाने की सौग़ात । वो भी एक युग था जब सभ्यता और शिक्षा कम थी और आम आदमी की जीविका चलाने के लिये वस्तुओं का आदान प्रदान ही माध्यम था।उस युग में प्रगति कम थी पर पारस्परिक स्नेह और मन की शांति बहुत थी।मन के अंदर छल कपट,व्यभिचार और संग्रह की सीमा नहीं के बराबर थी। समय के साथ हर क्षेत्र में प्रगति की शुरुआत हुयी।
आपसी लेन-देन में मुद्रा का प्रयोग होने लगा।वर्तमान समय को देखें तो इंसान ने हर क्षेत्र में प्रगति तो खूब कर रहा है।संसार में कुछ धनाढ़्य व्यक्ति ऐसे भी हैं जिनकी दौलत उसकी आने वाली सौ पीढ़ी भी खर्च नहीं कर सकती।उन लोगों ने धन तो खूब अर्जित कर लिया और आगे भी कर रहे हैं।
पर उनकी मानसिक शांति बहुत दूर जा रही है।उनके जीवन के हर दिन का हर मिनट किसी ना किसी काम के लिये बँटा हुआ है।वो चाह कर भी अपना थोड़ा समय अपने मन की शांति के लिये नहीं निकाल सकता।क्या धन दौलत ही जीवन है।उतर मिलेगा-नहीं। जीवन में ऐसे मित्र-यार घरवाले आदि जो ज्यादा स्नेह व प्यार रखते हैं वो हमारे जीवन कि रुपये-पैसों से भी अधिक मूल्यवान कमाई है। प्रदीप छाजेड़