बदलाव जरूरी है

Nov 9, 2023 - 18:50
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बदलाव जरूरी है
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बदलाव जरूरी है

समय के साथ - साथ में बदलाव पहले भी होता आया है और आगे भी होता रहेगा । बदलाव होना अपेक्षित भी है । इसके साथ में एक चिन्तन यह भी है कि हम बदलाव की हवा में मशीनकरण क्यों बने । आजकल के गेजेटस का इतना प्रभाव ग़लत होता जा रहा है कि नयी पीढ़ी तो नयी पीढ़ी पुरानी भी इसमें इस तरह लग गई है की उसको सही गलत का भान भी नहीं है । मनुष्य अनंत शक्ति सम्पन्न प्राणी हैं।

उसके पास चेतना है,शक्ति है और उसके प्रयोग की क्षमता है ।शक्ति का प्रयोग कर हमने कितने - कितने नए-नए आविष्कारों को जन्म दिया हैं । विचारों में बदलाव- व्यवहार में बदलाव से बने हम जीत स्वयं की स्वयं पर यदि हो वृत्तियों में उद्दात्तीकरण। इसके लिए असत् वृत्तियों का परिहार और सद्वृत्तियों का विकास ज़रूरी है। यह क्रम सम्यक् आचरण से ही सम्भव हैं ।

बहुत बड़ी सीख है ये की विवेकपूर्वक हमारे चिंतन के तौर तरीकों में कदाग्रह और दुराग्रह को स्थान न दें ये सब समस्याएं पैदा करता है।हम समय की धारा को न मोड़ने की सोचते हुए विवेकपूर्वक समय की मांग के अनुसार अपने आपको ढालें।हम अपनी मान्यताओं और परम्पराओं को अज्ञानतावश कदाग्रह में न ले जाएं,सोच समझकर जो उचित लगे,उसको अपनाएंऔर जो अनुचित लगे,उसके लिए हमारी जिद न हो न छोड़ने की।अगर ऐसा न हो तो बीज कभी वृक्ष नहीं बन सकता,बीज अगर बीज ही बने रहने की जिद न छोड़े तो हमे सभी समस्याओं के समाधान के लिए विवेकपूर्वक बदलाव लाना जरूरी होता है ।

जो आज है वह कल नही था और आनेवाले कल में भी रहे ना रहे ।क्योंकि बदलाव तो सृष्टि का नियम है । छोटे- छोटे विचारों से बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है । जैसे अंगुलीमाल बना वाल्मीकि ऋषि।रिश्तों की खनक एवं भावनाओं के लिए बदलाव ज़रूरी है । आज नारी पढ़- लिख कर अपने घर- परिवार को सम्भालती है और कार्यक्षेत्र में भी आगे बढ़ती है ।ऊंचाई पर वो लोग पहुचते हैं जो बदला लेने की नही बदलाव लाने की सोच रखते हैं।

समय अनुसार सोच बदलनी है तो ज़माने के साथ चलना है जहाँ बदलाव में कुछ कड़ाई भी हो और कुछ नरमाई भी वह संघ- सभा- संस्था- घर- परिवार-व्यक्ति का विकास बढ़ता जाता है। इसलिये हमारा चिंतन सदैव सही और सकारात्मकता की ओर हो । हम मानते हैं आज के समय में मशीनीकरण जरूरी है पर मशीनीकरण के साथ-साथ मानवीय सोच मन में हो और साथ में संवेदनाओं का स्रोत हो। प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )