नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) अष्टम दिवस
नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) अष्टम दिवस -
कहते है कि
एक लहर के बाद दूसरी लहर ,
दूसरी के बाद
तीसरी लहर और
तीसरी के बाद चौथी
लहर इस तरह बन जाता है
लहर का प्रवाह ।
एक बंध के बाद दूसरा बंध ।
दूसरा बंध के बाद और
आगे का बंध इस तरह
बंध की यह परम्परा
बनती जाती हैं अनुबंध ।
इस अनुबंध रूपी
कर्म श्रृंखला को तोड़ने का
सही सशक्त माध्यम है
भुवाल माता का स्मरण ।
भुवाल माता का भावों से ध्यान
आत्मों को उज्जवल से
उज्जवल बनाता रहता है
और आगे एक समय आता है
जब आत्मा कर्म श्रृंखला को
तोड़ अपने( शुद्ध )मूल रूप में आ जाती है ।
प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )