Sansad Galikand : हां, मैं ही हूं, मलेच्छ, विधर्मी, आतंकवादी और पंचर पुत्र!
संसद में मुस्लिम सांसद के साथ हुए गालीकांड के बाद पत्रकार हुसैन ताबिश की तल्ख टिप्पणी
BJP leader Ramesh Bidhuri’s offensive remarks against MP Danish Ali : बचपन में जब मैं गांव के मिडिल स्कूल में पढ़ता था तो कभी-कभी शाम को छुट्टी के बाद घर जाते समय सहपाठी और दूसरी कक्षा के बच्चों से झगड़ा हो जाता था। वो लोग हम लोगों “मियां-टियां, मियां-टियां आपको गांxxx दिया बाप को..' कहकर जोर-जोर से चिल्लाते और फिर अपनी राह पकड़ गांव के दूसरे मोहल्ले की तरफ चले जाते। इधर, हम लोग 'हिंदू जात करम का छोटा हगगे गांxxx और माजे लोटा' कहकर उन्हें चिढ़ाते और अपनी राह पकड़कर घर आ जाते।
मैंने कई लोगों के साक्ष्य अपने पास रखे हैं ताकि यह महसूस किया जा सके कि रोजमर्रा के सामाजिक और सहकर्मी समूहों में सफेदपोश लोग भी किसी धार्मिक समूह के बारे में कितना खराब सोचते और सोचते हैं।
तो, गुरुवार, 21 सितंबर को लोकसभा में जो हुआ, उससे कोई आश्चर्य नहीं हुआ जब बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने मुस्लिम बीएसपी सांसद कुंवर दानिश अली को "कायर, कटु, उग्रवादी और आतंकवादी" कहा, और बिधूड़ी के दुर्व्यवहार पर बाहर जाकर हंसने की धमकी दी। और धमकी, और बिधूड़ी के ठीक पीछे बैठे पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्ष वर्धन बिधूड़ी की गाली और धमकी पर हंसते-हंसते लोटपोट हो गए।
रमेश बिधूड़ी अपने क्षेत्र की जनता के सच्चे जन प्रतिनिधि हैं। वे उनकी आवाज हैं. सांसद या जन प्रतिनिधि जनता की आवाज, सोच और विचार का विस्तार होते हैं और उनका प्रतिनिधित्व करते हैं। बिधूड़ी अपना काम बहुत ईमानदारी से कर रहे हैं. हमें बिधूड़ी जैसे सच्चे जन प्रतिनिधि पर गर्व है। वह संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह सांसदों और आम लोगों के बीच भेदभाव नहीं करते हैं। अपना व्यवहार सबके प्रति एक समान रखें।
मियां सांसद को उन्होंने भरी सभा में गलियां दीं तो क्या हुआ? कौन सा पहाड़ टूट गया? मियां तो रोज गलियाए जा रहे हैं। देशभर में बाजाब्ता पब्लिक फोरम पर उन्हें कटुआ, आतंकवादी, मलेच्छ, विधर्मी कहकर संबोधित किया जा रहा है। इसमें कुछ भी नया नहीं है।
आम मुसलमान गालियां खा रहा है, सांसद को भी तो खानी चाहिए, तभी तो रमेश बिधूड़ी की तरह वो भी सच्चे जनप्रतिनिधि बनेंगे। जनता की समस्या समझेंगे। बिधूड़ी और बाकी के भाजपा सांसद भी अगर रोज बाकी के 43 अन्य मिया सांसदों को संसद में ऐसे ही गलियाएं और ललकारे तब मुझे और खुशी होती, क्योंकि बड़ा, पैसे और पहुंच वाला मियां अभी तक टाइट नहीं हुआ है!
विपक्ष बिधूड़ी की सदस्यता रद्द करने की मांग कर रहा है। मोदी जी की इस पर टिप्पणी चाह रहा है। विपक्ष पागल और बुद्धिविहीन है। जब किसी पार्टी में नेता की योग्यता ही इस बात से तय होती हो कि वो अब्दुल को कितना गरिया सकता है, तो फिर उसके खिलाफ कार्रवाई कैसी? जिस प्रधानमंत्री के आगे सांसदों और मंत्रियों की पतलून गीली रहती है, क्या वो बिना उनके मौन सहमति के ऐसा कर सकता है? वो भी उस सूरत में जब प्रधानमंत्री खुद सार्वजनिक तौर पर और सुप्रीम कोर्ट ऐसी भाषणों पर रोक लगाने की बात कर चुका हो।
मुसलमानों को इस पर कोई हायतौबा मचाने या प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है। उन्हें भाजपा से मिले सभी नामों और इल्जामों को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए!
देश बेचने, गिरवी रखने, कर्ज तले दबाने, बेरोजगारों की फौज खड़ी करने, नौकरियां खत्म करने और सत्ता के लिए लोगों को लड़ाने-भिड़ाने से कहीं ज्यादा अच्छा है पंचर पुत्र, मलेच्छ और आतंकवादी कहलाने का दाग लेकर देश का आम नागरिक बने रहना। सांसद दानिश अली को अगर गरियाए जाने का सच में दुख है, तो वह चुपचाप संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दें, और दूसरे मुस्लिम सदस्यों को भी इससे सदमा पहुंचा है, तो सभी मिलकर सामूहिक तौर पर इस्तीफा दे दें... इससे अच्छा विरोध का कोई और दूसरा तरीका नहीं है... बहुत जल्द आम चुनाव भी होने वाले हैं... उंगली कटाकर शहीद बनने का उन सभी के पास गोल्डेन चांस है! जिस देश की संसद में 37 प्रतिशत दागी लोग जनप्रतिनिधि बनेंगे और जिस पार्टी की नीव ही मुस्लिम विरोध पर टिकी हो... उससे क्या उम्मीद की जा सकती है?
देश के बाकी मियां भी बीजेपी से लड़कर कुछ हासिल नहीं कर सकते. आपका हर विरोध इसे मजबूत करता है. अपने अधिकारों की लड़ाई देश के उन करोड़ों सच्चे हिंदुओं और सनातनियों पर छोड़ दें... जो हर मौके पर आपके समर्थन में बोलते हैं और खड़े होते हैं। अभी हताश होने का कोई कारण नहीं है। बिधूड़ी की भाषा और सोच न तो देश के सभी हिंदुओं की भाषा है और न ही सोच. देश में करोड़ों हिंदू मौजूद हैं जो हमारा नाम भाई कहकर बुलाते हैं.
दरअसल, ये सब देश और समाज में अब्दुल के प्रति फैली नफरत और गुस्से को मापने का एक इम्तिहान है. अब तक कितने हिंदू भक्त बने और कितने नहीं बने, इसका भी अंदाज़ा इससे हो जाएगा. फिर जरूरत पड़ने पर ट्रेनिंग मॉड्यूल में नए इनोवेशन लाए जाएंगे... लेकिन आम मुसलमान ज्यादा तनाव न लें... अपना काम करते रहें... ईमानदारी से ऑटो, पंचर लगाते रहें।
हमें मुसलमानों से ज्यादा चिंता देश के उन हिंदुओं की है जो इस्लाम को कोसते-कोसते कब अब्दुल बन गए, पता ही नहीं चला और देश का अब्दुल अब मोहन बनता जा रहा है।