आचार्य श्री कालूगणी का 88 वां प्रयाण दिवस पर मेरे भाव
आचार्य श्री कालूगणी का 88 वां प्रयाण दिवस पर मेरे भाव -
तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टम आचार्य श्री कालूगणी को मेरा भावों से शत - शत वन्दन ।
समता की ज्योति जगा ले ।।अ ॥
मिल - जुल कर सारे बोल ले ।
अन्तर घट के पट खोल ले । मोक्ष मार्ग का वरण कर ले ।
समता की ज्योति जगा ले ।।अ ॥ नयनों के तारे बन जाये । दुखियों के सहारे बन जाये। धर्म की गंगा में रम जाये ।
समता की ज्योति जगा ले ।।अ ॥ दुनियां के जंगल में नहीं भटके । कष्टों की शूली पर नहीं अटके । अंधियारी रातों में ज्योति करके । समता की ज्योति जगा ले ।।अ ॥ आत्मा को पावन कर तार लो । स्वयं का स्वयं उद्धार कर लो ।
मुरझित कालियां विकास लो । समता की ज्योति जगा ले ।।अ ॥ सिद्ध - बुद्ध का ध्यान धर लो । आत्मा को धर्म में लीन कर लो । धर्म कर जीवन को सरसा लो । समता की ज्योति जगा ले ।।अ ॥ प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़)