सहारा गांव में खुदाई के दौरान मिले ब्रिटिशकालीन सिक्के, किंग एडवर्ड सप्तम का फोटो और 1907 सन् खुदा
सहारा गांव में खुदाई के दौरान मिले ब्रिटिशकालीन सिक्के, किंग एडवर्ड सप्तम का फोटो और 1907 सन् खुदा
मैनपुरी (अजय किशोर) सहारा गांव में एक पुराने मकान की खुदाई के दौरान ब्रिटिशकालीन सिक्के मिलने से हड़कंप मच गया। सिक्कों पर किंग एडवर्ड सप्तम का फोटो और 1907 का सन् खुदा हुआ है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ये सिक्के ब्रिटिश काल के हैं। हालांकि, पुलिस ने इस जानकारी से इनकार किया है, लेकिन ग्रामीणों के अनुसार सिक्के मिलने की खबर क्षेत्र में आग की तरह फैल गई है। *खुदाई के दौरान 50 से अधिक सिक्के निकले* सहारा गांव निवासी हरिश्चंद्र अपने खंडहर पड़े मकान की शुक्रवार की रात जेसीबी चालक कुंजलपुर निवासी से खुदाई करा रहे थे। रात में दो-तीन ट्रॉली मिट्टी की खुदाई के बाद अचानक मिट्टी से 50 से अधिक सिक्के निकले। चर्चा है कि यहां अन्य सोना-चांदी के आभूषण भी मिले हैं।
जेसीबी और ट्रैक्टर चालक ने बांट लिए थे सिक्के* शुरुआत में जेसीबी चालक आलोक और ट्रैक्टर चालक रमाकांत ने इन सिक्कों को आपस में बांट लिया था। इसकी जानकारी जब हरिश्चंद्र के धेवते गोविंद को हुई, तो वह दोनों चालकों के पास पहुंचे और सभी सिक्के वापस ले लिए। बाद में गोविंद ने 10 सिक्के जेसीबी चालक आलोक को और पांच सिक्के ट्रैक्टर चालक रमाकांत को वापस दे दिए। *पुलिस ने जानकारी से किया इनकार, ग्रामीण उत्सुक* थानाध्यक्ष आशीष दुबे ने बताया कि उन्हें इस घटना की कोई जानकारी नहीं है।
हालांकि, ग्रामीणों के मुताबिक, जैसे ही सिक्के मिलने की खबर आसपास के लोगों को हुई, यह चर्चा क्षेत्र में आग की तरह फैल गई। आसपास के ग्रामीण इस जगह को देखने के लिए आने लगे हैं। कई लोगों ने अधिक सिक्के मिलने और उन्हें छुपाने की बात भी कही है। *ब्रिटिश काल तक यहां थी चहल-पहल, ऐतिहासिक महत्व* गौरतलब है कि जहां सिक्के मिले हैं, वहां पहले राजा का परिवार रहा करता था और ब्रिटिश काल तक यहां काफी चहल-पहल थी। यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से काफी चर्चित रहा है। सिक्कों पर किंग एडवर्ड सप्तम का फोटो और 1907 सन् खुदा होना उनके ब्रिटिश कालीन होने की पुष्टि करता है। *नौवीं सदी के अवशेष और महाराजा तेज सिंह से संबंध* यह भी उल्लेखनीय है कि बिछवां क्षेत्र, जिसमें सहारा गांव आता है, पुराने समय में काफी समृद्ध रहा है।
यहां बाजार गुलजार हुआ करते थे और आगरा व दिल्ली के यात्री सुल्तानगंज, सहारा व करीमगंज में ठहरने के बाद ही आगे बढ़ते थे। पूर्व में भी यहां नौवीं सदी के अवशेष मिल चुके हैं। ग्रामीणों के अनुसार, गांव सहारा के काफी लोग महाराजा तेज सिंह के किले में काम करते थे और उनकी सेना में शामिल घुड़सवार व करिंदा भी इस क्षेत्र के गांवों में रहते थे। *जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश* मैनपुरी के जिलाधिकारी अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें सहारा गांव में सिक्के मिलने की जानकारी अभी मिली है और उन्होंने एसडीएम भोगांव को इसकी जानकारी करने के लिए कहा है।





