मन की अद्भुत रीत
मन की अद्भुत रीत
जिन्दगी में अचानक आने वाले बदलाव या समस्या से विचलित न होने वाले ही सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हैं । महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि समस्या अथवा बाधा उत्पन्न होने पर उससे निपटा कैसे जाए ?
कई लोग कुछ संकट आने पर हाथ-पैर छोड़ देते हैं, निराश हो जाते हैं । अतः समस्याओ से घबराकर एवं भयभीत होकर भागने वालों के लिये समस्याएं बढ़ती ही जाती है । हम विषम परिस्थिति में भी सम रहते हुवें हर पल मुस्कराते रहना चाहिए ।क्योंकि दुनिया का हर इंसान खिले चेहरो एवं खिले फूल को ही पसंद करते है ।
दूसरों को समझना बुद्धिमानी है । खुद को समझना असली ज्ञान है ।दूसरों को काबू करना बल है और खूद को काबू करना वास्तविक शक्ति है| जिसने संसार को बदलने की कोशिश की वो हार गया और जिसने खुद को बदल लिया वो जीत गया| हमें जो मौका आज मिला है उसके मोल को अवश्य समझे ।चलते रहिये जीवन में जोश जूनून और ज़ज्बे के साथ ।ख़ुद का जीवन ऐसे बनाए कि साँस आपके आने का इंतजार करें जाने का नही ।
मन जब बंधे सांस की डोर ,मिटे तम जगे ज्ञान की भोर ।हम अपने मन के अधीन न हो ।हम मन को अपने अधीन (वश) में करते हुए अपने स्वयं को बदलतें हुए अपनी आत्मा को उज्जवल करनें का प्रयास करें।मन ही मन को जानता ।मन की मन से प्रीत ।मन ही मनमानी करे।मन ही मन का मीत । मन झूमे ,मन बावरा ।मनकी अद्भुत रीत ।मन के हारे हार है मन के जीते जीत। प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )