हाईस्कूल के रजिस्ट्रेशन के दौरान ही लिख दी जाती है मुन्ना भाईयों द्वारा बोर्ड परीक्षा में कापी लिखे जाने की पटकथा
हाईस्कूल के रजिस्ट्रेशन के दौरान ही लिख दी जाती है मुन्ना भाईयों द्वारा बोर्ड परीक्षा में कापी लिखे जाने की पटकथा
एटा में हाई स्कूल और इण्टर ही नहीं विश्वविद्यालयीय परीक्षाओं में भी होती है बड़े पैमाने पर नकल -मदन गोपाल शर्मा
एटा। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बोर्ड परीक्षाओं में किए जा रहे अनेकों प्रयास जनपद में शिक्षा माफियाओं द्वारा विफल किए जा रहे हैं। हाई स्कूल बोर्ड परीक्षा में मुन्ना भाईयों द्वारा दूसरों की कापी लिखे जाने की पटकथा कक्षा 9 में हाई स्कूल परीक्षा के रजिस्ट्रेशन के समय ही शिक्षा माफियाओं द्वारा लिख दी जाती है। एटा जनपद में प्रतिवर्ष उत्तर प्रदेश के पश्चिमी जिलों बुलन्दशहर, मेरठ, बागपत मुजफ्फरनगर, सहारनपुर के अलावा दूसरे प्रदेशों के हजारों छात्र मोटी रकम देकर दलालों के माध्यम से कक्षा 9 में रजिस्ट्रेशन इस शर्त पर कराते हैं कि वे परीक्षा में नहीं बैठेंगे। उनके नाम से कोई दूसरा मुन्ना भाई परीक्षा में उनकी कापी लिखेगा। पश्चिमी जिलों में रहने वाले कई दलाल ऐसे हैं जो थोक में एडमिशन करा कर मोटी रकम छात्रों से वसूलते हैं। आज भी कई शिक्षा माफिया विद्यालयों में शिक्षण कार्य के लिए अध्यापक नहीं रखते वे अपने और एक सहयोगी प्रबंधक के विद्यालय को परीक्षा केंद्र बनवाकर एक दूसरे विद्यालय के छात्रों को परीक्षा में उत्तीर्ण कराने की व्यवस्था कर विद्यालय संचालित किए हुए हैं।
ऐसे प्रबंधक परीक्षा केंद्र से हटकर किसी अन्य स्थान पर दूसरों से कापी लिखवाये जाने की भी व्यवस्था करते हैं। परीक्षा केंद्र के सिटिंग प्लान में गड़बड़ी करना और कैमरे बंद रखना इसी व्यवस्था का अंग होता है। परीक्षा में दूसरे के स्थान पर बैठकर कापी लिखने वाले मुन्ना भाई जो पकड़े जा चुके हैं, उनसे यदि सख्ती से पूछताछ की जाए तो दलालों और शिक्षा माफियाओं के बहुत बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हो सकता है। यदि प्रशासन ने शिक्षा माफिया और दलालों का राजफाश करके इस बार कानूनी शिकंजा कस दिया तो बोर्ड परीक्षाओं में नकल बड़े स्तर पर रोकी जा सकती है। जनपद भर में सैकड़ों हाई स्कूल, इण्टर और डिग्री कालेज वर्ष भर तक बंद रहते हैं उनमें कभी अध्यापन कार्य नहीं कराया जाता, ऐसे स्कूल, कालेजों में सिर्फ परीक्षाओं के समय ही चहल-पहल देखने को मिलती है। जिला विद्यालय निरीक्षक और विश्वविद्यालय के अधिकारीगण बगैर अध्यापकों और प्रोफेसरों के स्कूल कालेजों को चलवा रहे हैं।
महाविद्यालयों में खानापूर्ति के नाम पर शिक्षकों की डिग्रियां ले ली जाती हैं। इनमें बहुत बड़ा भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है कि एक एक प्रोफेसर के शिक्षा प्रमाण पत्र पांच छः से अधिक महाविद्यालयों के कार्यालयों की फाइलों में बंद रहकर विद्यार्थियों को नाम की शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। देखना है कि प्रशासन दूसरों की परीक्षा देते हुए पकड़े गए मुन्ना भाईयों से उन दलालों के नाम उजागर करा पाता है या नहीं। निश्चित ही दूसरे की कापी लिखते हुए पकड़े गए युवक उस शख्स को नहीं जानते होंगे जिसकी वह कापी लिख रहे होंगे।