सोशल मीडिया का बढता दुष्प्रभाव, संयम है समाधान
राजनीति का क्षेत्र हो या व्यवसाय विभिन्न क्षेत्रों में सोशल मीडिया की भूमिका प्रभावी है। लेकिन इन सब के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से होने वाले दुष्परिणाम की चुनौतियां भी हमारे सामने है।
 
                                    सोशल मीडिया का बढता दुष्प्रभाव, संयम है समाधान- डा. वीरेन्द्र भाटी मंगल
सोशल मीडिया की बढती लत से सबसे अधिक व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसके अति-उपयोग से व्यक्ति में चिंता, तनाव व डिप्रेशन जैसी समस्याएं तेज गति से बढती जा रही है। वर्तमान में इससे कैसे बचे, यह जरूरी है। विश्व स्तर पर सोशल मीडिया का विकास और प्रभाव परिवर्तनकारी स्वरूप में है। इसके माध्यम से संचार के क्षेत्र में अभूतपूर्वं क्रांति आई है, और व्यक्ति को सशक्त बनने का अवसर मिला है।
 राजनीति का क्षेत्र हो या व्यवसाय विभिन्न क्षेत्रों में सोशल मीडिया की भूमिका प्रभावी है। लेकिन इन सब के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से होने वाले दुष्परिणाम की चुनौतियां भी हमारे सामने है। सोशल मीडिया ने बडे़ पैमाने पर परस्पर जुड़ाव और अभिव्यक्ति के अवसर प्रत्येक व्यक्ति का प्रदान किया हैं। जहां एक और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्ति को पूरे विश्व के साथ जुड़कर अपनी बात कहने से लाभदायक साबित हो रही है, वहीं इसके दुष्परिणाम भी बहुतायत में हमारे सामने आ रहे है।
सोशल मीडिया के चलन से अधिक से अधिक नये लोगों के साथ जुड़ना सरल हो गया है जिससे व्यक्ति कहीं भी किसी सीमा रेखा से परे जाकर सरलता से मित्रता कर सकता है। इसके अलावा आज सोशल मीडिया का बड़ा फायदा यह भी है कि उसे तत्काल ताजा खबरों की जानकारी मिलती रहती है, जिससे दूसरे माध्यमों पर निर्भरता कम हो गई है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी फोटो, वीडियो एवं संदेश को सरल तरीके से प्रसारित कर सकता है। इसके अलावा सोशल मीडिया के विविध प्लेट फाॅर्म का उपयोग अपने व्यापार का विज्ञापन करने व ऑनलाइन वस्तुयें बेचकर धन अर्जन करना भी रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि सोशल मीडिया सबके लिए समान रूप से उपलब्ध है। कोई भी व्यक्ति इसका उपयोग कर सकता है।            
इसके अलावा सोशल मीडिया के नकारात्मक पक्ष भी हमारे सामने आ रहे है जो हमारी सामाजिक व्यवस्था के लिए उचित नहीं है। सोशल मीडिया के बढते दौर में व्यक्ति एकांकी जीवन जीने में आनन्द की अनुभूति करने लगा है। परिणाम स्वरूप पारिवारिक संवाद जीवन एवं सामाजिक जीवन में रूबरू बातचीत एवं आपसी संचार व संवाद बहुत कम होने से परेशानियां बढती जा रही है। आपसी संवाद की प्रवृत्ति से दूर होने से रिश्ते व संबंध केवल दिखावे के ही रह गये है। सोशल मीडिया के माध्यम से भले ही व्यक्तिगत विचारों को खुलकर बांटा जा जा रहा हो लेकिन किसी भी व्यक्ति की भावना को समझने के लिए आपसी संवाद एवं बातचीत ही महत्वपूर्ण कड़ी है।            
इसके अलावा इस दौर में सोशल मीडिया अकाउंट हैक होना भी चिंता का विषय है। आर्थिक गतिविधियों के अलावा, असामाजिक गतिविधियां, गन्दें चित्र, संदेश व वीडिओ आदि दूसरों को भेजकर एक व्यक्ति को बदनाम किया जा सकता है। सोशल मीडिया के माध्यम से प्रतिदिन सैकड़ों फेक न्यूज हमारे सामने आती रहती है जिसकी पहचान भी कई बार व्यक्ति नहीं कर पाता है। अगर व्यक्ति विवेक से काम नहीं लेता है तो कई बार इन फेक न्यूज के प्रसारण के कारण व्यक्ति अपने को ठगा सा महसूस करने लगता है।
वर्तमान दौर में सबसे अधिक घातक प्रवृत्ति इसकी लत लग जाना है। यह लत बहुत खतरनाक तरीके से हमारे सामाजिक, पारिवारिक जीवन को प्रभावित कर स्वास्थ्य को हानि पहुंचाती है। आज के इस दौर में केवल युवा ही नहीं बल्कि बच्चे, महिला, बुजुर्ग आदि सभी सोशल मीडिया का उपयोग कर इस लत का धीरे-धीरे शिकार बनते जा रहे है। चौबीस घण्टे इस सोशल मीडिया का अति-उपयोग जहां एक और हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है, वहीं व्यक्तिगत जीवन को भी प्रभावित कर रहा है। इसके अलावा सोशल मीडिया की लत से ग्रसित व्यक्ति समय बर्बाद करने के साथ सच्चाई से दूर-दूर बढा-चढा कर प्रस्तुत करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।
अब प्रश्न यह उभरता है कि हम सोशल मीडिया के इस दौर में इसके दुष्परिणामों से कैसे बचे? इसके लिए जरूरी है कि हम स्वयं पर संयम का प्रयोग कर इसके अति-प्रयोग को रोकने का प्रयास करें, तभी समस्या का समाधान संभव हैं। अधिक उपयोग करने के बजाय, स्वयं को किसी अन्य कामों में व्यस्त रखने का प्रयास शुरू करना भी काफी हद लत छुडाने मे सहायक है। इसके अलावा उन गैर जरूरी अकाउंट या समूहों की सूचनाओं को म्यूट कर देना भी जरूरी है। बेवजह की सूचनाओं से मानसिक तनाव बढता है, अतिरिक्त सूचनाओं को बंद करने से हम स्वयं को रिलेक्स महसूस कर सकते हैं। ज्यादा इस्तेमाल से कमजोर होती याददास्त को भी बचाया जा सकता है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर दिनभर चलने वाली सनसनीखेज विषय की खबरों के कारण भी व्यक्ति चिंता या डिप्रेशन जा रहा है। इसलिए ऐसी खबरों से बचना ही मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
सही मायने का सोशल मीडिया का उपयोग अधिक से अधिक मनोरंजन के लिए ही करना चाहिए। जानवरों के वीडियो भी हमारे दिमाग को शांत करने में सक्षम है। इसके अलावा बहुत से रचनात्मक वीडियो भी देखे जा सकते हैं। सोशल मीडिया के बढते हानिकारक प्रभाव को कम करने के लिए संयम ही एकमात्र समाधान है. इससे ही सोशल मीडिया की लत से बचकर हम अपने जीवन में सुख-शांति एवं आनन्द की अनुभूति कर सकते हैं।
-डा. वीरेन्द्र भाटी मंगल                        
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 







 
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            