सुरा सुंदरी रिश्वत लेने लत होती बुरी

Nov 2, 2024 - 07:57
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सुरा सुंदरी रिश्वत लेने लत होती बुरी
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कहानी - सुरा सुंदरी रिश्वत लेने लत होती बुरी 

आज जब हम लाल बहादुर शास्त्री के चौराहे से अखबार कार्यालय के लिए आ रहे थे ।तभी पीछे से किसी ने मेरी बुक शर्ट खींचते हुए बड़े दयनीय स्वर में में कहा -दादा में तीन दिन से भूखा हूं .। कुछ पैसे दे दीजिए ।जिससे कि मैं कुछ खाना लेकर खा लूं । मैं बहुत भूखा हूं । मैंने पीछे मुड़कर देखा तो मैं चौंक गया। लोक निर्माण दफ्तर के रिटायर बड़े बाबू सुरेश चंद यादव बड़े दयनीय स्वर से मुझे से पैसे मांग रहे थे। मैंने रिटायर बड़े बाबू सुरेश चंद्र यादव को पहचानते हुए कहा-- अरे बड़े बाबू यह क्या खस्ता हालत बना रखी है ?बड़े बाबू सुरेश चंद्र ने बड़े रुहासे स्वर में कहा --जब बुरा समय आता है तो सभी धोखा दे देते हैं।

आजकल मेरा बुरा वक्त है ।इसीलिए सभी ने मुंहमोड़ लिए हैं । कोई दो पैसा उधार देने के लिए तैयार नहीं है। मैंने बड़े बाबू से कहा-- रिटायर होने पर पैसा मिले होंगे ।पेंशन अभी मिल रही होगी। बड़े बाबू ने आंखों में आंसू भरते हुए कहा --योगी जी के राज में झूठी शिकायत होने पर मुझे बर्खास्तकर दिया गया था । मैंने बड़े बाबूके दुखी चेहरे को देखते हुए कहा --किस बात की झूठी तुम्हारी शिकायत की गई थी? बड़े बाबू ने कहा --मेरे विरोधी लोगों ने योगी जी के राज में शराब पीने और दफ्तर की चपरासी रामकली के साथ सेक्स करने की झूठी शिकायत की गई थी । मैंने बड़े बाबू को हमदर्दी दिखाते हुए कहा --पहले सामने वाले होटल पर चलकर आप भरपेट खाना खाई। इसके बाद अपनीराम कहानी बताइए ।शराब पीने के तो आप हमेशा से शौकिन रहे हैं। यह कौन सी नई बात थी? मेरी बात पर बड़े बाबू बोले -- समय समय की बातहै।जब सपा का राज रहा तो सभी लोग मुझसेथर-थर कांपतेथे ।

शिकायत करने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी। योगी जी की राज में यह सब हो गया। इसकी भी एकबड़ीकहानी है। मैंनेबड़े बाबू को सामने के होटल पर जाकर उन को खाना खिलाया । खाना खिलाने के बाद मैंने कहा-- अगर आप बुरा मत माने तो एक बात में जरूर कहूंगा । आपके खिलाफ दो-तीन अखबारों में कई बार यह निकला था की लोक निर्माण विभाग के बड़े बाबू सुरेंद्र चंद्र सुरा सुंदरी के आदी है । हर ठेकेदार से खुली हजारों लाखों की रिश्वत लेकर तभी पेमेंट देते हैं ।अधिकारी गढ़ जानते हुए भी कोई कार्यवाही नहीं करते हैं। बड़े बाबू खाना खाने के बाद अच्छे मूड में आकर बोले-- अगर अगर आप बुरा ना माने तो मैं कहूंगा कुछ अखबार वाले पैसे के लोभीहोते हैं। जब जब उन्हें पैसा देते रहो बे खुश रहते हैं ।जब उनको पैसा नहीं दिए जाते हैं तो वह खुराफात करके अखबार में निकाल देते ।

मेरे क्वार्टर पर आकर उस समय तमाम नेता पत्रकार मेरे साथ जमकर शराब पीते थे और मेरे फेवर में रहते थे ।वही पत्रकार योगी जी के राज में विरोधियों के कहने पर मेरे खिलाफ तमाम समाचार निकाले और तभी चैन लिया जब मुझे बर्खास्त कर दिया। मेरे दफ्तर की रामकलियां जिसको मैं विधवा होने पर नौकरी दिलवाई ।उसने भी मेरे खिलाफ विरोधियों के कहने पर मेरे खिलाफ कोतवाली में लिख कर दिया कि मैंने उस का यौन शोषण किया है। जब मैं और बड़े बाबू आपस में बात कर रहे थे तो मेरे पीछे बैठे हुए एक वाजपेई नेताजीमेरेपासआकरबोले बड़े बाबू आपकी सपा के कार्यकाल में इसलिए कोई शिकायत नहीं करते थे कि आप नेता पत्रकारों को अच्छी- अच्छी रकमे भेंट करते थे। इसीलिए पत्रकार नेता लोग तुमसे खुश रहते थे ।शिकायतें होने पर नेता पत्रकार तुम्हारीसिफारिश करते थे। इसलिए सपा के राज में तुम बचते रहे । लेकिन योगी जी की राज में किसी नेता पत्रकार की नहीं चली ।

सुरा सुंदरी की शिकायत होने पर योगी जी से डरकर बड़े अधिकारियों ने भी आपके खिलाफ सही रिपोर्ट दी औरजांच के बाद तुम बर्खास्त कर दिए गए ।यह योगीराज पर क्यों झूठा इल्जाम लगा रहे हो ।वाजपेई नेता के धारावाहिक बोले जाते समय लोक निर्माण विभाग के बर्खास्त सुदा बड़े बाबू सुरेश चंद यादव जी कुछ नहींबोले। जब पीछे बैठे नेताजी चले गए तब बड़े बाबू सुरेश चंद बोले-- नेताजी बात तो सही कहते हैं ।मेरी गलती रही ।मैं लंबी-लंबी रिश्वत लेकर माया जाल में इतना अंधा हो गया कि मुझे अपने भविष्य का भी ख्याल नहीं रहा । यार दोस्त नेताओं पत्रकारों के चक्कर में आकर सुर सुंदरी के नशे में ऐसे डूबे की अपनी नौकरी भी खो बैठे।

बड़े बाबू सुरेश चंद यादव की बातों को सुनकर मैंने कहा मैं तुम्हारे विषय में बहुत सी बातें सुनी थी ।लेकिन उसे समय सबूत न मिलने के कारण मैंने अखबार में कोई बात तुम्हारे विषय में नहीं लिखी। मुझे यह भी बताया गया कि तुम सूरा सुंदरी के ऐसे आदि हो गए थे कि तुमने अपने बूढ़े माता-पिता पत्नी बच्चे तक का कोई ख्याल नहीं रखा और तुम्हारी लापरवाही के कारण पूरा परिवार चलवासा और तुम अकेले रह गए ।बड़े बाबू सुरेश चंद्र बोले- दादा आप एक अच्छे पत्रकार हैं। इसलिए ठीक कह रहे हैं।आज मुझे अपनी गलती का एहसास हो रहा। मैं अब भीख ना मांग कर सुर सुंदरी को छोड़कर कोई काम धंधा करूंगा ।मैंने सुरेश चंद के कंधे पर हाथ रखकर कहा --अभी कुछ नहीं बिगड़ा है ।कल से मेरे अखबार तथा जैन एजेंसी के अखबार डालने का काम शुरू कर देना।

जैन एजेंसी तथा मेरे अखबार के द्वारा तुम्हें पैसा मिलेगा। जिससे तुम्हें भीख नहीं मांगना पड़ेगी। मैं जैन साहब से कह दूंगा। मैंने बड़े बाबू सुरेश चंद का दुखी चेहरा देखकर उनको 500 का नोट दिया और कहा-- अगर सुबह का भूला हुआ शाम तक आ जाए तो भूला नहीं कहा जाएगा। तुम्हें सुधारने के लिए तुम्हारी और भी आर्थिक मदद करूंगा। मेरी बातों को सुनकर बड़े बाबू ने मेरे पैर छुए और कहा --आप बुजुर्ग वरिष्ठ पत्रकार है ।आपकी हरबात मानूँगा ।बड़े बाबू सुरेश चंद अपने घर की ओर चल दिए और मैं अपने अखबार कार्य को चला गया । 

बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी