प्रतिकूल परिस्थिति

Sep 30, 2024 - 14:36
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प्रतिकूल परिस्थिति

एक घटना प्रसंग एक 15 साल का लड़का सड़क पर दुर्घटना में ग्रसित हो गया । उसके पिता उसको अस्पताल लेकर गये । वहाँ पर उस समय डॉक्टर नहीं था तो अस्पताल वालों ने लड़के के पिता को कहा कि जल्दी आने को डॉक्टर को फोन किया है डॉक्टर आ रहे होंगे ।

 लड़के के पिता मोह से ग्रसित हो गये और गलत - गलत बोले अस्पताल में लगातार कुछ समय बिता की डॉक्टर आ गये । आते ही डॉक्टर को लड़के के पिता गलत बोलने लगे लेकिन डॉक्टर कुछ नहीं बोले सीधे ऑपरेशन थियेटर में चले गये । कुछ समय बाद डॉक्टर वापिस आये और लड़के के पिता को बोले कि माफ करना मेरे आने में देरी हुई है अब आपका बेटा ठीक है ।

लड़के का पिता फिर गलत डॉक्टर को अस्पताल में बोलना शुरू हो गया । डॉक्टर वहाँ से चले गये । लड़के का पिता लगातार वहाँ बोलता रहा । कुछ समय बाद अस्पताल के व्यक्ति ने कहा कि आप बहुत देर से बोल रहे हो यह सही नहीं है क्योंकि डॉक्टर के बेटे का आज देहावसान हो गया है । अस्पताल से फ़ोन चला गया तो बेटे की अन्तिम क्रिया रोककर डॉक्टर यहाँ अस्पताल में आये और आपके बेटे का ऑपरेशन किया ।

यह सूनकर लड़के का पिता चुप हो गया और पश्चाताप से भर गया । इसलिये कहते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में भी हमको अदम्य साहस और आत्मविश्वास रखना चाहिये । प्रकृति के अनुरूप स्वयं को ढ़ालने वाले,अपना अस्तित्व बचा लेते हैं और ऋतु परिवर्तन के नियम को जानने वाले,प्रतिकूलता को भी पचा लेते हैं। जिन्दगी सहज और खुशहाल तभी बन सकती है,जो हर परिस्थिति मे समय की नब्ज और नजाकत को समझ, अपने आशियाने को सजा लेते हैं।

प्रतिकूल परिस्थिति मे कोई शोक नही होता और अनुकूल परिस्थिति मे कोई हर्ष नही होता जो चेतना की निर्मल अवस्था है,उसका नाम प्रसन्नता हैं ।हम सम - विषम हर परिस्थिति में सम रहतें हुवें, अपनी इन्द्रियों कों अपने वश में करतें हुवें, हम भौतिकता सें आध्यात्मिक की और अग्रसर होतें हुवें, अपनी आत्मा कों उज्जवल करतें हुवें,हम अपने परम् लक्ष्य की और अग्रसर हों। प्रदीप छाजेड़