Lucknow News: अंतर्राष्ट्रीय डॉग दिवस पर #NoRelocation अभियान शुरू
Lucknow News: अंतर्राष्ट्रीय डॉग दिवस पर #NoRelocation अभियान शुरू
लखनऊ। अतर्राष्ट्रीय डॉग दिवस पर #NoRelocation अभियान शुरू किया गया।
गली के कुत्तों का रिलोकेशन (यानी उन्हें उनके सामान्य निवास स्थान से कहीं और भेजना) गैरकानूनी है और इससे मानवों और कुत्तों के बीच संघर्ष का खतरा बढता है।
लखनऊ, उत्तर प्रदेश (26 अगस्त, 2024) — अंतर्राष्ट्रीय डॉग दिवस पर, पशु संरक्षण संगठन, ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल/इंडिया ने #NoRelocation अभियान शुरू किया ताकि समुदाय के सदस्यों को पशु कानूनों के बारे में संवेदनशील बनाकर गलियों के कुत्तों के रिलोकेशन (उनके स्थान से हटाकर कहीं और भेजने) की मांग को कम किया जा सके। गलियों के कुत्तों का रिलोकेशन (उनको उनके स्थान से कहीं ओर भेजना) पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (PCA) के पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियमों के नियम 11(19) के तहत अवैध है।
गलि के कुत्तों के रिलोकेशन का मतलब है उन्हें उनके सामान्य निवास क्षेत्र से कहीं दूर ले जाना या उन्हें उनके जन्मस्थान और निवास स्थान से अलग किसी अन्य अनजानी जगह में छोड़ देना।
इस कार्यक्रम में सरकारी अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों, स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों और स्वयंसेवकों ने समुदाय में कुत्तों के स्थानांतरण को रोकने के लिए प्रतिज्ञा लिया। इस कार्यक्रम में डॉ. अभिनव वर्मा (पशु कल्याण अधिकारी, लखनऊ) और लगभग 60 स्मार्ट सिटी अधिकारी और एचएसआई/इंडिया के स्वयंसेवक शामिल हुए।
एचएसआई/भारत के आंकड़ों से यह पता चलता है कि समुदाय के लोगों द्वारा की जाने वाली शिकायतों में से बहुत सारी शिकायतें गली के कुत्तों का रिलोकेशन किए जाने से संबंधित है। 2023 से, गली के कुत्तों के बारे में प्राप्त हुई कुल 13,000 शिकायतों में से कम से कम 40% उनके रिलोकेशन के बारे में हैं और इनसे लाभ कम और हानि अधिक होती है। गली के कुत्तों का रिलोकेशन (यानी उन्हें उनके सामान्य निवास स्थान से कहीं और भेजना) कोई टिकाऊ उपाय नहीं है और इससे मानवों और कुत्तों के बीच संघर्ष कम करने के प्रयासों में बाधा पहुँचती है। कुत्ते ऐसे जानवर होते हैं जिनके रहने का निश्चित क्षेत्र होता है और उनको किसी दूसरे स्थान पर भेज देने से अक्सर उस दूसरे स्थान में रहने वाले कुत्तों या उस समुदाय के लोगों के साथ उनका तालमेल नहीं बैठता जिससे उनके बीच संघर्ष होता है, जिससे परेशान और तनावग्रस्त होकर वे वहां के लोगों को काटना शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा, कुतों के रिलोकेशन से गली के कुत्तों के प्रबंधन लिए अपनाई जाने वाली नसबंदी, टीकाकरण और समुदाय-आधारित देखभाल प्रयासों जैसी दीर्घकालिक रणनीतियों को सही तरीके से लागू करना संभव नहीं हो पाता है।
ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल/इंडिया में सीनियर डायरेक्टर, कंपेनियन एनिमल एंड एंगेजमेंट टीम, केरेन नाज़रेथ ने कहा: “हमारे देश में कई लोग इस तथ्य से अनजान हैं कि गली के कुत्तों को उनके सामान्य निवास स्थान से कहीं और भेजना (यानी उनका रिलोकेशन करना) अवैध है। हालांकि, रिलोकेशन के कारण होने वाले संघर्ष के बारे में हर कोई जानता है। हमारा #NoRelocation अभियान इस बात को लोगों के सामने लाने का प्रयास करता है कि रिलोकेशन के कारण मानवों और कुत्तों के बीच संघर्ष कैसे पैदा हो सकता है और गली के कुत्तों और मानव -समुदायों दोनों के लिए सही समाधान क्या हो सकते हैं। कुत्तों के रिलोकेशन का अनुरोध करने के बजाय, हम लखनऊ के लोगों से कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के प्रयासों को बढ़ाने हेतु अपना समर्थन देने का आग्रह करते हैं। यह तरीका कुत्तों की आबादी को नियंत्रित बनाए रखेगा और शारीरिक-मानसिक रूप से कुत्तों का स्वस्थ रहना और समुदाय का सुरक्षित रहना सुनिश्चित करेगा।”
लखनऊ नगर निगम में पशु कल्याण अधिकारी डॉ. अभिनव वर्मा ने कहा: "लखनऊ नगर निगम एबीसी डॉग रूल्स 2023 को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो स्ट्रीट डॉग्स के स्थानांतरण पर रोक लगाता है। हमें अक्सर निवासियों से इन कुत्तों को स्थानांतरित करने के अनुरोध प्राप्त होते हैं, इसलिए इन नियमों के बारे में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। इस तरह के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से, हम निवासियों को इनसे संबंधित कानून को समझने और हमारे शहर में स्ट्रीट डॉग्स के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
लखनऊ से अशोक कुमार कनौजिया