राधिका प्रेम का बलिदान

Aug 24, 2024 - 10:46
 0  24
राधिका प्रेम का बलिदान
Follow:

 राधिका प्रेम का बलिदान

उस दिन जन्माष्टमी का पावन त्योहार था ।मौसम बड़ा सुहावना था।कर्मयोगीभगवान श्री कृष्ण जी के जन्म दिवस पर शहर में जगह-जगह आकर्षक मनोहर झांकियां बनाई गई और सजाई गई थी। भगवान श्री कृष्ण के जीवन पर जगह जगह सजाई गई यह आकर्षक झांकियां बड़ी लुभावनी थी। पंडित दीनदयाल की इकलौती बेटी उर्मिला सेंट मैरी स्कूल तथा जगह जगह शहर की झांकियोंका श्रद्धा से अवलोकन करने के बाद जब मौसी रामा देवी के यहां पहुंची । तो मौसी ने अच्छे-अच्छे स्वादिष्ट भोजन केद्वाराअपनी उर्मिला पर प्रेम दर्शाया।

इस खाने-पीने में उर्मिला को रात के 10:00 बज गए। मौसी से विदा लेकर उर्मिला अकेली जब अपने घर जा रही थी। तभी आकाश में बिजली कोंधने लगी। देखते देखते वर्षा होने लगी । पानी से भीगने के डर से उर्मिला एक दुकान की टीन के नीचे आकर खड़ी हो ग।ई । जब खड़े-खड़े काफी देर हो गई और बरसात नहीं रुकी तो वर्षा के पानी से भीगते हुए उर्मिला घर को चल दी। तभी रास्ते में 2 मनचले लड़कों ने उसे घेर लिया और उस से छेड़छाड़ करने लगे । उर्मिला मनचले लड़कों से जूझ रही थी। तभी एक हट्टा कट्टा नौजवान युवक आ गया ।उसने इन दोनों मनचले लड़कों डांटते हुए कहा -क्या तुम्हारे मां बहन नहीं है ?

जो तुम इस अकेली लड़की को छेड़ रहे हो। कट्टे कट्टे आकर्षक युवक ने उन लड़कों की पिटाई की और इन मनचले लड़कों से उर्मिला की रक्षा की। पानी से भीगती हुई उर्मिला से हट्टा कट्टा युवक बोला- आप का क्या नाम है? तुम तो हमारे ही मोहल्ले में रह रही हो।मैं तुम्हारे घर तक तुम्हें छोड़ आऊंगा। अब डरने की कोई बात नहीं। पानी से भीगती हुई कांपती उर्मिला ने कहा- मेरा नाम उर्मिला है प्रेम से लोग मुझे राधिका भी कहते हैं । आपका क्या नाम है? हट्टा कट्टा आकर्षक युवक मुस्काया बोला- मेरा नाम किशन चंद्र त्रिपाठी है। मैं तुम्हारे पिताजीको अच्छी तरह से जानता हूं। तुम्हारे मोहल्ले में ही रहता हूं।

उर्मिला दुबे ने नीचेसे ऊपर तक उस युवक को देखा और उसको कुछ पहचानने के बाद उर्मिला उस युवक के साथ अपने घर की ओर चल दी । उर्मिला और वह युवक किशन चंद्र जा रहे थे। तभी आगे आकर एक गाड़ी रुक गई ।अपने पिता की मारुति गाड़ी को देखकर उर्मिला बोली- मेरे पिताजी आ गए हैं। आप भी मेरे साथ अपने घर के लिए चलिए । दीनदयालने अपनी गाड़ी की खिड़की खोली और उर्मिला को गाड़ी के अंदर बुलातेहुए कहा- तुमने मौसी के यहां बहुतदेर लगा ली। तुम्हारी मौसी ने ही मुझे बताया था। तुम अकेली आ रही हो। इसीलिए मैं गाड़ी लेकर तुम्हें लेने केलिए आ रहे थे। तुम सुरक्षित मिल गई ।

पितासे उर्मिला बोली -यह अपने मोहल्ले में रहने वाले किशन चंद्र जी हैं। इन्होंनेही 2 मनचले लड़कों से मेरी रक्षा की है। अगर उन्होंने रक्षा नहीं की होती तो मेरा आज अपहरण हो गया होता । भीगते हुए उस युवक और उर्मिला को गाड़ी के अंदर बैठा कर पंडित दीनदयाल दुबे अपने घर की ओर चल दिए। रास्ते में पंडित दीनदयाल ने उस युवक से कहा-- बेटा जब तुम्हारा घर आ जाए तो बता देना । मैंने अनेक बार तुम्हें कोठी वाली कपड़े की दुकानों पर देखा है युवक बोला - वही मेरा घर है ।मैं भी आपको आते जाते तमाम जगह देखा है। लेकिन आप से बातचीत नहीं की ।इसी बातचीत के बीच में युवक बोला- मेरा घर आ गया है मुझे यही उतार दीजिए ।

पंडित दीनदयाल ने गाड़ी रोकी और उसआलीशानकोठी को देखते हुए गाड़ी रोक कर युवक को उतारते हुए युवक से बोले- बेटा सुबह तुम निश्चित मेरे घर पर आना। मेरे घर पर बहुत आकर्षक झांकी सजी हुई है ।उसे देखना । उर्मिला को देखते हुए युवक गाड़ी से उतरा और अपने घर के अंदर चला गया। दूसरे दिन सुबह सफारी सूट पहने हुए युवक किशन उर्मिला के मकान परपहुंचा । दरवाजे की काल बजाई । उर्मिला ने घर का दरवाजा खोला और उस युवक को देख कर बोली ---आप अंदर आइए ।युवक उर्मिला के साथ मकान के अंदर कमरे में पहुंचकर एक कुर्सी पर बैठ गया ।

उर्मिला ने अपने पिता माता जी को जगाया और अपनी मां को बताया इन्हीं ने रात में मुझे दो मनचले लड़कों से बचाया था । उर्मिला की मां ने किशन चंद्र से कहा- बेटा मैं तुम्हारी बहुतआभारी हूं।तुम इसी तरह से मेरे घर आते रहना ।मुझे यह जानकर खुशी हुई थी कि तुमइसी मोहल्ले के रहने वाले हो। मेरे ही जात बिरादरी के हैं।किशन चंद्र ने झुककर उर्मिला की मां के पैर छुए और बोला -जब मैं 9वर्ष का था ।तब मेरी मां का देहांत हो गया था। मेरी मां की शक्ल आप जैसी ही थी ।वह भी हमेशा मुझसे बेटा ही कहती ।अब मैं घर पर अकेला रहता हूं तो मां की बहुत याद आती है ।

 उर्मिला की मां बोली -मेरे भी कोई बेटा नहीं है। उर्मिला मेरी इकलौती पुत्री है ।चलो मुझे आज एक बेटा मिल गया । उर्मिला ने किशन चंद के लिए बहुत स्वादिष्ट भोजन बनाया और मेज पर सजाते हुए कहा- आप भोजन कर लीजिए।किशन चंद उठा और बाथरूम में जाकर हाथ मुंह धो कर खाना खाने लगा । उर्मिला की ओर देखते हुए उर्मिला की मां से बोला उर्मिला बहुत अच्छा भोजन बनाती है ।यह सुनकर उर्मिला बहुत खुश हों गई ।किशन चंद्र बाथरूम में जाकर हाथ मुंह धोए और तोलिया से हाथपहुंछते हुए कहा--अब हमे जाने की आज्ञा दीजिए। उर्मिला की मां बोली बेटा- सुबह शाम का भोजन यही कर लिया करो। तुम घर पर अकेले रहते हो। होटल पर खाने के लिए मत जाया करो।

इस घर को तुम अपना ही घर समझो । उर्मिला कीमां के पैर छूकर किशन चला गया । दूसरे दिन उर्मिला किशन के घर पर पहुंची ।किशन चंद्र ने राधिका की खूब खातिर की और कहां यह सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई कि तुम्हारा नाम राधिका भी है मुझे अपनी राधिका मिल गई है उर्मिला यह सुनकर मुस्कुरा दी। कृष्ण चंद्र ने अपनी गाड़ी से उर्मिला कोउसके घर तक छोड़ने आया। इसके बाद किशन चंद का उर्मिला के घर के घर आना-जाना बढ़ गया। एक दिन जब शाम के समय किशनचंद उर्मिला के घर आया तो उर्मिला के पिता ने वार्तालाप के समय किशन चंद के परिवार पूरी जानकारी ली। किशन चंद ने बताया उसकी मां बचपन में जब नहीं रही तो वह मामा के यहां रह कर पढ़ा लिखा और दिल्ली में ही बिजनेस करने लगा ।

इसके बाद वह इस शहर में आकर 1कोठी खरीद कर कोठे की दुकानों में कपड़े का कारोबार करने लगा। मैं भी ब्राह्मण हू ।उर्मिला के पिता यह सुनकर बहुत खुश हुए। एक दिन रात के समय उर्मिला के पिता ने अपनी पत्नी से किशन चंद के परिवार का पूरा विवरण बताते हुए कहा लड़का होनहार स्वभाव का मिलनसार है । मेरी इच्छा है इस लड़के के उर्मिला की शादी कर दी जाए। तुम सुबह उर्मिला का इस संबंध में मन लेना। देखो वह क्या कहती है? उर्मिला पड़ी पड़ी मां बाप की यह सब बातें सुन रही थी। मन ही मन खुश हो रही थी। सुबह के समय मां ने जब राधिका से पूछा तो उर्मिला ने कहा मैं क्या बताऊं ?आप लोग जो निर्णय लेगी मैं उसी में खुश रहूंगी ।

शाम के समय किशन चंद राधिका के घर आया तो उर्मिला कीमां ने किशन चंद से कहा -मेरी उर्मिला एमए. तक पढ़ी लिखी है और यहां के इंटर कॉलेज में अध्यापिका है । बेटा तुम्हें उर्मिला कैसी लगती है? किशन चंद बोला राधिका जैसी उर्मिला को कौन बुरा कहेगा ।मुझे बहुत पसंद है ।इसके बाद किशन चंद्र और उर्मिला की शादी की तैयारी चलने लगी। उर्मिला और किशन चंद एक दूसरे के घर आने जाने लगे । दोनों में एक दूसरे के प्रति प्रेम बढ़ने लगा । एक दिन जब उर्मिला किशन चंद के घर पर पहुंची। किशनचंद घर पर नहीं था। कोठी के बाहर दुकान के नोकर ने बताया की मालिक किसी काम से बाहर गए हुए हैं और मुझसे कह गए हैं जब मेरी राधिका उर्मिला आए तो उसे अंदर कमरे में बैठने के लिए कहना।

मैं दो-तीन घंटे के अंदर आ जाऊंगा । उर्मिला कमरे के अंदर जाकर बैठ गई । जब कमरे के अंदर बैठी हुई थी तो उसे छत पर कुछ हलचल सुनाई दी। उर्मिला ने सोचा किशन चंद्र छत के ऊपर है। मुझे अचंभा देने के लिए ऐसा नौकर से कहलवा दिया । उर्मिला उठी और जीने से चढ कर कर छत पर पहुंची ।छत के कमरों में किवाड़ से झांक कर देखा। कमरे के अंदर 10-15 लोग बातों में लगे हुए हैं। छैनी हथोड़ा से ठोका पीटी कर करके कुछ बना रहे हैं । कमरों की तमाम मेजों पर तमाम पिस्तौले रखी हुईहै । उर्मिला तभी दवे पैरो से नीचे उतर आई और दुकान के नौकर से यह कहती हुई फिर आऊंगी अपने घर चली गई। घर पर पहुंच कर उसने पिता सेकहा की किशन चंद अच्छा व्यक्ति नहीं है।

यह किशनकोई आतंकवादी जान पड़ता है ।जाति धर्म छुपा रहा है। किशनके घर के ऊपर कमरों में पिस्तौल हथियार बनाए जा रहे हैं। इसकी सूचना एसपी को देना होगी । उर्मिला के पिता बोले अगर तुम यह बात बता रही हो तो इसकी सूचना एसपी को जरूर देना चाहिए। उर्मिला के पिता ने गैरेज से गाड़ी निकालीऔर सीधे एसपी के बंगले में पहुंच गए ।एसपी से मिलकर उर्मिला की कही हुई बातों को एसपी को बताया। एसपी ने उर्मिला से लिखित में लिया और उर्मिला से से बोले- बेटी तुम किशन चंद्र से मोबाइल पर पूछो ।तुम कितनी देर से घर पर पहुंच रहे हो। उर्मिला ने किशनचंद को मोबाइल मिलाया।

किशन चंद का जवाब आया। मैं घर पर आ गया हूं ।तुम फौरन आ जाओ ।पिक्चर देखने के लिए चलना है। उर्मिला बोली मैं तैयार होकर आ रही हूं और फोन काट दिया । एसपी ने उर्मिला की प्रशंसा करते हुए कहाअगर देश में तुम जैसी बेटियां पैदा हो जाएं तो इस देश का कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकेगा। आज देश की बेटियां देश की शक्ति है।पुलिस अधीक्षक ने तमाम फोर्स के साथ उर्मिला द्वारा बताई गई कोठी पर छापा मारा।

रंगे हाथ किशन चंद को पिस्तौल हथियारों के साथ बहुत बड़े आतंकवादी गैंग के साथ पकड़ा। प्रेस वार्ता में एस पी ने उर्मिला की प्रशंसा करते हुए कहा उर्मिला ने अपना राधिका प्रेम को निछावर करते हुए जो देश प्रेम के लिए त्याग दिखाया है वह प्रशंसनीय है । उर्मिला के कारण ही एक बहुत बड़ा आतंकवादी गैंग पकड़ागया ।जिस के मंसूबे बहुत बुरे थे। दूसरे दिन एक समारोह आयोजित कर उर्मिला और उनके पिता पंडित दीनदयाल दुबे का नागरिक अभिनंदन कियागया । बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी