BRS Telangana: तेलंगाना पार्टी के विधायक क्यों भाग रहे हैं, हाईकोर्ट में शरण
BRS Telangana: भारत की एक पार्टी पर फिर बड़ा संकट मंडरा रहा है. मुश्किल घड़ी है, कुछ भी हो सकता है।
बात विधानसभा से निकलकर हाईकोर्ट की चौखट तक पहुंच गई है. हालांकि भारत में ऐसा होना कोई नई बात नहीं। इससे पहले भी कई सियासी पार्टियों पर संकट के बादल छा चुके हैं. कुछ खुद को संभाल लेते हैं तो कुछ का हाल शिवसेना और एनसीपी की तरह हुआ जहां वो टूटकर दो हिस्सों में बंट जाती हैं. यहां बात BRS की जिसके खिलाफ ऐसा सीक्रेट ऑपरेशन चल रहा है जिसमें एक-एक करके उसके 10 वर्तमान विधायक अपने सुप्रीम नेता केसीआर (KCR) का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं।
तेलंगाना के पॉलिटकल पंडितों का कहना है कि ये सिलसिला खत्म नहीं हुआ है बल्कि इतना तेज होने वाला है कि पार्टी अध्यक्ष और उनके परिवार को छोड़कर कोई BRS का झंडा उठाने वाला भी नहीं बचेगा। गौरतलब है कि उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक कांग्रेस, बीजेपी पर अपने सांसद और विधायक तोड़ने का आरोप लगाती आई है, उसका कहना है कि बीजेपी के कुछ नेता जरूरत पड़ने पर ऑपरेशन लोटस चलाते हैं और हॉर्स ट्रेडिंग करके उसके नेताओं को अपने पाले में कर लेते हैं. हालांकि खुद उसके कुछ नेता गाहे-बगाहे कबूल कर चुके हैं कि वो बीजेपी की भाषा में जवाब देना जानते हैं।
कर्नाटक में तो ऐसा हो चुका है. लेकिन यहां बात तेलंगाना की जहां बीआरएस के नेता लगातार आरोप लगा रहे हैं कि कांग्रेस उसके नेताओं को पैसे देकर खरीद रही है। तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हुए वहां आठ महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है. इस दौरान उनकी पार्टी के 39 में से 10 विधायक, 10 एमएलसी और 1 राज्यसभा MP कांग्रेस ज्वाइन कर चुके हैं. BRS को डर है कि विधानसभा में उसे जीरो करने के लिए कांग्रेस को बस 16 MLA और चाहिए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस के कुछ नेता खुले आम दावा करते हैं कि इस जुलाई और अगस्त में बड़ा खेला होने जा रहा है।
इस बार 16 बीआरएस MLA पाला बदलकर कांग्रेस में आ जाएंगे. साफ है कि कांग्रेस के ऑपरेशन से BRS में खलबली है. ऐसे में अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही BRS अपने सभी बागी विधायकों की सदस्यता रद्द कराने के लिए तेलंगाना हाईकोर्ट पहुंची है। बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटीआर ने बीआरएस विधायकों के खिलाफ प्रोटोकॉल उल्लंघन पर चिंता जताई है. उन्होंने 15 जुलाई को भी स्पीकर को पत्र लिखकर न्याय की मांग की है. केटीआर ने कहा कि जब से राज्य में कांग्रेस सरकार आई है, बीआरएस को निशाना बनाया जा रहा है. बाकी बीआरएस नेताओं का भी यही कहना है कि स्पीकर कांग्रेस के हैं, इसलिए उन्होंने पाला बदलने वाले विधायकों की मान्यता रद्द नहीं की और न ही उनके पत्र का कोई जवाब दिया।
लिहाजा हाईकोर्ट जाना पड़ा. मजे की बात ये है कि जो बीजेपी बीते 10 साल में केसीआर पर करप्शन का आरोप लगाकर बीआरएस मुक्त तेलंगाना का विजन बताती थी वो खुद उसके मुश्किल वक्त में बीआरएस का साथ अप्रतक्ष्य रूप से खड़ी दिख रही है. बीजेपी खुद हाईकोर्ट पहुंची है क्योंकि शायद खुद उसे भी अपने आठ विधायक टूटने का खतरा मंडरा रहा हो। बीआरएस में पालाबदल का खेल विधानसभा चुनावों से पहले शुरू हो गया था. चुनाव के बाद कांग्रेस-लेफ्ट अलायंस ने सूबे की 119 में से 65 सीटें जीतीं।
तेलंगाना में कांग्रेस सरकार बनी. इस बीच खैराताबाद से कांग्रेस विधायक दानम नागेंद्र का दावा है कि BRS का कांग्रेस में मर्जर हो जाएगा, क्योंकि उनके कई MLA हमारे संपर्क में हैं. अगर एक तिहाई बहुमत वाले MLA हमारे पास आ जाते हैं तो BRS कानूनी तौर पर भंग हो जाएगी, क्योंकि सिकंदराबाद विधायक की मौत के बाद विधानसभा में BRS के बस 38 MLA बचे थे. उनमें 10 कांग्रेस जॉइन कर चुके हैं।