सीबीआई अदालत, लखनऊ ने डॉ. वी.के. आर्या एवं डॉ. बी.पी. सिंह की हत्या से संबंधित दो मामलों में आरोपी आनंद प्रकाश तिवारी को आजीवन कारावास के साथ 58,000 रु. के जुर्माने की सजा
नई दिल्ली (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) । नामित सीबीआई अदालत, लखनऊ ने डॉ. वी.के. आर्या एवं डॉ. बी.पी. सिंह की हत्या से संबंधित दो मामलों में आरोपी आनंद प्रकाश तिवारी को आजीवन कारावास के साथ 58,000 रु. के जुर्माने की सजा सुनाई।
सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश कोर्ट संख्या 2, लखनऊ ने आज डॉ. वी.के. आर्या एवं डॉ. बी.पी. सिंह की लखनऊ में हुई हत्या से संबंधित दो मामलों में आरोपी आनंद प्रकाश तिवारी को आजीवन कारावास के साथ 58,000 रु. के जुर्माने की सजा सुनाई।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने डॉ. वी.के. आर्या एवं डॉ. बी.पी. सिंह की लखनऊ में क्रमशः दिनांक 27.10.2010 तथा दिनांक 02.04.2011 को हुई हत्याओं के संबंध में माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दिनांक 27.07.2011 के आदेश पर दो मामलों को पुनः दर्ज किया था एवं स्थानीय पुलिस से जांच अपने हाथों में ली थी। डॉ. वी.के. आर्या, तत्कालीन सीएमओ, परिवार कल्याण, लखनऊ की 27 अक्टूबर 2010 को प्रातः लगभग 6 बजे लखनऊ के विकास नगर क्षेत्र में उनके घर के पास दो अज्ञात मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, जब वे सुबह की सैर के लिए निकले थे।
डॉ. बी.पी. सिंह. तत्कालीन सीएमओ, परिवार कल्याण, लखनऊ की भी दिनांक 02.04.2011 को प्रातः लगभग 6.00 बजे लखनऊ के गोमती नगर क्षेत्र में दो अज्ञात मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, जब वे भी सुबह की सैर के लिए निकले थे। यह आरोप लगाया गया था कि डॉ. वाई.एस. सचान (अब दिवंगत) ने डॉ. वी.के. आर्या एवं डॉ. बी.पी. सिंह को खत्म करने के लिए आरोपी आनंद प्रकाश तिवारी सहित ‘सुपारी हत्यारों(contract killers) को कार्य सौपा था।
हत्या के इन दो मामलों की शुरुआती जांच स्थानीय पुलिस ने की थी। सीबीआई को मामले सौंपे जाने से पहले स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच की थी एवं आनंद प्रकाश तिवारी सहित आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया था। दोनों मामलों में स्थानीय पुलिस की जांच में डॉ. वाई.एस. सचान, तत्कालीन उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी, परिवार कल्याण, लखनऊ की संलिप्तता पाई गई थी, हालांकि जांच के दौरान उनकी मौत हो जाने के कारण उनके विरुद्ध आरोप पत्र दायर नहीं किया गया था।
दोनों मामलों में अपनी जांच पूरी करने के पश्चात, सीबीआई ने मई 2012 में आनंद प्रकाश तिवारी सहित अन्य आरोपियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी के साथ पठित धारा 302 एवं शस्त्र अधिनियम की धारा 3/25/27 के तहत पूरक आरोपपत्र दायर किए। मामले को सिद्ध करने हेतु अभियोजन पक्ष ने 45 अभियोजन गवाहों का परीक्षणव किया, विभिन्न दस्तावेज प्रस्तुत किए तथा 04 बचाव पक्ष के गवाहों का भी परिक्षण किया। विचारण के पश्चात, न्यायालय ने आरोपी को दोषी ठहराया एवं उसे तदनुसार सजा सुनाई।