तीन अनुभव
तीन अनुभव
कभी-कभी दूसरों के अनुभव सबके लिए उपयोगी हो सकते हैं । अत: हमको जीवन में अच्छे-अच्छे उपयोगी अनुभव दूसरों के साथ भी बाँटने चाहिए । इस तरह किसी के बताए ऐसे तीन अनुभव ये हैं ।
जीवन सुख-दुःख का चक्र है, यही जीवन का सत्य है, अनुकूल समय में हमें इस पर कभी भी विचार करने की आवश्यकता नहीं होती, जब कभी जीवन में हमारे समक्ष विपरीत परिस्थितियाँ आती हैं तो हम कर्तव्य विमूढ़ हो जाते हैं, ऐसे में स्वजन और मित्रगण संबल बनते हैं, समाधान खोजने में सहायता करते हैं तो राहत मिलती है, दुःख के प्रमुख कारण हमारी बाहरी परिस्थितियाँ,आसपास के व्यक्तियों का व्यवहार, महत्वाकांक्षाएँ एवं कामनाएँ आदि है ।
जीवन में आई प्रतिकूल परिस्थितियों एवं समस्याओं के लिए कोई दूसरा व्यक्ति या भाग्य दोषी नहीं है, उसके लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार हैं, हमारे कर्मों और व्यवहार की वजह से ही परिस्थितियाँ निर्मित होती हैं, हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि सामने वाले व्यक्ति का व्यवहार हमारे व्यवहार को प्रभावित न करें, अतः हम अपने स्वभाव के अनुकूल क्रिया करें ।
कितना सुहाना बन जाता हैं रिश्ता जहाँ बुज़ुर्गों का सम्मान होता है। पुरानी यादों और नए वादों के साथ किस्सा ठहाके लगाता हैं।भले ही पीढ़ियों का अलग हो अंदाज़ या अलग ढंग पर होता है बुज़ुर्ग के प्रति सम्मान जो अन्त नही पर अनुभव की शुरुआत है। तजुर्बा वे विश्वास वे ही हैं । वरदान, खुशी, आशीर्वाद तीनो एक साथ मिल सकता है क्योंकि अनुभव होते-होते सारी उम्र भी बीत जाती है ।
नफरत और प्रेम के दो पहलू है । नफरत को पल भर में महसूस कर लिया जाता है और वहीं प्रेम का यकीन दिलाने में अरसा बीत जाता है। कहते है कि सामने वाले पर जो असर विनम्रता से कही बात का होता है कठोर शब्दों में कही बात उतना ज्यादा असर नहीं करती है क्योंकि दरवाजा खोलने के लिए खटखटाया जाता है न कि जोर - जोर से ठक - ठक करते रहो ।
प्रदीप छाजेड़