Basant Panchami 2024 Date and Shubh Muhurat : बसंत पंचमी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजाविधि

Feb 14, 2024 - 08:17
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Basant Panchami 2024 Date and Shubh Muhurat : बसंत पंचमी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजाविधि
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Basant Panchami 2024 Date and Shubh Muhurat : इस साल 14 फरवरी 2024 को बसंत पंचमी मनाया जा रहा है। इस दिन को मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

साधक विद्या और ज्ञान की प्राप्ति के लिए मां शारदा की विधिवत पूजा-आराधना करते हैं। इस त्योहार को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से करियर में आने वाली बाधाओं से छुटकारा मिलता है और जीवन के हर क्षेत्र में अपार सफलता मिलती है। आइए जानते हैं बसंत पंचमी तिथि का शुभ मुहूर्त, पूजाविधि, मंत्र, पूजा सामग्री और सरस्वती वंदना.... 

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त : पंचांग के अनुसार, इस बार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का आरंभ 13 फरवरी को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट पर शुरू हो रहा है और अगले दिन यानी 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त : बसंत पंचमी के दिन 14 फरवरी 2024 को सुबह 7 बजकर 1 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक पुजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है।

सामग्री लिस्ट : हल्दी, अक्षत, केसर, पीले वस्त्र, इत्र, सुपारी, दूर्वा, कुमकुम, पीला चंदन,धूप-दीप, गंगाजल, पूजा की चौकी,लौंग, सुपारी, तुलसी दल और भोग के लिए मालपुआ, लड्डू, सूजी का हलवा या राजभोग में से किसी भी चीज का भोग लगा सकते हैं। पूजाविधि : सरस्वती पूजा के लिए सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद पीले वस्त्र धारण करें। मंदिर की साफ-सफाई करें। इसके बाद मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें पीले रंग का वस्त्र अर्पित करें।

अब रोली, मोली, चंदन, केसर,हल्दी पीले या सफेद रंग का वस्त्र अर्पित करें। मां सरस्वती को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद सरस्वती वंदन का पाठ करें। मां सरस्वती के बीज मंत्रों का जाप करें। अंत में मां सरस्वती समेत सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें। पूजन के बाद सभी लोगों को प्रसाद बांटे और खुद भी सेवन करें। 

बीज मंत्र : बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए

 'ओम् ऐं सरस्वत्यै नम:' मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं।

सरस्वती वंदना : या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

 या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।