Bihar political: नीतीश कुमार के एक पैंतरे से RJD चित
Bihar political : चीफ मिनिस्टर नीतीश कुमार को यूं ही नहीं राजनीति का खिलाड़ी कहा जाता है. बिहार में 18 साल तक सीएम पद पर रह चुके नीतीश कुमार को साथी राजनीतिक दलों को आगे पीछे घुमाने की कला भली भांति पता है।
ललन सिंह को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाने में एक हफ्ते से अधिक का समय लेकर पूरे देश की मीडिया और राजनीतिक दलों के केंद्र में खुद को रखने की कला विपक्ष में केवल नीतीश कुमार के पास ही है. अभी भी देश की सबसे बड़ी पार्टियों आरजेडी सहित भाजपा और कांग्रेस की नजर उनके अगले कदम पर ही है।
कोई भी नहीं समझ पा रहा है कि नीतीश कुमार क्या करने वाले हैं. पर नीतीश कुमार इस बीच अपने उद्देश्य में पूरी तरह सफल दिख रहे हैं. कांग्रेस और आरजेडी को तो उन्होंने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया है और बीजेपी के भी बोल उनके लिए सॉफ्ट हो गए हैं. इधर पिछले कुछ दिनों से निस्तेज से दिख रहे नीतीश कुमार अपने इसी पैंतरे के बलबूते मजबूत होकर उभरे हैं।
नीतीश के पैंतरे से आरजेडी चित नीतीश कुमार राजनीति में शतरंज वाली चालें चलते हैं. उन्होंने अपने एक कदम से न केवल आरजेडी को कंट्रोल कर लिया है बल्कि अपनी पार्टी को भी टूटने से बचा लिया है. नीतीश कुमार अपनी पार्टी के प्रेसिडेंट ललन सिंह को हटाने का काम चुपके से भी कर सकते थे. पर इसके लिए उन्होंने कार्यसमिति और आम सभा की बैठक बुलाई।
ललन सिंह के साथ क्या होने वाला है इसकी खबर भी लीक करवाई और चुपचाप मीडिया और राजनीतिक दलों को अटकलें लगाने के लिए छोड़ दिया. जाहिर ये सब एक प्लानिंग के तहत ही हुआ होगा. उनकी इस चाल का असर हुआ है . आरजेडी अब शांत है. बताया जा रहा है कि प्रदेश के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव जो कई दिनों से मुख्यमंत्री से मिल भी नहीं रहे थे आज सीएम आवास पहुंचे।
कल ईडी के सामने तेजस्वी की पेशी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले कुछ दिनों से न लालू यादव से बातचीत कर रहे हैं और न ही तेजस्वी से. अब आरजेडी फैमिली शांत है. लालू फैमिली को ये बात पता है कि अगर नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया तो वे न घर के रहेंगे न घाट के. क्योंकि पाला बदलते ही बिहार में सरकार तो गिर ही जाएगी।
2019 की तरह लोकसभा चुनावों में एक भी सीट आने की आशंका भी बन जाएगी. फिलहाल नीतीश की घुड़की से लोकसभा चुनावों तक लालू और तेजस्वी अब शांत रहने वाले हैं। हालांकि इसके पीछे एक कारण और बताया जा रहा है. ईडी की पूछताछ के बाद तेदस्वी की गिरफ्तारी का डर भी आरजेडी को सता रहा है।
राजनीतिक विश्वेषकों का कहना है जिस तरह झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी गिरफ्तारी होने की स्थिति में अपनी पत्नी कल्पना को सीएम पद के लिए तैयार कर रहे हैं उसी तरह तेजस्वी भी कर सकते हैं. बिहार के राजनीतिक हल्कों में इस बात की चर्चा तेज है कि तेजस्वी के गिरफ्तार होने स्थिति में उनकी जगह उनकी पत्नी राजश्री को लाया जा सकता है।
इसके चलते भी आरजेडी अब शांत हो गई है. लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और आरजेडी दोनों जेडीयू से डील करने की इच्छुक नीतीश कुमार अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं. वो जानते हैं कि लोकसभा चुनाव के पहले उनकी शर्तें बीजेपी और आरजेडी दोनों ही पार्टियां मान सकती हैं।
लोकसभा चुनावों के बाद विधानसभा चुनाव के समय तो न आरजेडी उन्हें मुख्यमंत्री बनने देने वाली है और न ही बीजेपी. आरजेडी के एक नेता ने जिस तरह राममंदिर का विरोध किया उसका उसी के भाषा में जेडीयू ने जवाब दिया है. राम मंदिर पर जेडीयू कहीं से भी आरजेडी वाली भाषा नहीं बोल रही है। नीतीश कुमार को राम मंदिर समारोह में बुलाया भी जा रहा है।
मंदिर ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल की माने तो नीतीश कुमार को इन्वाइट करने सीएम आवास संगठन के 2 लोग गए हुए थे पर सीएम कहीं बाहर थे. सीएम से समय मिलते ही फिर उन्हें इन्वाइट करने के लिए लोक जाएंगे. इसमें कोई 2 राय नहीं है कि सीएम नीतीश कुमार राम मंदिर समारोह में शामिल होकर सबको चौंका सकते हैं ।
बीजेपी से भले ही चुनावी गठबंधन न करें नीतीश कुमार पर लोकसभा चुनावों तक वो आरजेडी को भ्रम में रखेंगे. यही हाल वो बीजेपी के साथ भी करने वाले हैं.हालांकि इसमें भी कोई 2 राय नहीं है कि वो अब आरजेडी के साथ लोकसभा चुनाव नही लड़ने वाले हैं।
नीतीश कुमार और बीजेपी दोनों ही यह समझ रहे हैं कि बीजेपी का नारा अबकी बार -400 के पार तभी पूरा होगा जब बिहार की सारी सीटें बीजेपी को मिल जाएंगी. नीतीश कुमार बस ये चाहते हैं कि लोकसभा चुनावों के पहले बीजेपी से जितना ले लेंगे उतना ठीक है।
विधानसभा चुनावों में तो कुछ मिलना नहीं है. बीजेपी लोकसभा चुनावों के बाद बिहार में महाराष्ट्र की तर्ज पर अपना प्रभावी डिप्टी सीएम बनाकर भी काम चला सकती है पर लोकसभा चुनावों में उसे किसी भी सूरत में अधिकतम सीट चाहिए। इंडिया एलायंस भी नीतीश के अर्दब में इंडिया एलायंस में जिस तरह नीतीश कुमार को भाव मिलना बंद हो गया था.अब वैसा नहीं है।
इंडिया गठबंधन की चौथी मीटिंग के बाद लालू यादव और नीतीश कुमार में बिल्कुल बातचीत बंद हो गई थी. ऐसा लगने लगा था कि नीतीश कुमार कहीं भी जा सकते हैं. ऐसा होने की आशंका में नीतीश कुमार को मनाने के लिए खुद राहुल गांधी को फोन करना पड़ा है।
कांग्रेस ममता बनर्जी को भी मनाने का प्रयास कर रही है कि वो मल्लिकार्जुन खरगे को पीएम पद का प्रत्य़ाशी बनाने की हड़बड़ी न दिखाएं. उम्मीद है कि बहुत जल्दी ही का्ंग्रेस की ओर इंडिया ब्लॉक का संयोजक बनाने के लिए नीतीश के नाम प्रस्ताव रख दिया जाएगा. हालांकि इस बीच जिस तरह नीतीश कुमार खेल रहे हैं उससे तो यही लगता है कि वो इंडिया ब्लॉक को ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं हैं।
नीतीश कुमार ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश और सीतामढ़ी से जेडीयू के उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. बिना इंडिया या आरजेडी की रजामंदी के इस तरह फैसले लेने का क्या मतलब हो सकता है यह तो नीतीश कुमार ही बता सकते हैं. इस बीच शिवसेना यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी फोन करके नीतीश कुमार को मनाने की कोशिश की है।