विषय आमंत्रित रचना - अच्छा है कि आपकी समस्या का समाधान हो गया है
विषय आमंत्रित रचना - अच्छा है कि आपकी समस्या का समाधान हो गया है ।
मानव स्वयं अपने दुःख व कर्मों का कर्ता है । समस्या का होना व उसका सही से समाधान होना उसके हाथ में होता है । समस्या कैसी भी क्यूँ न हो उसका समाधान होता है। जटिल से जटिल बिमारी का भी सही से यथोचित निदान होता है। पर्वत का सीना चीरकर भी सुरंग बनायी है आदमी ने ।
परिस्थिति के आगे घुटने नहीं टेकने वाला ही महान् होता है। वाणी व्यक्ति की पहचान है| ज्ञान व विचारों का आदान प्रदान का माध्यम है | वाणी का दुरुपयोग रण भूमि का निर्माण कर सकती है | तो अमन शान्ति का पैगाम बन, चन्दन की शीतल सुहास फैला सकती है। सोये हुए का शौर्य जगा सकती है तो बहके हुए को सद राह ला सकती है। वाणी में वह शक्ति है जो सुख साम्राज्य बसा सकती है ।
तो असद उपयोग से हाहाकार भी मचा सकती है। इसी लिए कहा है महापुरुष ज्ञानी ने - बोलो मित, मिष्ट, प्रियसत्य और समय और जगह देख कर बोलो। निकले शब्द ,तरकश से छूटे बाण की तरह फिर लौटके नहीं आते। कभी - कभी हम देखते है मौन से भी अनेक समस्या का हो जाता है समाधान ।
वाणी का हो सदा समोचित सद उपयोग अन्यथा समस्या का पड़ने सकता है भोग। समस्याएं पैदा भी हमारा दिमाग करता है और उनका समाधान भी दिमाग ही करता है ।कोई मरकर भी जीता है तो कोई जिंदा रहते हुए भी अपने चिंतन ही से मरता है । यदि हम अपने चिंतन को सही सकारात्मक रक्खेंगे तभी तो इस जीवन को जीने का स्वाद चक्खेंगे । आसक्ति है सबसे बड़ा बंधन।
आसक्ति से मुक्ति का सही से उपाय है आत्म दर्शन। जिसके मन में कोई चाह नहीं वह कही पर भी रह सकता है प्रसन्न ।हमारी सुरक्षा है हमारे ही भीतर।संयम है सबसे बड़ा सुरक्षा कवच।जहां संयम होता है वहां अभय की सही से चेतना स्वतः हो जाती जागृत। संयम सधता जाएगा जैसे - जैसे होगा ममत्त्व विसर्जन।जहां भय है वहां हिंसा है निश्चित।दो जगत है एक पदार्थ का व एक आत्मा का जगत।पदार्थ जगत के है तीन परिणाम- भय,तनाव और अतृप्ति। आत्मा के भी है तीन परिणाम-अभय,तनाव-मुक्ति और सहज तृप्ति।
कुछ देर अपने भीतर देखने का करें हम अभ्यास। कितनी ही समस्याओं का स्वतः समाधान अपने आप हो जाएगा प्राप्त। समस्या और दुःख एक नहीं है। समस्या आये तो सुलझाएं आनंद के साथ। देख समस्या को न घुटने टेकें और न ही मनोबल गिराएं । संयम का करें विकास। अनासक्ति का करें विकास। जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ समस्या नहीं पर ऐसी कोई समस्या नही की जिसका समाधान न प्राप्त किया जा सके। यद्यपि हर मर्ज की दवा है मगर समस्या यहाँ पर आती है कि मर्ज क्या है ?
क्योंकि बात उतनी गम्भीर होती नही जितनी हम समझते है हमारा विषाद, प्रसाद में तब बनेगा जब हम नकारात्मक बातों की सही से मार्केटिंग करना बंद करेंगे । जीवन के वास्तविक सौन्दर्य को जानेंगे । भीतर निर्मित निराशा के वातावरण को दूर करेंगे ताकि विकास अवरुद्ध ना हो । हम केवल अन्धकार को कोस रहे हैं पर दीपक जलाने की हिम्मत हमको करनी है ।
अपनी अच्छा सोच और सकारत्मक से। समय की क़ीमत को हर किसी के लिये आँकना नहीं आसान । हर समय की क़ीमत वहीं जाने जो होता विवेकवान । मूर्ख क्या जाने कि हीरा होता है कितना मूल्यवान । पारसमणि पास होते हुए भी नही बन पाता धनवान । यह जानकर समय बन गया दयावान । वह बता रहा अपनी क़ीमत अपनी ज़ुबान मैं हूँ बड़ा बलवान और भाग्यवान । जिसने मुझे आँका वह बन गया महान । मेरा जिसने किया मान-सम्मान उसने पाया हर समस्या का समाधान । मुझमे इतनी सही से शक्ति है जो छू ले सफलता का आसमान । मनुष्य जीवन है दुर्लभ यह जानता प्रज्ञावॉन ।
मुझसे प्रीत लगा वह हो गया धर्म की और गतिमान । मैं भी अंत तक उसके साथ रहता चलायमान जब तक वह नहीं पाता मुक्ति का वरदान ।मैं हूँ अमूल्य , इसको जान लेना दुष्कर्मों में कभी नहीं मुझे लगाना । महावीर की वाणी ‘समयम गोयम मॉ पमायए इसको अब तो सभी अपनालेना । यदि समस्या है तो उसका समाधान भी है |जहाँ चढ़ाई है वहाँ निश्चित रूप से ढ़लान भी है।
अगर विश्वास की पतवार हाथ मे हो तो हर तूफान पर विजय पाना आसान भी है। आप जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल तभी हो सकते हैं | जब आप अपनी काबिलियत का सौ प्रतिशत इस्तेमाल करें | अगर आप थोड़ी सी परेशानियों से घिरने पर खुद की क्षमताओं पर ही संदेह करने लगेंगे तो सफल होना मुश्किल है | हो सकता है कि एक बार प्रयास करने पर सफलता न मिले लेकिन अगर आप नकारात्मकता से दूर रहते हुए पूरे मन से प्रयास करेंगे तो सफलता मिलनी तय है। प्रदीप छाजेड़