Diwali Laxmi Puja Time And Puja Vidhi: दीपावली के शुभ मुहूर्त में करें लक्ष्मी पूजा, और पूजा की संपूर्ण विधि
Diwali Laxmi Puja Time And Puja Vidhi: वर्ष की सभी अमावस्या में कार्तिक अमावस्या की तिथि श्रेष्ठतम मानी गई है, क्योंकि इस दिन महालक्ष्मी की पूजा-आराधना करके अपने इष्ट कार्य को तो सिद्ध किया ही जा सकता है,शक्ति आराधना के लिए भी यह अमावस्या सर्वोपरि मानी गई है। इस दिन भगवान राम असुरों का संहार करके अयोध्या लौटे थे, जिनका दीपोत्सव करके स्वागत किया गया था। दिवाली का दिन लक्ष्मी के स्वागत का दिन है।
हम चारों ओर प्रकाश फैलाकर सकारात्मकता के साथ महालक्ष्मी से समृद्धि और सम्पन्नता मांगते हैं। इसमें अंधेरे को दूर कर प्रकाश किया जाता है, इसी तरह हमें अपने अन्दर के विकारों के अन्धकार को मिटाकर अनुशासन, प्रेम, सत्य और सदाचार रूपी प्रकाश से स्वयं को प्रकाशित करना चाहिए। दिवाली लक्ष्मी पूजा विधि इस दिन प्रदोष वेला से लेकर पिशाच वेला के आरंभ से पहले तक ही महालक्ष्मी पूजा का विधान है। यह पिशाच वेला रात्रि 02 बजे से आरंभ होती है।
पूजा के लिए लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और इस पर साबुत अक्षत की एक परत बिछा दें। अब श्री लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को विराजमान करें एवं यथाशक्ति पूजन सामग्री लेकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। उत्तर दिशा को वास्तु में धन की दिशा माना गया है, इसलिए दीपावली पर यह क्षेत्र यक्ष साधना, लक्ष्मी पूजन और गणेश पूजन के लिए आदर्श स्थान है। जल कलश व अन्य पूजन सामग्री जैसे-खील पताशा,सिन्दूर,गंगाजल,अक्षत-रोली,मोली,फल-मिठाई,पान-सुपारी,इलाइची आदि उत्तर और उत्तर-पूर्व में ही रखा जाना शुभ फलों में वृद्धि करेगा। इसी प्रकार गणेशजी के पूजन में दूर्वा, गेंदा और गुलाब के फूलों का प्रयोग शुभ माना गया है।
पूजा स्थल के दक्षिण-पूर्व की तरफ घी का दीप जलाते हुए ॐ दीपोज्योतिः परब्रह्म दीपोज्योतिः जनार्दनः ! दीपो हरतु में पापं पूजा दीपं नमोस्तुते ! मंत्र बोल लें। प्रसन्न चित्त से भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करें। देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश के लिए भोग में खीर, बूंदी के लड्डू,सूखे मेवे या फिर मावे से बनी हुई मिठाई रखें एवं आरती करें। पूजन के बाद मुख्य दीपक को रात्रि भर जलने दें।लक्ष्मी जी के मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः । का यथाशक्ति जप करें।
पूजन कक्ष के द्वार पर सिन्दूर या रोली से दोनों तरफ स्वास्तिक बना देने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करती हैं। दीपावली पूजन में श्रीयंत्र की पूजा सुख-समृद्धि को आमंत्रित करती है। वहीं विद्यार्थी वर्ग इस दिन माता महासरस्वती का मंत्र "या देवि ! सर्व भूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता ! नमस्तस्यै ! नमस्तस्यै ! नमस्तस्यै नमोनमः !! का जप करके शिक्षा प्रतियोगिता में बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
दिवाली शुभ मुहूर्त कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 12 नवंबर दोपहर 02 बजकर 44 मिनट पर शुरू हो रही है। साथ ही इसका समापन 13 नवम्बर दोपहर 02 बजकर 56 मिनट पर होगा। ऐसे में दीपावली का पर्व 12 नवंबर, रविवार के दिन मनाया जाएगा। साथ ही इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के लिए प्रदोष काल सबसे उत्तम माना गया है।
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त - 12 नवंबर शाम 5 बजकर 38 मिनट से 7 बजकर 35 मिनट तक। निशिता काल मुहूर्त - 12 नवंबर की रात्रि 11 बजकर 35 मिनट से 13 नवंबर रात 12 बजकर 32 मिनट तक। प्रदोष काल - शाम 05 बजकर 29 मिनट से 08 बजकर 08 मिनट तक। वृषभ काल - शाम 05 बजकर 39 मिनट से 07 बजकर 35 मिनट तक।