नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) नवम दिवस
नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) नवम दिवस -
भुवाल माता का स्मरण
ऐसा अनुभव है
जो किसी भी वाणी का
विषय नहीं बनता ,
जिसकी सीमा में
कोई भी तर्क
प्रवेश नहीं कर पाता ,
जो केवल स्वंसवेघ होता हैं ।
इस तरह जब हम
आगे बढ़ते हुए
अनंत चतुष्टयी की शरण में जाते है ,
हमारे सामने अनंत ज्ञान
अनंत दर्शन की धाराएं दौड़ती हैं ।
अनंत अनंत की धाराएं,
शक्ति विकसित हो
अनुभव के बीज फूटने लगते है ।
ऐसे ही क्षणों में आत्मा का
होता है सही से रूपांतरण।
प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )