महानता के लक्षण

Oct 8, 2023 - 17:51
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महानता के लक्षण
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महानता के लक्षण

 हम विशाल भवनों , साधनों , शब्दों के उच्च उच्चारण के आधार पर किसी की महत्ता को न आंके बल्कि उसके जीवन में सही सदाचरण से उसको आंके। और दूसरों को कुछ उपदेश देने से पहले स्वयं पर उसे लागू करें।

गुरुदेव तुलसी के स्मरणीय शब्द निज पर शासन फिर अनुशासन हम अपने जीवन में छोटी छोटी लेकिन बहुकीमती सीखों को जीवन के आचरण में लाकर अपना आत्मोद्धार करें ।जो इनकी कीमत को पहचानकर जीवन में सही से अपनाकर ,अपने जीवन में सुधार करके महानता की ओर बढ़ता हैं यानी जीवन को सार्थक करता है वह महान होता हैं । सदियों पहले महावीर जन्मे वे जनम से महावीर नही थे।

 उन्होंने जीवन भर अनगिनत संघर्षों को झेला,कष्टों को सहा, दुख से सुख खोजा और गहन तप एवं साधना के बल पर सत्य तक पहुँचे वे हमारे लिए आदर्श की ऊँची मीनार बन गए।उन्होंने समझ दी की महानता कभी भौतिक पदार्थों,सुख-सुविधाओं,संकीर्ण सोच एवं स्वार्थी मनोवृत्ति से नही प्राप्त की जा सकती उसके लिए सच्चाई को बटोरना होता है ।

 नैतिकता के पथ पर चलना होता हैं और अहिंसा की जीवन शैली अपनानी होती हैं। श्रेष्ठता का आधार कोई ऊँचे आसन पर बैठना नही होता हैं । श्रेष्ठता का सही आधार हमारी ऊँची सोच पर निर्भर करता है।हम कितनी ही आधुनिक शिक्षा प्राप्त कर ले किंतु जब तक सोच ऊँची एवं व्यावहारिक अनुभव अद्धभूत नही रहेगा हम में कोई ना कोई कमी रहती रहेगी।सुनी हुई बात हैं पर आज भी आचरण करने योग्य स्वर्ग पाना है या सच्चा सुख ।

सोच को अपनी ले जाओ शिखर तक की उसके आगे सितारे भी झुक जाए ।न बनाओ अपने सफ़र को किसी कश्ती का मोहताज । चलो इस शान से की तूफ़ान भी झुक जाए ।फिर देखो कमाल इसलिए ऊँची रखे सोच । सारांश में हम कह सकते हैं कि आर्थिक रूप से संपन्न दीखने से ही कोई महान नहीं हो जाता हैं ।महान कर्मों से आदमी महान बनता है । प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )