संकल्प से सफलता तक: स्वाध्याय की शक्ति पर विजय गर्ग की प्रेरक

Jul 21, 2025 - 10:46
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संकल्प से सफलता तक: स्वाध्याय की शक्ति पर विजय गर्ग की प्रेरक

संकल्प से सफलता तक: स्वाध्याय की शक्ति पर विजय गर्ग की प्रेरक पुस्तक

समीक्षा पुस्तक का नाम: ट्यूशन बिना कैसे पढ़ें

लेखक: विजय गर्ग प्रकाशक: शिवांक प्रकाशन, 12-B, प्रथम तल, गोला कोठी, अंसारी रोड, दरियागंज, दिल्ली – 110002

आईएसबीएन: 978-93-49908-57-4 प्रथम संस्करण: 2025 पृष्ठ संख्या: 192 मूल्य: ₹250 समीक्षक: डॉ. सत्यवान सौरभ "संकल्प से सफलता तक: स्वाध्याय की शक्ति पर विजय गर्ग की प्रेरक कृति " "कोचिंग नहीं, खुद पर भरोसा चाहिए: 'ट्यूशन बिना कैसे पढ़ें' की समीक्षा" स्वाध्याय की ओर प्रेरित करती एक विचारोत्तेजक पुस्तक आज की प्रतिस्पर्धात्मक शिक्षा प्रणाली में ट्यूशन का चलन एक आवश्यकता बनता जा रहा है। मगर क्या हर विद्यार्थी को सफलता पाने के लिए कोचिंग संस्थानों पर निर्भर रहना ज़रूरी है? विजय गर्ग की पुस्तक "ट्यूशन बिना कैसे पढ़ें" इस धारणा को चुनौती देती है और विद्यार्थियों को अपने दम पर पढ़ाई करने की प्रेरणा और दिशा देती है।

 यह पुस्तक केवल एक मार्गदर्शिका नहीं, बल्कि शिक्षा में आत्मनिर्भरता की संस्कृति को बढ़ावा देने वाली एक सकारात्मक क्रांति है। लेखक ने यह पुस्तक उन छात्रों के लिए लिखी है जो किसी कारणवश ट्यूशन नहीं ले सकते और फिर भी सफल होना चाहते हैं। पुस्तक की विशेषताएं पुस्तक की शुरुआत कुछ बुनियादी सवालों से होती है – पढ़ाई क्यों करें? सफलता क्या है? शिक्षा का महत्व क्या है? यह अध्याय न केवल छात्रों को सोचने पर मजबूर करते हैं बल्कि पढ़ाई को एक गहरी जीवनदृष्टि से जोड़ते हैं। लेखक पढ़ाई को केवल अच्छे अंकों की दौड़ न मानकर जीवन निर्माण का माध्यम मानते हैं। पुस्तक का दूसरा भाग स्वाध्याय की रणनीतियों पर केंद्रित है। इसमें लेखक ने बताया है कि - अपने लक्ष्य कैसे तय करें समय का सदुपयोग कैसे करें पाठ्यक्रम को कैसे पढ़ें और समझें याद रखने की सरल विधियाँ उत्तर लिखने की शैली क्या होनी चाहिए ये सारी बातें बेहद व्यावहारिक, स्पष्ट और उदाहरणों के साथ प्रस्तुत की गई हैं, जिससे छात्रों को रोजमर्रा की पढ़ाई में मदद मिलती है। भावनात्मक और सामाजिक विषयों की उपस्थिति एक अद्वितीय पहल यह भी है कि यह पुस्तक केवल शैक्षणिक मार्गदर्शन तक सीमित नहीं है। लेखक ने सामाजिक और भावनात्मक विषयों को भी समेटा है जैसे – एक अच्छे मित्र की पहचान प्रेम, विवाह, और माता-पिता की सहमति का महत्व भाग्य और सपनों का प्रभाव इन अध्यायों में लेखक ने किशोरावस्था की उलझनों और भावनात्मक संघर्षों को बड़े संवेदनशील तरीके से समझाया है। यह विशेषता इसे केवल छात्रों ही नहीं, अभिभावकों और शिक्षकों के लिए भी उपयोगी बनाती है। भाषा और शैली पुस्तक की भाषा अत्यंत सरल, संवादात्मक और प्रेरणादायक है।

लेखक कहीं भी उपदेशात्मक नहीं होते, बल्कि मित्रवत शैली में पाठकों से संवाद करते हैं। उदाहरणों और किस्सों का प्रयोग इसे और प्रभावशाली बनाता है। एक विद्यार्थी इस पुस्तक को पढ़ते हुए यह महसूस करता है कि कोई सच्चा मार्गदर्शक उसके साथ चल रहा है। प्रेरक उद्धरण और अनुभवजन्य दृष्टिकोण लेखक ने अपने अनुभवों और आसपास देखे गए उदाहरणों के आधार पर कई प्रेरक बातें साझा की हैं। इससे पुस्तक की प्रामाणिकता और प्रभाव दोनों बढ़ते हैं। वे यह साबित करते हैं कि संसाधनों की कमी के बावजूद अगर इच्छा प्रबल हो, तो पढ़ाई एक आनंददायक और सफल यात्रा बन सकती है। "ट्यूशन बिना कैसे पढ़ें" एक बहुत ही आवश्यक और उपयोगी पुस्तक है, विशेषकर उन छात्रों के लिए जो आर्थिक या सामाजिक कारणों से ट्यूशन नहीं ले सकते। यह पुस्तक उन्हें आत्मविश्वास देती है, मार्गदर्शन करती है और प्रेरणा देती है कि बिना किसी बाहरी सहायता के भी शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। इस पुस्तक को पढ़ना केवल एक शिक्षण प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन को आत्मसात करना है। यह विद्यार्थियों के आत्मबल को जगाती है और उन्हें यह विश्वास दिलाती है कि संसाधनों से नहीं, संकल्प से सफलता मिलती है।

✒️ डॉ. सत्यवान सौरभ समीक्षक, साहित्यकार एवं शिक्षाविद