अभ्युदय योजना को पलीता लगाने पर तुला समाज कल्याण विभाग

Apr 13, 2025 - 09:06
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अभ्युदय योजना को पलीता लगाने पर तुला समाज कल्याण विभाग

अभ्युदय योजना को पलीता लगाने पर तुला समाज कल्याण विभाग

कायमगंज/फर्रुखाबाद। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा वर्ष 2020 में शुरू की गई मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को यूपीएससी, यूपीपीएससी, एनडीए, जेईई और नीट जैसी प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निःशुल्क कोचिंग उपलब्ध कराना है। यह योजना प्रदेश के सभी जनपदों में संचालित है और कई जरूरतमंद छात्रों को इसका सीधा लाभ मिल रहा है। लेकिन फर्रुखाबाद जनपद में इस महत्वाकांक्षी योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। समाज कल्याण विभाग फर्रुखाबाद की लापरवाही और नौकरशाही रवैये के चलते योजना की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न खड़े हो रहे हैं।

शासन द्वारा स्पष्ट निर्देश है कि अनुदानित विद्यालयों और महाविद्यालयों के वे शिक्षक जिन्होंने यूपीपीएससी या यूपीएससी की मुख्य परीक्षा अथवा साक्षात्कार दिए हैं, उन्हें कोचिंग में अध्यापन का अवसर दिया जाए। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण मार्गदर्शन मिल सके। लेकिन फर्रुखाबाद में अनुभवहीन शिक्षकों को प्राथमिकता दी जा रही है और जिन शिक्षकों ने आयोगों की परीक्षाएं दी हैं, उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। यही नहीं, शासन द्वारा तय 2000 प्रति व्याख्यान की दर से केवल 500 का भुगतान किया गया है। अनुदानित महाविद्यालयों के शिक्षकों में पीएस पाण्डेय, डॉ. विवेक सिंह, नरेंद्र मिश्रा, अभिषेक कुमार सिंह, अरविंद कुमार और एसएन सिंह ने बताया कि समाज कल्याण निदेशालय द्वारा 2000 प्रति व्याख्यान मानदेय का शासनादेश है। इस संबंध में सूचना के अधिकार के तहत दस्तावेज भी उपलब्ध हैं, लेकिन फर्रुखाबाद में उन्हें मात्र 500 दिए गए। समाज कल्याण विभाग की चुप्पी, पारदर्शिता पर सवाल जब समाज कल्याण विभाग फर्रुखाबाद से इस विषय पर स्पष्टीकरण मांगा गया तो कोई लिखित उत्तर नहीं दिया गया।

केवल टालमटोल और विभागीय आपत्ति का हवाला देकर मामला दबाने का प्रयास किया गया। प्रश्न यह उठता है कि जब अन्य जनपदों में शिक्षकों को तय मानदेय दिया जा रहा है, तो क्या फर्रुखाबाद के लिए कोई अलग शासनादेश जारी किया गया है? यदि नहीं, तो फिर समाज कल्याण विभाग फर्रुखाबाद की यह मनमानी किस आधार पर हो रही है। समाज कल्याण विभाग का यह रवैया योग्य शिक्षकों को हतोत्साहित कर रहा है और इससे मुख्यमंत्री की इस योजना की साख और प्रभावशीलता पर भी असर पड़ सकता है। यदि समय रहते विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं हुआ, तो यह योजना जिले में असफलता की कगार पर पहुंच सकती है।