China पर अमेरिका के टैरिफ का दिखने लगा असर, गोदामों में सड़ने लगा सामान

वाशिंगटन। अमेरिका के साथ टैरिफ वार तेज होने का असर चीन की व्यापारिक गतिविधियों पर पड़ने लगा है। प्रमुख चीनी व्यापार केंद्रों पर व्यवधान के शुरुआती संकेत दिखने लगे हैं। शंघाई और ग्वांगडोंग सहित तमाम निर्यात केंद्रों और बंदरगाहों पर गतिविधियां थमने लगी हैं। साथ ही अमेरिका के लिए वस्तुओं की आवाजाही लगभग ठप हो गई है।
रेडियो फ्री एशिया (आरएफए) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शंघाई और ग्वांगडोंग के आमतौर पर व्यस्त रहने वाले बंदरगाहों से कोई भी मालवाहक जहाज गुरुवार तक अमेरिका नहीं जा रहा था। चीन के निर्यात उद्योग में योगदान देने वाले प्रमुख प्रांतों में कारखाने ठप हो गए थे। अमेरिका जाने वाले जहाजों के लिए नौ अप्रैल की समय सीमा से चूकने वाले शिपिंग कंटेनरों की अब इन बंदरगाहों पर ढेर लगी हुई है। झेजियांग और ग्वांगडोंग जैसे प्रांतों ने 2024 में चीन के निर्यात में सबसे अधिक योगदान दिया था। यहां पर कारखानों में उत्पादन रोक दिया गया है।
गोदामों में ऐसे उत्पाद भरे पड़े हैं जो शुरू में अमेरिकी बाजार के लिए थे, लेकिन अब व्यापार युद्ध के कारण उनका उपयोग नहीं हो रहा है। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को चीन पर पारस्परिक शुल्क बढ़ाकर 125 प्रतिशत करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि ये शुल्क तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। बाद में व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि चीनी आयात पर कुल टैरिफ अब 145 प्रतिशत है, जिसमें फेंटेनाइल व्यापार में बीजिंग की भूमिका से संबंधित 20 प्रतिशत शुल्क भी शामिल है। इसके जवाब में चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगाने का एलान किया है। उधर चीन ने अमेरिका से मांग की है कि रेसीप्रोकल टैरिफ को पूरी तरह से खत्म किया जाए और पूर्व की तरह सम्मानजनक व्यापार स्थिति में लौटा जाए। चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा कि अमेरिका को बड़ा कदम उठाते हुए अपनी गलती सुधारनी चाहिए और रेसीप्रोकल टैरिफ की गलत प्रैक्टिस को खत्म करना चाहिए।