घोंसलों का वास्तु और विज्ञान

Nov 14, 2024 - 08:19
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घोंसलों का वास्तु और विज्ञान
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घोंसलों का वास्तु और विज्ञान !

बच्चो, जाड़ा, गर्मी, बरसात से बचने के लिए तुम्हारे पास एक घर है। ठीक वैसे ही पक्षी भी अपने बच्चों (चूजों) को सुरक्षित स्थान देने के लिए घोंसला बनाते हैं। अंडा देने से लेकर चूजों के उड़ने लायक बनने तक वह उन्हें यहीं रखती है। घोंसले चूजों को शिकारियों से तो बचाते ही हैं, साथ में प्रकृति की मार से बचाने के लिए भी अनुकूल वातावरण देते हैं। घास और मिट्टी के बने इन घोंसलों के निर्माण में वास्तु और विज्ञान के नियमों का भी ध्यान रखा जाता है।

■ वातानुकूलित तापमान पक्षियों में वातावरण अनुकूलन की गजब की क्षमता होती है। इनकी कुछ प्रजातियों के अंडों और चूजों को एक खास तापमान की जरूरत होती है। ऐसे में ये घोंसला बनाने में उसी तरह की सामग्री का चयन करते हैं, जो मौसम के अनुकूल तापमान को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। ठंडी जलवायु में वे गर्म और गरम जलवायु में ठंडी हवा का प्रवाह बनाए रखने वाली सामग्री चुनते हैं। कुछ पक्षी प्लास्टिक और तार जैसी मानव निर्मित सामग्री का भी उपयोग करते हैं, जिससे परजीवियों को दूर रखने में मदद मिलती है। खास रंग और आकार शिकारियों से बचने के लिए पक्षी अपने घोंसलों के लिए खास आकार और रंग की सामग्री का चयन करते हैं। जैसे, प्लोवर पक्षी जमीन पर घोंसला बनाने के लिए कंकड़ और प्राकृतिक मलबे का उपयोग करते हैं, जिससे वे ऊपर से लगभग अदृश्य होते हैं। इससे शिकारियों के हमले का खतरा भी कम हो जाता है। पेड़ों पर घोंसला बनाने वाले पक्षी अंडे चुराने वाले जानवरों को रोकने के लिए ऊंची शाखाओं पर घोंसले बनाते हैं।

■ कमाल की इंजीनियरिंग बुनकर पक्षी हवा के दबाव को झेलने के लिए जटिल और लटकते हुए घोंसले बनाते हैं। इसी तरह स्वैलोज और स्विफ्ट पक्षी घोंसले बनाने के लिए इस तरह की मिट्टी का उपयोग करते हैं कि इनके घोंसले कप के आकार में दीवार या चट्टान पर चिपक जाते हैं।

■ सभी पक्षी नहीं बनाते घाँसला समुद्री और तटीय पक्षी घोंसला नहीं बनाते हैं। ये रेत या पत्थर पर अपने अंडे देते हैं। ब्राउन-हेडेड काउबर्ड जैसे पक्षी दूसरे पक्षियों के घोंसलों में अंडे देते हैं। यहां तक की इनके बच्चों की देखभाल भी घोंसले का मालिक पक्षी ही करता है। कैसे सीखते हैं यह कला पक्षियों में घोंसला बनाने का हुनर प्रकृति से मिला एक उपहार है, लेकिन जटिल घोंसला बनाने वाले पक्षी समय के साथ इस हुनर को तराशते जाते हैं। ज्यादातर पक्षी हर साल नया घोंसला बनाते हैं। सर्दियों में इनके घोंसले क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। हालांकि, बाल्ड ईगल या ऑस्प्रे जैसे बड़े शिकारी पक्षी लंबे समय तक एक ही घोंसले का प्रयोग करते हैं और पिछले साल के घोंसले की मरम्मत करते हैं। सभी पक्षियों के घोंसलों में अंतर होता है। ऐसे में घोंसलों के आधार पर ज्यादातर पक्षियों को पहचाना जा सकता है। विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब