कहानी - बूढी दादी मां का दर्द

Oct 20, 2024 - 08:49
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कहानी - बूढी दादी मां का दर्द

माधवगढ़ नगर के प्रमुख डॉक्टर आनंद स्वरूप बर्मा का 24 वर्षीय पुत्र डॉक्टर चंद्रमोहन बर्मा अमेरिका से डॉक्टरी की पढ़ाई कर के आज घर वापस आने की खुशी में डॉक्टर साहब की कोठी रंग-बिरंगी झालरों से सजाई गई थी ।कोठी सजाई जाने का मुख्य कारण यह भी था कि अमेरिका से लौटनेबाले डॉ चंद्रमोहन बर्मा की रामनगर के डॉक्टर बलवंत सिंह की 22 वर्षीय पुत्री डॉक्टर मोहनी से सगाई की रसम भी होने थी । डॉक्टर आनंद स्वरूप बर्मा के तमाम रिश्तेदार शुभचिंतक भी आए हुए थे ।उन सभी रिश्तेदार और शुभचिंतकों के रोकने खाने पीने का कोठी के एयर कंडीशनर कमरों में अच्छा प्रबंध कर दिया गया था ।लड़की के पिता बलवंत तथा उनकी पत्नी रामकली पुत्री मोहनी तथा लड़की के परिवार का डॉक्टर आनंद स्वरूप के एयर कंडीशनर गेस्ट हाउस में रोकने खाने पीने का अच्छा प्रबंध कर दिया गया था ।डॉक्टर साहब के सभी नौकर अच्छी प्रबंध व्यवस्था में लगे हुए थे ।

डॉ आनंद स्वङरूप बर्मा के परिवार में आज खुशी का माहौल था ।सभी इसी प्रतीक्षा में लगे हुए थे कि अमेरिका से डॉक्टर चंद मोहन वर्मा आए और उनकी सगाई की रसम खुशी के माहौल में हो। इसके बाद चंद्र मोहन मोहनी की शादी शुभ मुहूर्त में हो। डॉ चंद्रमोहन की अमेरिका से खबर आई थी कि वह कल तक सुबह आ जाएगा। डॉ चंद्रमोहन दूसरे दिन तक नहीं पहुंचा तो घरवालों को चिंता हो गई ।बार-बार मोबाइल मिलाने के बाद भी कोई रिस्पांस नहीं मिला तो घर वालों को और चिंता बढ़ गई। रात के 11:00 बज रहे थे ।डॉ आनंद स्वरूप के सभी रिश्तेदार गहरीनींद में सो रहे थे । लेकिन डॉक्टर साहब और उनकी पत्नी अपने पुत्र की चिंता में जाग रहे थे और बार-बार मोबाइल मिला रहे थे ।लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं मिल रहा था तो डॉक्टर साहब उनकी पत्नी बहुत चिंतित हो रही थी ।

रात्रि में ही डॉ आनंद स्वरूप लड़की के पिता को जाकर जगाया और कहा कि चंद्रमोहन अभी तक नहीं आया है ।मोबाइल से भी कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा है ।क्या किया जाए? यह बात सुनकर लड़की के पिता भी परेशान हो उठे और डॉक्टर साहब से बोले मुझे लगता है चंद्र मोहन की सगाई उसकी मर्जी के विरुद्ध हो रही है ।दो दिन हो गए हैं और अभी तक नहीं आया है ।फोन भी नहीं उठा रहा है ।डॉक्टर साहब बलवंत सिंह से बोले- मुझे कोई अनहोनी दुर्घटना की बात लग रही है। बलवंत सिंह बोले- घबराने की बात नहीं है। कल सुबह अमेरिका के राजदूत तथा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से बात की जाएगी। तभी सही स्थिति का पता चलेगा ।तभी अमेरिका चलने का प्रोग्राम बनाया जाएग ।डॉक्टर साहब बोले- आप जो कह रहे हैं वह सही है। सुबह तक प्रतीक्षा की जाएगी ।जब घबराए आए हुए डॉक्टर साहब दूसरे दिन सुबह चलने लगे तो बलवंत सिंह की लड़की मोहनी ने डॉक्टर साहब को रोक लिया और अमेरिका के राजदूत को फोन मिला कर कहा-- अमेरिका में पढ़ा रहे चंद्रमोहन के कॉलेजसे जानकारी कीजिए ।वह घर आने की कह रहा था लेकिन अभी तक नहीं आया ।

 राजदूत ने कहा अभी सभी जानकारी जुटाई जाएगी और आपको तत्काल खबर दी जाएगी। डॉ आनंद स्वरूप तथा डॉक्टर बलवंत सिंह मोहनी की चतुराई को देखकर बहुत खुश हुए और अमेरिका के राजदूत का फोन पर इंतजार करने लगे । सूर्य भगवान अपनी मधुर मधुर किरणों से अपनी लालमा बिखेरते हुए निकल रहे थे ।तभी अमेरिका के राजदूत का फोन आया। राजदूत ने बताया सभी जानकारी जुटाने के बाद पता चला है कि वह कल ही अमेरिका से चले गए हैं और जिस जहाज से गए हुए हैं वह हवाई जहाज रास्ते में मौसम खराब होने के कारण रुका हुआ है। मौसम ठीक होते ही वह पहुंच जाएगा। कोई घबराने की बात नहीं है ।अमेरिका राजदूत की बातों पर डॉ आनंद स्वरूप बलवंत सिंह चर्चा कर रहे थे तभी डॉ चंद्रमोहन का पिता को फोन आया- मौसम खराब होने के कारण हवाई जहाज को रास्ते में रुकना पड़ा था। 30 मिनट के बाद हवाई अड्डे पर पहुंच जाऊंगा ।

हवाई अड्डे पर पहुंचते ही फोन करेंगे ।डॉ चंद्रमोहन की खबर मिलते ही आनंद स्वरूप की चिंता दूर हो गई। दिन के 12 बज रहे थे तभी डॉक्टर चंद्र मोहन का अपने पिता के पास फोन आया ।मैं हवाई अड्डे पर आ गया हूं और हवाई अड्डे के गेस्ट रूम में रुका हुआ हूं । घबराए हुए पिता ने कहा- मैं फोरन आ रहा हूं ।डॉ आनंद स्वरूप और उनकी पत्नी रागिनीअपनी गाड़ी से तथा बलवंत सिंह उनकी पत्नी और उनकी बेटी मोहनी अपनी गाड़ी से हवाई जहाज के अड्डे के गेस्ट रूम पर पहुंचे ।डॉ चंद्रमोहन ने पिता और माता को देखकर उनके पैर छुएऔर पिता के साथ आए हुए बलवंत सिंह को नमस्कार किया। इन सब के पीछे खड़े हुए युवती को घूर घूर कर डॉक्टर चंद्रमोहन देखने लगा । तभी डॉक्टर आनंद स्वरूप ने बलवंत सिंह से परिचय कराते हुए कहा जो यह युवती पीछे खड़ी है यह बलवंत सिंह की पुत्री डॉक्टर मोहनी है ।जिससे तुम्हारी सगाई हो रही है।चंद्रमोहन ने मोहनी को नीचे से ऊपर तक देखा --गोरा बदन चंद्रमुखी गुलाबी गाल कटीली आंखें रंग रूप से मोहनी सूरत को देखता ही रह गया । तव मोहनी ने हाथ जोड़कर मुस्कुराते हुए डॉक्टर चंद्र मोहन को नमस्कार किया।

रागिनी ने चंद्र मोहन को नीचे से ऊपर तक देखा- हट्टा कट्टा गोरा बदन शरीर से स्मार्ट हंसमुख चेहरा को देखकर मोहनी डॉ चंद्रमोहन बर्मा पर मोहित हो गई ।.कुछ दे हवाई अड्डे पर रुकने के बाद सभी लोग कोठी पर आ गए ।कोठी पर आकर चंद्रमोहन ने सभी रिश्तेदारों को यथा योग सम्मान दिया और सब से मिलने के बाद सीधा दादी मां के कमरे पर पहुंचा। दादी मां के कमरे पर ताला लटका हुआ देखकर चंद्र मोहन वापस आकर मां से पूछा-। दादी मां कहां है ?मुझे कमरे पर दिखाई नहीं दी है ।मां ने जवाब दिया -मां कुशल से है और अपनी मर्जी से वृद्धा आश्रम में गई हुई है ।उन्हें यहां अकेले रहते रहते अच्छा नहीं लग रहा था । इसीलिए आश्रम चली गई थी। कल बुला ली जाएगी । चंद्रमोहन बाहर आया और पिता की गाड़ी लेकर सीधा वृद्ध आश्रम में पहुंचा ।दादी मां केपास जाकर पैर छुए और कहा- दादी मां मैं तुम्हें लेने आया हू। 84 वर्षोंय बूढ़ी दादी मां ने चंद्रमोहन की पीठ पर हाथ फेरते हुए उसे गले से लगा लिया और कहने लगी बेटा तुम्हें देखे बिना बहुत दिन बीत गए । तुम्हें देखने तुम्हारी खबर लेने के लिए तड़पती हू।

मैं क्या कर सकती थी ? जिस दिन तुम्हारे पिता मुझे वृद्धा आश्रम में छोड़ गए तब से आज तक मेरी खबर नहीं ली ।मैं तो अब सबके लिए पराई हो गई हूं। इतना कहकर बूढ़ी मां रोने लगी ।डॉ चंद्रमोहन ने बूढ़ी मां के आंसुओं को पोंछते हुए कहा- दादी अभी तो मैं जिंदा हूं ।तुम्हें लेने आया हूं ।तुम्हारी हर तरह से सेवा करूंगा। बूढ़ी दादी मां रोते हुए बोली- बेटा मैं जिस बेटा बहू घर को छोड़ आई हू। जब वह घर मेरा नहीं रहा ।अब ना कोई मेरा बेटा ना कोई बहू है। मेरा घर वृद्ध आश्रम है । डॉ चंद्रमोहन ने कहा- बूढ़ी दादी मां तुम मेरे साथ चलो ।वह तो घर बाबा ने बनवाया था। ना मां ने बनवाया था ना पिताजी ने बनवाया था । इसलिए वह घर आपका है। नाती की पीठ पर बार-बा।र हाथ फेरते हुए गले लगाकर नाती से कहा -अब मैं इसी वृद्ध आश्रम में अंतिम सांस लूंगी। यहां जो भी हैं वह सब अपने हैं। बेटा तुम खुशी-खुशी से लौट जाओ । मैं किसी कीमत पर अब उसघरमे नहीं जाऊंगी ।बेटा अब तुम मुझे भूल जाओ ।चंद्रमोहन उठा दादी के पैर छूते हुए कहा जिस दिन मैं अपना घर बनवा लूंगा। दादी तुम्हें लेने आऊंगा। बूढ़ी दादी बोली '-बेटा देखा जाएगा ।अगर मैं जिंदा बनी रही तब मैं देखूंगी।

चंद्रमोहन अपने आंसू पूछते हुए वृद्ध आश्रम से चलाआया। कोठी पर आकर चंद्रमोहन ने अपनी अटैची बेग उठाया और पिता से बोला -मैं अमेरिका वापस जा रहा हूं। अपनी शादीनही करूंगा और ना यहां रहूंगा.। अब मेरा तुम लोगों से कोई नाता नहीं है। जिस बूढ़ी दादी ने मुझे बचपन से पाला पोसा जब आप लोगों ने मेरी बूढ़ी दादी मां को ही घर से निकाला ।अब मेरा घर से कोई नाता नहीं है। बाप आनंद स्वरूप ने बेटा को रोकने के लिए अटैची पकड़कर बहुत मनाया । लेकिन चंद्रमोहन अटैची छुड़ाकर कोठी के बाहर आ गया ।जब कोठी के बाहर खड़े हुए रिश्तेदार बाप बेटा का यह दृश्य देखा तो बहुत से रिश्तेदार चंद्र मोहन को समझाने लगे और कहने।लगे पिता की बात मान जाओ। अमेरिका वापस नहीं जाओ । चंद्रमोहन रिश्तेदारों से बोला- तुमलोग मेरे पिता की करतूतों को नहीं जानते हो ।जिस बूढ़ी दादी मां ने विधवा होने पर सब कष्ट को सहते हुए इन को पाला पोसा और इन्हें डॉक्टर बनाया। डॉक्टर साहब ने अपनी बूढ़ी मां को पाश्चात्य सभ्यता में पली हुईपत्नी के कहने पर 84 वर्षीय बूढ़ीदादी को वृद्ध आश्रम में भेज दिया ।इस हृदय हीन डॉक्टर का पक्ष लेकर आप लोग मुझेसमझा रहे है।।यह दूर खड़ी मेरी मां जो रो रही है। इस मां ने मुझे केवल जन्म दिया है।मुझेपाला पोसा मेरी दादी मां ने है ।

आज जब मेरी बूढ़ी दादी मां घर से निकाली गई है। अब आप लोग ही बताइए क्या मेरे माता पिता क्षमा योग्य है? सभी खड़े रिश्तेदार आनंद स्वरूप और उनकी पत्नी की भर्त्सना करने लगे।डॉक्टर साहब और उनकी पत्नी अपने सभी रिश्तेदारों की और देख रहे थे । लेकिन अब कोई भी चंद्रमोहन को समझाने रोकने की स्थिति में नहीं था। रिश्तेदारों के पीछे खड़ी हुई मोहनी यह सब देख रही थी और सब की बातों को सुन रही थी ।मोहनी सब रिश्तेदारों को अलग हटाते हुए डॉक्टर आनंद स्वरूप तथा उनकी पत्नी से आकर बोली -मैं जो कहूंगी कि क्या उस उसको आप मानेंगे? डॉक्टर पत्नी बोली जैसा तुम कहोगी वैसा मैं करूंगी। आप मेरे साथ वृद्ध आश्रम में चलचर बूढ़ी दादी मां के पैर पकड़कर क्षमा मागो और बूढ़ी मां से कहना अगर क्षमा करके मुझे प्रायश्चित करने का मौका नहीं दोगी तो हम दोनों आत्महत्या करके प्रायश्चित करेंगे ।डॉक्टर और उनकी पत्नी बोली ऐसा ही करूंगी। मोहनी ने अपनी गाड़ी निकाली डॉक्टर और उनकीपत्नी को गाड़ी पर बैठाया फिर आकर उसने चंद्रमोहन का हाथ पकड़ कर कहा --आप मेरे साथ बूढ़ी दादी मां के पास चलिए ।मोहनी के ऐसे साहस को देखकर चंद्र मोहन गाड़ी की अगली सीट पर आकर बैठ गया मोहनी ने गाड़ी स्टार्ट की और सभी को लेकर वृद्धा आश्रम में पहुंच गई ।जब सभी बूढ़ी मां के पास पहुंचे तो देखा बूढ़ी मां अपनी पलंग पर लेटी हुई रो रही थी। जैसे ही बूढ़ी मां ने बेटा बहू को देखा आसू पोछते हुए उठ कर बैठ गई ।बेटा बहू ने मां के पैर पकड़े और क्षमा मांगते हुए कहा --मुझे प्रायश्चित करने का मौका दीजिए ।

मैं माऔर बेटे के रिश्ते के महत्व को जान गई हूं।आज मेरा लड़का मुझे छोड़ कर जा रहा है तो मुझे अपार दुख हो रहा है। आपको भी उस दिन हो रहा होगा ।जब मैंनेतुम्हें वृद्ध आश्रम में भेजा था ।अगर आप मुझेे क्षमा नहीं करोगी तो हम दोनों आत्महत्या करके प्रायश्चित करेंगे। बूढ़ी मां ने बहु बेटा दोनों को छाती से चिपका कर कहा ‐ऐसा कभी मत करना। डॉक्टर साहब हाथ जोड़कर बोले- मां मुझे क्षमा कर के घर चलिए। हम दोनों आपको लेने आए हैं। लड़के बहू की बातों को सुनकर मा द्रवित हो गई और खड़े रोते हुए चंद्रमोहन से बोली-- तू दूर खड़ा क्यों रो रहा है ।तेरे पास यह कौन सी युवती खड़ी है। बूढ़ी दादी मां नेउसे बुलाया पास बिठाया और उसके ऊपर हाथ फेर कर बोली -- बेटी मैंने तुझे पहचाना नहीं ।मोहनी मुस्काते हुए बोली मैं आपके नाती की होने वाली पत्नी हूं। दादी मां हम सब आपको लेने आए हैंअगर आप नहीं चलेंगे तो मेरी शादी टूट जाएगी। बूढी दादी मां बोली तो मैं जरूर चलूंगी । तेरी और चंद्र मोहन की दोनों की धूमधाम से शादी करूंगी। जब यह सब बातें हो रही थी तभी मोहनी के पिता डॉक्टर साहब की गाड़ी को लेकर वृद्ध आश्रम में पहुंच गए । आश्रम के अंदर पहुंचकर बूढ़ी मां को नजराना दिया और कहा हम भी आपको लेने आए हैं। बूढ़ी मां बोली -अब मैं जरूर चलूंगी। जब सभी लेने आए हैं कोठी पर चलकर चंद्रमोहन मोहनीकी सगाई की रस्म पूरी करूंगी।

बड़े धूमधाम से शादी करूंगी । थोड़ी देर के बाद बूढ़ी दादी मां सबके साथ कोठी पर आ गई। रिश्तेदारों ने बूढ़ी मां के पैर छुए ।कोठी पर खुशी छा गई। शुभ मुहूर्त निकाल कर चंद्र मोहन मोहिनी की धूमधाम से शादी हुई। बुजुर्ग बाल स्वभाव के होते हैं। जल्दी नाराज होते हैं जल्दी खुश भी हो जाते ।वृद्ध जन का सम्मान करने से ही परिवार खुशहाल होता है।

बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी