नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) तृतीय
नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) तृतीय ( प्रथम )दिवस -
भुवाल माता पर श्रद्धा में जीवन का सार हैं । द्वेष को हटाकर आत्मा निर्मल बनने का सार हैं । चिन्तन बनता स्वस्थ जब आस्था पाती है विस्तार । भुवाल माता पर श्रद्धा में जीवन का सार हैं । राग - द्वेष हम कम करे यह है भीतर की आवाज आत्मा तेजस्वी जब बने गिरती तृष्णा पर गाज । भुवाल माता पर श्रद्धा में जीवन का सार हैं ।
शम समता की रश्मियां फैलाती प्रखर प्रकाश समता के अभ्यास से बनता संयत हर श्वास । भुवाल माता पर श्रद्धा में जीवन का सार हैं । सुख दुख , लाभालाभ , प्रिय अप्रिय का हो न प्रभाव ऐसे भाव प्रवाह से भरते अनन्त के घाव ।
भुवाल माता पर श्रद्धा में जीवन का सार हैं । निश दिन मन की भावना में हो सम का उच्चार , समरसता तुझको करेगी भव सागर से पार । भुवाल माता पर श्रद्धा में जीवन का सार हैं । प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )