हरियाणा, जम्मू-कश्मीर चुनाव का ऐलान, चुनाव आयोग आया विपक्ष के निशाने पर
नई दिल्ली। शुक्रवार को चुनाव आयोग ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। इस ऐलान के साथ ही सियासत चरम पर पहुंच गई और तकरीबन हर बार की तरह चुनाव आयोग एक बार फिर विपक्षी दलों के निशाने पर आ गया है।
विपक्ष की तरफ से लगातार चुनाव आयोग के बहाने केन्द्र मोदी सरकार पर हमला जारी है। इस हमले की वजह क्या है जानते हैं। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव की तारीखों का ऐलान चुका है। चुनाव तारीखों के ऐलान के साथ दोनों ही राज्यों में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है। इसके अलावा सियासी जंग का औपचारिक आग़ाज भी हो चुका है और इस जंग का पहला आधार चुनाव आयोग बन चुका है।
विपक्षी दल चुनाव आयोग के बहाने ही बीजेपी को निशाने पर ले रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव होंगे। जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों के लिए पहले चरण में 18 सितंबर को 24 सीटों पर, दूसरे चरण में 25 सितंबर को 26 सीटों पर और आखिरी चरण में 1 अक्टूबर को 40 सीटों पर वोटिंग होगी। हरियाणा में सभी 90 सीटों पर एक ही चरण यानी 1 अक्टूबर को वोटिंग होगी। दोनों राज्यों में 4 अक्टूबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे।
चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र विधानसभा और अन्य राज्यों में होने वाले उपचुनावों की तारीखों का ऐलान नहीं किया है। जिसके बाद से विपक्ष चुनाव आयोग को लेकर तरह-तरह के सवाल उठा रहा है। विपक्षी दलों का कहना है कि चुनाव आयोग ने जानबूझकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों को लेट किया है। जबकि पिछले तीन चुनाव हरियाणा के साथ ही करवाए गए हैं। इस पर चुनाव आयोग ने सफाई दी कि महाराष्ट्र में मानसून और त्योहारों के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। जिसके जवाब में विपक्ष ने भी कहा कि क्या हरियाणा में मानसून और त्योहार नहीं हैं? फिर वहां तो चुनाव हो रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी 1 सिंतबर से चलाएगी देशव्यापी सदस्यता अभियान, संगठन की बैठक के बाद हुआ ऐलान शनिवार को भी महाराष्ट्र में चुनाव के ऐलान न होने को लेकर एनसीपी (शरद पवार) के मुखिया शरद पवार ने कहा कि ‘एक देश एक चुनाव’ की बात करने वाले राज्यों के चुनाव एक साथ नहीं करा सकते हैं? वहीं, इस मसले पर शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी चुनाव आयोग के बहाने से बीजेपी पर निशाना साधते हुए यही बात दोहराई है।
विपक्षी दलों का कहना है कि चुनाव आयोग ने जानबूझकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों को लेट किया है। जबकि पिछले तीन चुनाव हरियाणा के साथ ही करवाए गए हैं। इस पर चुनाव आयोग ने सफाई दी कि महाराष्ट्र में मानसून और त्योहारों के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। जिसके जवाब में विपक्ष ने भी कहा कि क्या हरियाणा में मानसून और त्योहार नहीं हैं? फिर वहां तो चुनाव हो रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी 1 सिंतबर से चलाएगी देशव्यापी सदस्यता अभियान, संगठन की बैठक के बाद हुआ ऐलान शनिवार को भी महाराष्ट्र में चुनाव के ऐलान न होने को लेकर एनसीपी (शरद पवार) के मुखिया शरद पवार ने कहा कि ‘एक देश एक चुनाव’ की बात करने वाले राज्यों के चुनाव एक साथ नहीं करा सकते हैं? वहीं, इस मसले पर शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी चुनाव आयोग के बहाने से बीजेपी पर निशाना साधते हुए यही बात दोहराई है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में हरियाणा और महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को चुनाव हुए थे। चुनाव आयोग ने 21 सितंबर 2019 को तारीखों का ऐलान किया था। 2014 में भी दोनों राज्यों में 15 अक्टूबर को एक साथ चुनाव हुए थे। इसके लिए चुनाव आयोग ने 12 अक्टूबर 2014 को तारीखों का ऐलान किया था। –
शरद पवार ने पीएम मोदी पर साधा निशाना, बोले- 'एक देश एक चुनाव' की बात करने वाले राज्यों में एक साथ नहीं करा सकते इलेक्शन 2009 में दोनों राज्यों में 13 अक्टूबर को चुनाव हुए थे। आयोग ने 31 अगस्त 2009 को मतदान की तारीखों का ऐलान किया था। – 2004 में महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव की तारीखें अलग-अलग थीं। आयोग ने 24 अगस्त 2004 को महाराष्ट्र चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था और 13 अक्टूबर को मतदान हुआ था। – हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान 10 जनवरी 2005 को हुआ था और 3 फरवरी को मतदान हुआ था।