कहानी - शहीद सैनिक को मिले सम्मान

कहानी - शहीद सैनिक को मिले सम्मान

Aug 13, 2024 - 19:47
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कहानी - शहीद सैनिक को  मिले सम्मान
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कहानी - शहीद सैनिक को मिले सम्मान ==================

 500 परिवारों का सबलगढ़ एक चर्चित गांव है जो शिक्षा क्षेत्र नौकरी पेशा कृषि मैं अपना विशेष स्थान रखता है ।इस गांव में 300 परिवार ऐसे हैं जिनमें नौकरी पेशामे अच्छे पदों पर तथा मिलिट्री में कैप्टन सूबेदार सैनिक शिक्षा विभाग आदिमे अच्छे पदों पर हैं । जिनमें बहुत से सेवानिवृत्त होने के बाद गांव में रह रहे हैं । 80 परिवार गांव में ऐसे हैं जो उन्नतशील खेती कर रहे हैं तथा20 ऐसे परिवार हैं जो व्यापार धंधे में लगे हुए हैं।

बाकी परिवार भी अपनी रोजी-रोटी अच्छी तरह से मजदूरी करके कमा रहे हैं। इस प्रकार यह गांव विकास के नाम पर उन्नतशील गांव है। होली दिवाली रक्षाबंधन इस गांव में बड़े धूमधाम से मिलजुलकर मनाए जाते हैं ।होली के दिन इतनी जमकर होली खेली जाती है यह पूरा गांव रंगों से सराबोर हो जाता है ।दिवाली के दिन पूरा गांवमेजब घर-घर दीपक जलाए जाते हैं आतिशबाजी चलती है। तब पूरा गांव जगमगा उड़ता है ।अनोखी मनोहर छटा बिखेरता है। सबलगढ़ के इसी गांव में 90 वर्षीय कैप्टन ठाकुर धर्मेंद्र बहादुर का खुशहाल परिवार रहता है ।

कैप्टन ठाकुर धर्मेंद्र बहादुर के दो लड़के 40 वर्षीय रविंद्र सिंह 35 वर्षय किशन सिंह हैं जो दोनों मिलिट्री में सूबेदार हैं। कैप्टन साहब की 80 वर्षीय पत्नी रामकली जो धार्मिक प्रवृत्ति की है। दिन भर पूजा-पाठ में लगी रहती है। दोनोंलड़कों की एम ए तक शिक्षित पत्नियां है और कॉलेज में लेक्चरर है। बड़े लड़के की पत्नी का नाम रामवती छोटे लड़के की पत्नी का नाम कल्पना है। कैप्टन साहब की दोनों बहू में धार्मिक प्रवृत्ति सादा जीवन उच्च विचार की है। सामाजिक परोपकार कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेती रहती है ।

दोनों पत्नियों को इस बात का गर्व है कि उनके पति देश सेवा सुरक्षा में लगे हुए हैं और मिलिट्री में अपनी बहादुरता से नाम कमा रहे हैं। दिवाली के त्यौहार पर जब गांव के नौकरी करने वाले सभी अधिकारी कर्मचारी दिवाली मनाने के लिए एक हफ्ताभर की छुट्टी लेकर आ गए हैं ।लेकिन सूबेदार के दोनों लड़के अभी तक छुट्टी लेकर नहीं आए हैं ।दिवाली के 8 दिन पहले मोबाइल पर दोनों लड़कों ने बताया था कि पाकिस्तान के आतंकवादियों ने सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश की है।

 उसकी रोकथाम के लिए पूरी बटालियन के साथ वह सीमा अपनी अपनी- चौकियों पर पहुंच गए हैं और अभीतक15आतंकवादियों को ढेर कर चुके हैं अब जंगलों में छिपे हुए आतंकवादियों को ढूंढ रहे हैं। जैसे ही सभी आतंकवादियों को खदेड़ देंगे वह 4 दिन पहले दिवाली पर आ जाएंगे। घबराने की कोई बात नहीं है। जब यह बात गांव वालों को पता चली तो सभी अपनी-अपनी टीवी पर लड़ाई के समाचार सुनने लगे। कैप्टन साहब को इस बात की खुशी थी कि उनके दोनों बच्चे बड़ी बहादुरी से पाकिस्तान के आतंकवादियों को खदेड़ रहे हैं और छिपे हुए आतंकवादियों को मार रहे हैं। टीवी में समाचार आ रहे थे कि आज कितने छिपे हुए आतंकवादियों को ढूंढ कर मार दिया गया है और सेना बड़ी बहादुर का से पाकिस्तानी आतंकवादियों को बड़ी बहादुर से खदेड़ रही है।

दिवाली के 2 दिन पहले टीवी पर समाचार आया सूबेदार रविंद्र सिंह और किशन सिंह जब आतंकवादियों को ढूंढ ढूंढ कर मार रहे थे तभी पाकिस्तानी जहाज ने आकाश से एक बंब गिराया जिससे सूबेदार रविंद्र सिंह घायल हो गए है और उन्हें सैनिक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है ।सूबेदार किशन सिंह ने बहादुरी से 10 आतंकवादियों को मार कर पाकिस्तानी आतंकवादियों के छक्के छुड़ा दिए हैं और उन्हें खदेड़ दिया है। भारत सरकार ने सूबेदार रविंद्र सिंह और किशन सिंह की बहादुरी की प्रशंसा की है ।

 कैप्टन साहब जब यह सब समाचार सुन रहे थे तो अपने लड़कों की बहादुरी के किस्से गांव वालों को बता रहे थे। तभी अचानक कैप्टन साहब के मोबाइल की घंटी बज उठी और उधर से मिलिट्री के कैप्टन की आवाज आई । अच्छा इलाज होने केबाद भी सूबेदार रविंद्र सिंह को बचाया नहीं जा सका ।पूरी सेना को अपने बहादुर सूबेदार रविंद्र सिंह पर नाज है कि उन्होंने 30 आतंकवादियों को मार कर शहीद हो गए हैं। दिवाली के 1 दिन पहले सबलगढ़ जिला अधिकारी पुलिस अधीक्षक तथा तमाम फोर्स का जमघट लग गया ।

सबलगढ़ के ऊपर एक जहाज आवाज करता हुआ नीचे उतरा जिसमें सूबेदार किशन सिंह मिलिट्री की एक टुकड़ी के साथ अपने बड़े भाई शहीद सूबेदार रविंद्र सिंह का शव लेकर आए हुए थे ।इस खबर से पूरे गांव में कोहराम मच गया ।यह सब होते हुए भी कैप्टन धर्मेंद्र सिंह गंभीर मुद्रा में सभी को समझा रहे थे इसमें रोने धोने की कोई बात नहीं है। उनके बेटे ने बहादुरी से पाकिस्तानी आतंकवादियों को ढेर कर के शहीद हुआ है। उन्हें इस बात का गौरव है कि देश की रक्षा करने के लिए उनका बेटा शहीद हुआ है।

कैप्टन साहब की बूढ़ी पत्नी आए हुए हर सैनिक जवान से यही पूछ रही थी कि मेरे बेटे ने पीछे से गोली तो नहीं खाई। सामने सेलड़ते हुए क्या गोली खाई है। आए हुए सैनिकों ने कैप्टन साहब की बूढ़ी पत्नी को बताया की सूबेदार बराबर बहादुरी से आगे बढ़ते हुए आतंकवादियों को मार मार रहे थे और छिपे हुए आतंकवादियों को ढूंढ रहे थे तो अचानक पाकिस्तान के जहाज ने ऊपर से बम गिर आकर उन्हें घायल कर दिया और वह शहीद हो गए।

कैप्टन साहब की पत्नी यह बात सुनकर बड़ी खुश हुई और वो बोली मेरे बेटे ने मेरे दूध की लाज रख ली है और देश की सेवा में कुर्बानी देकर शहीद हो गया है। अपार भीड़ के बीच कैप्टन साहब के खेतों पर शहीद बेटे का दाह संस्कार हुआ और गांव वालों ने अपने बहादुर बेटे की यादगार में दिवाली का त्यौहार नहीं मनाया। दिवाली के कुछ दिनों बाद शहीद सूबेदार रविंद्र सिंह की यादगार में एक कॉलेज खोला गया।

जिस कॉलेज के दरवाजे पर गांव वालों ने रविंद्र सिंह की विशाल मूर्ति लगाई। गांव वालों द्वारा 1 वर्ष बाद रविंद्र सिंह के नाम पर खोले गए कॉलेज का उद्घाटन मंत्री जी ने किया और इस कॉलेज में शहीद रविंद्र सिंह की पत्नी को प्रिंसिपल बनाया गया । कैप्टन साहब गांव वालों के इस त्याग प्यार को देखकर गदगद हो गए और बोले अगर शहीदों को इसी तरह से सम्मान मिलता रहे तो शहीद परिवार को कभी दुख नहीं होगा और हर एक अपने बेटे को सेना में भर्ती कर आएगा।

बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावा कचहरी रोड मैनपुरी