मुस्कान
मुस्कान
कहते है कि मुस्कान ह्रदय की मधुरता की तरफ इशारा करतीहै और शांति बुद्धि की परिपक्वता की तरफ इशारा करती है और दोनों का ही होना एक मनुष्य की संपूर्णता होने का इशारा करती है। मानव की मुस्कान भी बड़े कमाल की है जिससे बिगड़े काम बन जाते है तो मैत्री के प्रसून खिल जाते हैं ।
मुस्कान देने और लेने वाले का चेहरा खिल जाता हैं और कठिन स्थिति भी हल्की और सरल हो जाती है। बिना मुस्कान के जीवन भी वीरान हो जाता हैं इसलिये मुस्करायिए हमेशा क्योंकि इसके दाम नहीं लगते हैं और श्रम भी नहीं लगता है फिर चित्त और मुख इस से बेज़ार क्यों रहे । जीवन में मुस्कुराते रहना बहुत ज़रूरी होता है क्योंकि मुस्कुराहट में इतनी शक्ति होती है कि इससे दुःख दर्द तो क्या बड़ी बीमारियाँ भी ठीक हो जाती हैं ।
अतः हम किसी की आँखों में दर्द देखते है तो उसके साथ अपने आंसुओ को बाँटे और अगर हम किसी के आँखों में खुशियाँ देखें तो उसके साथ अपनी मुस्कान को बाँटे । आँखो में अगर मुस्कान हैं तो इंसान तुमसे दूर नही, पाँखो में अगर जान हैं तो आसमान तुमसे दूर नही, शिखर पर बैठकर पंछी ने यही गीत गया हैं, श्रद्धा में अगर जान हैं तो भगवान तुमसे दूर नही ।
जीवन में चेहरे पर मुस्कान लिए हम वाणी में रस घोलते रहे जिससे स्वप्न सरीखा हमारा यह जीवन हौले हौले सरकता रहे क्योंकि मुस्कान सरल स्वभाव की पहचान और चमकदार ऑंखों की शान है जो चेहरे पर अद्भुत चुम्बकीय आकर्षण लाती है जिससे कुल मिला कर अलग ही तरह का अविस्मरणीय व्यक्तित्व का अवतरण हो जाता है । अतः हम सदा सहज रूप में ही मुस्कान का वरण करें । प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़)