जयपुर में मीट की दुकानों पर 'हलाल' या 'झटका' लिखना अनिवार्य होगा

जयपुर में मीट की दुकानों पर 'हलाल' या 'झटका' लिखना अनिवार्य होगा

Jul 20, 2024 - 09:07
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जयपुर में मीट की दुकानों पर 'हलाल' या 'झटका' लिखना अनिवार्य होगा
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ग्रेटर नगर निगम की मेयर सौम्या गुर्जर ने एक आदेश जारी कर कहा है कि मीट की दुकानों पर 'हलाल' या 'झटका' लिखना अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि इस निर्णय का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचने से रोकना है।

यह आदेश निगम की कार्यकारिणी समिति की चौथी बैठक में लिया गया है। मेयर गुर्जर का कहना है कि अगर इस आदेश का पालन नहीं किया गया, तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, उन्होंने बताया कि शहर में अवैध मीट दुकानों के खिलाफ भी निगम द्वारा कार्रवाई की जाएगी।

मेयर सौम्या गुर्जर ने यह भी कहा कि नगर निगम क्षेत्र में एक सर्वेक्षण किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी दुकानों ने इस आदेश का पालन किया है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मीट विक्रेता केवल व्यावसायिक लाइसेंस पर ही मांस बेच सकते हैं। जिन विक्रेताओं के पास लाइसेंस नहीं होगा, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस आदेश का उद्देश्य धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना और ग्राहकों को स्पष्ट जानकारी प्रदान करना है। वर्तमान समय में, जब धार्मिक और सांप्रदायिक संवेदनशीलता उच्चतम स्तर पर है, इस प्रकार के कदम उठाने से संभावित विवादों और असंतोष को कम किया जा सकता है। इस आदेश के तहत, जयपुर में सभी मीट दुकानों को एक स्पष्ट और दृष्टिगत बोर्ड लगाना होगा जिस पर लिखा हो कि वे 'हलाल' मीट बेच रहे हैं या 'झटका' मीट।

इससे ग्राहक अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार मीट खरीदने का निर्णय ले सकेंगे। मेयर गुर्जर ने यह भी कहा कि इस आदेश का उद्देश्य न केवल धार्मिक भावनाओं की सुरक्षा करना है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि उपभोक्ताओं को उनकी प्राथमिकताओं के अनुसार उत्पाद प्राप्त हों। इसके लिए नगर निगम की एक विशेष टीम गठित की जाएगी जो नियमित रूप से दुकानों की जांच करेगी और आदेश का पालन सुनिश्चित करेगी।

इस निर्णय की विभिन्न समुदायों और संगठनों द्वारा विभिन्न प्रतिक्रियाएँ आई हैं। कुछ इसे एक सकारात्मक कदम मानते हैं जो सांप्रदायिक सद्भावना को बढ़ावा देगा, जबकि अन्य इसे व्यापारिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप मानते हैं। आपकी क्या राय है इस फैसले के बारे में? क्या यह कदम धार्मिक भावनाओं की सुरक्षा के लिए आवश्यक है या फिर यह व्यापारिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप है?